नेटफ्लिक्स की “टाइगर किंग” डोक्युसिरिज ने जानवरों के साथ होने वाले दुर्व्यवहारों पर गहराई से प्रकाश नहीं डाला

Posted on by PETA

नेटफ्लिक्स पर “टाइगर किंग” के पहले एपिसोड “मर्डर, मेहेम एंड मैडनेस” (सड़क के किनारो पर बसे चिड़ियाघरों के मालिक दोषी करार दिये गए जोसफ “जॉय एक्सोक्टिक” मेल्डोनादों पेसेज़ पर सात कड़ियों में बनी डोक्यू सीरीज़) में  कैरोल बैस्किन, जो कि एक एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट और मान्यता प्राप्त वन्यजीव पुनर्वास केंद्र के CEO हैं। कैरोल अपने “बिग कैट रेस्क्यू” नामक शो की पहली कड़ी में कहते हैं, “जो कोई भी विदेशी बिल्ली को अपनाता है, वह एक समस्या खड़ी करता है और वह सिर्फ और सिर्फ इन बिल्लियों के अधिक से अधिक प्रजनन को बढ़ावा देता है, जो स्वतंत्र जिंदगी नहीं जी पाती हैं।“

शुक्र है कि भारत में, बाघों, शेरों, चीते, भालुओं, और बंदरों के प्रदर्शनों में उपयोग करना गैरकानूनी है। “टाइगर किंग” नामक डोक्यूसीरीज़ में यह बताया गया है कि अमेरिका में पर्यटकों के लिए इस्तेमाल होने वाले शेर किस तरह की पीड़ा को सहते हैं, यह डॉक्यूमेंटरी बास्किन और जो एग्झोटिक के बीच प्रतिद्वंद्विता पर केंद्रित है जो जो इस बात को उजागर करती है कि शेरों की प्रजातियों का शिकार करने व उनके साथ फोटो खिचवाने वाले लोग किस तरह इन शेरों को पीड़ा पहुँचाते हैं जबकि यह वन्य जीव उसके हकदार नहीं हैं।

पहले डोक्यूसीरीज़ के पहले एपिसोड में बताया गया है कि सोते हुए शेरों के साथ फ़ोटोज खींचने के लिए भीड़ इक्कट्ठा होती है, जिसे जो एक्झोटिक “प्ले टाइम” याने की खेलने का वक़्त कहते हैं। । जब एक पर्यटक ने शेरों के बच्चे की उम्र पूछी, तब उसने बताया कि वह अभी सिर्फ 6 हफ़्तों का है।  इस क्लिप में शेर के बच्चों की आंखें बंद हैं, क्योंकि वे थक गए हैं, जैसे कोई दिन भर का काम करके थक जाता है। किसी भी युवा जानवर (मानव शिशुओं की तरह), बाघ के बच्चों को बहुत नींद की आवश्यकता होती है, लेकिन इन शेरों के बच्चों को अक्सर पर्याप्त आराम नहीं मिलता। जो एझोटिक ने कैमरा पर बताया कि “शेर के बच्चों की उम्र 4 हफ्तों से 16 हफ्तों के बीच होने पर उनके साथ फोटो खिचवाने, खेलने एवं बातचीत करवाने के लिए आप एक लाख डॉलर कमा सकते हैं”।

 

एक अन्य दृश्य में, जो एझोटिक दर्जनों लोगों की भीड़ के सामने बाघ के बच्चे को पेश करता है और बताता है कि इस बच्चे की उम्र महज़ एक घंटा है” एपिसोड चार में यह दिखाया गया है कि “द ग्रेटर इनवुड एक्सोटिक एनिमल पार्क” नामक एक अव्यवस्थित और छोटे से चिड़ियाघरमें, एक शेरनी ने बच्चों को जन्म दिया था और पर्यटक उसके छोटे बच्चे को देखने की मांग कर रहे थे। तभी जो एग्जोटिक और उसके सहकर्मी ने उस शेरनी के छोटे से बच्चे को धातु की बनी एक छड़ में फसकर बाहर खींच लिया जबकि वह बच्चा अभी कुछ ही पल पहले जन्मा था। स्टाफ के एक सदस्य ने शेरनी के बच्चे को, उसकी माँ की नजर से उसे दूर करते हुए धातु से बनी जाली के निचे से उसे खिंच लिया।

समय से पहले बच्चों को माता से अलग कर देना अक्सर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक आघात का कारण बनता है।

प्रकृति में, शेर के बच्चे दो साल तक अपनी माँ के साथ सुरक्षित वातावरण में पलते- बढ़ते हैं,  लेकिन फोटो खींचने के लिए उन बच्चों को उनकी माँ से केवल कुछ ही घंटों, दिन या हफ़्तेभर में उन्हें अलग कर दिया जाता हैं। ठंड और गर्मी, तनाव, कुपोषण, थकावट और संभावित संक्रामक रोग शेर के बच्चों को प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से सबसे कम उम्र के बच्चों को जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती है।

इसके अलावा, “टाइगर राजा” नामक डॉक्यूमेंटरी के दृश्य में मनुष्य के साथ रहने वाले स्तनपायी प्राणियों के बारे में मनुष्य इस बात को अनदेखा करते हैं कि यह जानवर अपनी माँ से दूर है। सामाजिक कौशल सीखने के लिए और समाज में रहने के लिए व्यवहार सिखने के लिए इन स्तनपायी प्राणियों के बच्चों को अपनी माताओं के साथ lअम्बे समय तक अपने प्राकृतिक आवासों में  में रहने की आवश्यकता होती है।

