PETA इंडिया के वर्ष 2023 के दमदार प्रदर्शन जिन्होंने जनता को दयालु बनने के लिए प्रोत्साहित किया
इस वर्ष भी PETA इंडिया ने कई दमदार प्रदर्शनों का आयोजन करके, जनता को पशु हित में कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया और प्रजातिवाद का विरोध किया। इस वर्ष के पाँच बेहतरीन प्रदर्शनों की सूची नीचे दी गयी है:
PETA इंडिया की निदेशक ने हर्मेस द्वारा जानवरों पर किए जाने वाले अत्याचारों की निंदा की
PETA इंडिया की निदेशक पूर्वा जोशीपुरा ने घायल मगरमच्छ का रूप धारण कर, हर्मेस के बुटीक के बाहर प्रदर्शन कर इस फ्रांसीसी फैशन हाउस से अपील की कि वो घड़ियाल, मगरमच्छ और अन्य विदेशी जानवरों की चमड़ी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाए जिन्हें इस कंपनी के चमड़े के बैग और सहायक उपकरण बनाने के लिए यातनाएं दी जाती है और मौत के घाट उतार दिया जाता है।
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21 से 23 मई तक आयोजित होने वाले G20 के Environment and Climate Sustainability Working Group (ECSWG) की बैठक से पहले, PETA इंडिया और आश्रय फाउंडेशन के समर्थक ‘डायनासोर’ की पोशाक पहनकर संगठन को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया जिसके अनुसार, “विनाशपूर्ण भोजन का सेवन न करें। वीगन जीवनशैली अपनाएँ!” इन डायनासोर ने ECSWG से उपभोक्ताओं और व्यवसायों को वीगन बनने के लिए प्रोत्साहित करने वाली नीतियां विकसित करके जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या से निपटने का आग्रह किया।
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मास्क पहनकर ‘पग्स’ ने बेंगलुरुवासियों से दयालुता की अपील करी
PETA इंडिया ने बेंगलुरु में एक प्रदर्शन करके जनता को यह संदेश दिया गया कि पग जैसे विदेशी प्रजाति के ब्रैचिसेफलिक (चपटे-मुँह) वाले कुत्तों को सांस लेने में परेशानी होती है और जनता से उन्हें कभी न खरीदने का अनुरोध किया गया। पग भारत में सबसे लोकप्रिय कुत्तों की प्रजातियों में से एक हैं, इसलिए संस्थान द्वारा यह कदम उठाया गया। छोटी नाक और चपटे मुँह वाले कुत्तों को अक्सर सांस की गंभीर समस्याओं के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है।
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PETA इंडिया के डरे हुए ‘बंदरों’ की टोली ने क्रूरता से बचने की गुहार लगाई
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत ‘रीसस मकाक’ (बंदरों की एक प्रजाति) को 50 वर्षों से प्रदान की गई सुरक्षा के हटने के बाद, PETA इंडिया के समर्थक, शुक्रवार को बंदर के बड़े-बड़े मुखौटे पहनकर एवं अपने हाथों में साइन पकड़कर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से रीसस मकाक को प्रदान की गयी रक्षा बहाल करने का आग्रह किया। इस प्रकार का संरक्षण प्राप्त होने पर, रीसस मकाक को परीक्षण, मांस, या पालतू पशु उद्योग एवं अन्य प्रकार के शोषण से बचाया जा सकेगा।
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प्रयागराज के बच्चों ने जनता से जानवरों का इस्तेमाल करने वाले सर्कस का समर्थन न करने का आग्रह किया
PETA इंडिया के युवा समर्थकों ने जानवरों के मुखौटे पहनकर और हाथ में संदेश लिखी तख्तियां पकड़ कर प्रयागराज में प्रदर्शन में भाग लिया। इन तख्तियों पर लिखा था “पशु सर्कस पर प्रतिबंध लगाएं” और “जानवरों को खुश करें, पशु सर्कस को ना कहें”। उनका उद्देश्य PETA इंडिया के अनुरोध के प्रति अपना समर्थन दिखाना था कि केंद्र सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय सर्कस में जानवरों के उपयोग को समाप्त करें और राहगीरों को बताएं कि प्रदर्शन व करतब करने के लिए मजबूर करने पर जानवरों को पीड़ा होती है।
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प्रत्येक संवेदनशील प्राणी सम्मान और प्रेम का पात्र है। हमें अपने भोजन, मनोरंजन या किसी भी प्रकार के वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए पशुओं का शोषण नहीं करना चाहिए।
क्या आप भी पशु हित में कदम उठाने हेतु प्रेरित महसूस कर रहे हैं? आज भी हमारे एक्टिविस्ट नेटवर्क से जुड़ें और जानवरों के लिए बदलाव लाएँ: