PETA इंडिया की शिकायत के बाद, त्रिशूर पुलिस ने ग्रेट बॉम्बे सर्कस के खिलाफ FIR दर्ज की
PETA इंडिया से शिकायत मिलने के बाद, त्रिशूर पुलिस ने ग्रेट बॉम्बे सर्कस के आयोजकों के खिलाफ प्रदर्शन में इस्तेमाल होने वाले पक्षियों के पंखों को कुतरने जिससे वह उड़ने से वंचित हो गए, साथ ही साथ अपंजीकृत जानवरों से जबरन ऐसे करतब करवाने जिनको भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं किया गया है, के लिए उनके खिलाफ FIR दर्ज की गयी है। AWBI ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ के तहत निर्धारित प्राधिकरण है, जो देश में प्रदर्शन के लिए जानवरों के उपयोग को नियंत्रित करता है।
इस सर्कस के खिलाफ पक्षियों को मारने और एक जानवर के संबंध में लापरवाही बरतने के लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 429 और 289 के तहत संज्ञेय अपराधों के लिए त्रिशूर पूर्व पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की है। इसके अलावा, प्राथमिकी में धारा 3 और 11(1)(ए) (अनावश्यक और जानवरों को दर्द और पीड़ा देन), 11(1) (L) (पक्षियों के अंग भंग करने), और धारा 26 और 38 ( पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत गैर पंजीकृत पक्षियों का उपयोग करने और जानवरों और पक्षियों से अपंजीकृत करतब करवाने के लिए) लगाई गयी है।
वर्ष 2022 से, ग्रेट बॉम्बे सर्कस के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट, मलावडी के न्यायालय के समक्ष लंबित है। यह PETA इंडिया द्वारा पक्षियों के प्रति क्रूरता और उनके प्रदर्शन करने वाले जानवरों के पंजीकरण प्रमाणपत्र के उल्लंघन से संबंधित समान अपराधों के लिए एक शिकायत के बाद मैसूर पुलिस द्वारा सर्कस के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित थी।
PETA इंडिया द्वारा की गयी कई जाँचों और AWBI द्वारा किए गए अनेकों निरीक्षण साबित करते हैं कि पशु सर्कस क्रूर हैं: उनमें जानवरों को लगातार जंजीरों में बंदी बनाकर रखा जाता है या छोटे, बंजर पिंजरों तक सीमित रखा जाता है; पशु चिकित्सा देखभाल और पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय से वंचित; और हर उस चीज़ को वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए स्वाभाविक और महत्वपूर्ण है। नुकीले हथियारों के साथ शारीरिक शोषण के माध्यम से, उन्हें भ्रामक व असहज करने वाले करतब करवाने के लिए मजबूर किया जाता है। कई जानवर अत्यधिक तनाव से ग्रसित होने का संकेत देते हैं या फिर मानसिक असंतुलन वाला व्यवहार प्रदर्शित करते हैं।