शिकार के दौरान घायल हुए शेर जिंदगीभर पीड़ा सहते हैं।

एपिसोड एक में, ग्राफ और बास्किन के कथन में यह बताया गया है कि शेर के बच्चों का किस उम्र तक पालन पोषण और दुलार किया जाना चाहिए । डोक्यूसीरीज़ में इस चीज का वर्णन किया गया है कि, जब शेर के बच्चे बड़े हो जाते हैं तब वे फोटों खिंचवाने के काबिल नहीं रहते तो प्रदर्शक उन्हें किसी काम के नहीं समझते और उन्हें एक ख़र्चीले  पशु की नजर से देखते हैं जो कि 20 साल तक जीवित रहने वाला है। फिर भी इन जानवरों के दुर्भाग्य के बारे में बहुत कुछ नहीं बताया गया है।

श्रृंखला इस बात को इंगित करती है कि कुछ शेर मारे भी गए हैं, यहाँ वे इस बात का उल्लेख नहीं करते हैं कि अधिकांश चिड़ियाघरों में गंदे पिंजरों में पाए जाते हैं और कभी-कभी उनकी प्रजाति के शेरों की उपस्थिती बनाए रखने के लिए प्रजनन के लिए उनका उपयोग किया जाता है। अपनी इच्छानुसार रंग एवं पैटर्न वाले शेर बनाने के लिए प्रजननक जानबूझकर नस्लकर शेरों की पैदाइश करते हैं। डोक्यू सीरीज़ के चौथे संस्करण में एक सफ़ेद शेर की आँखों से यह संकेत मिलता है कि प्रजनन कर पैदा किए गए इन शेरों के साथ बहुत सी स्वास्थ समस्याएँ जुड़ी रहती हैं।

टाइगर किंगडोक्यूसीरीज़ के शुरुआती संसकरणों में, दर्शकों को शेरों की प्रजातियों को पालने, उनके साथ फोटो खिचवाने, शॉपिंग मॉल में ले जाने जैसी गतिविधियां करते दिखाया गया था। इस डोक्यू सीरीज़ में यह कभी नहीं बताया या दिखाया गया की यह सब करना खतरनाक है या शेर के बच्चों को इस तरह परिवहन करके लाना उनके लिए कितना तनावग्रस्त है। जब गाड़ी चारों तरफ घूमती है तो कमजोर, रक्षाहीन शावक अजीब वातावरण, तंग पिंजरों और अत्यधिक तापमान का अनुभव करते हैं। यह तनाव देने वाली स्थितियाँ हैं और इसी तरह की तनावपूर्ण परिवहन और हैंडलिंग से उत्पन्न स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण कई शेर व उनके बच्चे मर भी गए हैं।

शेर के बच्चे जंगल में अपनी माँ के साथ सुरक्षित होते हैं, न उन्हें ठूंस ठूंसकर ट्रक में रखा जाता है और न उन्हें मनोरंजन के लिए पिंजरों में कैद करके रखा जाता है।

टाइगर किंग शो में फिर से शेर व शेर के बच्चे को प्रदर्शित किया गया और यह भी नहीं बताया गया की उन्हें इस तरह शो पर लाना क्यूँ गलत नहीं है। टॉक शो में आने के लिए जंगली जानवरों को मजबूर किया जाता है, परिवहन के हेतु उन्हें लम्बे समय तक बांधकर रखा जाता है, वे जबरन शोर और भीड़भाड़वाली जगह में रहते हैं और उन्हें अत्यधिक तनाव सहना पड़ता है। दर्शकों के सामने जंगली जानवरों का शोषण किया जाता है, जिसके वजह से विदेशी जानवरों को “पालतू जानवर” के रूप में खरीदने की संभावना बढ़ सकती है। जंगली जानवरों को जबरदस्ती, तेज़ रोशनी और शोरगुल से घिरे मंच पर भेजना बहुत ही क्रूर है और इस प्रकार का जानवरों के साथ व्यवहार करना और अपने बच्चों को ऐसा करना सिखाना गैर-जिम्मेदाराना है। (भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972″ के तहत यह गैर कानूनी है) 

जो एग्झोटिक का यह “मर्डर फॉर हायर” तो काफी मनोरंजक साबित हुआ है लेकिन टाइगर किंगशो में शेरों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार का गहराई से खुलासा नहीं किया है। इसलिए आप जब नेटफ्लिक्स की इस सीरीज़ को पूरा देख लें तो एक बार कृपया इस वीडियो को भी जरूर देखने जो आपके सामने असल सच्चाई पेश करेगा।

….बाहर जाने पर कभी भी किसी पशु के साथ फोटो खिचवाने वाली गतिविधि में भाग न लें। प्रतिष्ठित अभयारण्य कभी भी जानवरों की नस्ल या बिक्री नहीं करते हैं, कभी भी जंगली जानवरों की शिकार या उनकी तस्वीर लेने की अनुमति नहीं देते, और कभी भी जंगली जानवरों को मेलों में या अन्य मनोरंजन के केंद्र बनने वाली गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं देते। जो भी व्यक्ति “अभयारण्य” नाम के तले किसी भी प्रकार का घटिया ऑपरेशन करता है उससे आप धोखा मत खाइये। मनोरंजन उद्योग में बंदी बनाये गए शेरों और अन्य जानवरों के साथ होनेवाले दुर्व्यवहार के बारे में आवाज उठाने के लिए निचे दिये  गए लिंक पर क्लिक करें।

फोटो खिचवाने के लिए इस्तेमाल होने वाले शेर पीड़ा सहते हैं- उनकी मदद हेतु कार्यवाही करें

PETA इंडिया और हमारे सहयोगी मनोरंजन हेतु शेरों और अन्य जानवरों की होने वाली पिटाई,दुर्व्यवहार एवं शोषण की उपेक्षा से बचाने हेतु अनेक प्रयास करते हैं और आपके समर्थन की उम्मीन्द करते हैं।