PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, मुंबई में अवैध दौड़ के कार्यक्रम के बाद बारह घोड़ों को अंतरिम अभिरक्षा के लिए अभयारण्य भेजा गया
हाल ही में हुई अदालती कार्यवाही में, मुंबई के विक्रोली में माननीय 50वें न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) न्यायालय ने ईस्टर्न एक्सप्रेसवे पर अवैध घोड़ा-गाड़ी दौड़ में इस्तेमाल किए गए बारह घोड़ों को महाराष्ट्र स्थित अभयारण्य में भेजने की अंतरिम अभिरक्षा प्रदान की। न्यायालय की यह कार्यवही PETA इंडिया के हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप की गई।। घोडा गाड़ी की यह अवैध दौड़ दिनांक 3 दिसंबर को आयोजित की गई थी जिसमे सुबह 3 से 4 बजे के बीच घोडा-गाड़ियों को घाटकोपर पूर्व से विक्रोली की ओर दौड़ाया गया था।
PETA इंडिया की शिकायत पर, पंत नगर पुलिस स्टेशन ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 125, 281 और 291 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1) के तहत स्वत: संज्ञान लेते हुए अज्ञात आयोजकों, घोड़ा-गाड़ी चालकों और इसमें शामिल अन्य लोगों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की । बाद में राजमार्ग पर लगे सीसीटीवी कैमरों ने अज्ञात आयोजकों और घोड़े के मालिकों की पहचान की । PETA इंडिया ने पुलिस के साथ सहयोग किया और सुनिश्चित किया कि सभी बारह घोड़ों को जब्त कर लिया जाए। इसके बाद, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत अधिसूचित “पशु क्रूरता रोकथाम (केस संपत्ति पशुओं की देखभाल और रखरखाव) नियम, 2017” के अनुपालन में, जब्त किए गए घोड़ों की अंतरिम अभिरक्षा महाराष्ट्र स्थित अभयारण्य को सौंप दी गई थी।
PETA इंडिया ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया कि प्रदर्शन करने वाले पशु (पंजीकरण) नियम, 2001 के तहत, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) के साथ पंजीकृत हुए बिना किसी भी पशु को प्रशिक्षण, प्रदर्शनी या प्रदर्शन के लिए कानूनी रूप से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। पशुओं की दौड़ जैसे आयोजन पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का उल्लंघन करते हैं और पशुओं के परिवहन नियम, 2001 का उल्लंघन कर सकते हैं। इसके अलावा, PETA इंडिया ने 2016 के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया, जिसमें एडब्ल्यूबीआई द्वारा प्रस्तुत एक अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर राज्य में तांगा दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि घोड़ों के प्रति क्रूरता तब अंतर्निहित होती है जब उन्हें यातायात की स्थिति के बीच सड़कों पर दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है जो उनके लिए भयावह और परेशान करने वाली होती है।
“केस संपत्ति पशुओं की देखभाल और रखरखाव नियम, 2017” का नियम 3(बी) मजिस्ट्रेट को जब्त किए गए पशुओं की अभिरक्षा किसी पशु कल्याण संगठन को देने का अधिकार देता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय, विभिन्न उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में जब्त किए गए पशुओं की अंतरिम अभिरक्षा मुकदमे की लंबित अवधि के दौरान पशु कल्याण संगठनों को सौंपे जाने के संबंध में न्यायिक मिसालें मौजूद हैं, ताकि उनके साथ और अधिक दुर्व्यवहार को रोका जा सके।
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