सिंगरौली में दो अलग-अलग घटनाओं में गायों को कुचलने के आरोप में दो लोगों पर मामला दर्ज; PETA इंडिया के अनुसार ऐसी घटनाओं के लिए डेयरी उपभोग आंशिक रूप से जिम्मेदार है

Posted on by Shreya Manocha

एक स्थानीय कार्यकर्ता द्वारा एक बेहद परेशान करने वाला वीडियो रिपोर्ट किए जाने के बाद, जिसमें एक कार चालक को सड़क पर बैठे एक बछड़े के ऊपर धीमी गति से कार चढ़ाते हुए देखा जा सकता है, PETA इंडिया ने गौसेवा संस्थान सिंगरौली से संबंधित नितिन पांडे और वैधान पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी के साथ मिलकर कार्य किया एवं संबंधित अपराधी के खिलाफ़ कानून के कड़े प्रावधानों के तहत FIR दर्ज़ कराई। PETA इंडिया द्वारा अपराधी के खिलाफ़ विशेष रूप से, ‘मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम (MPGVPA), 2004’ की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का आह्वान किया गया और हमारे हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप, MPGVPA, 2004 की धारा 4 और 9 के तहत FIR दर्ज की गई। उसी दिन और उसी कार्यकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, वैधन पुलिस स्टेशन ने इसी तरह की घटना के लिए एक और FIR दर्ज की, जिसमें एक ड्राइवर ने एक गाय को कुचल दिया था। यह अत्यंत दुःखद है कि इन दोनों घायल पशुओं को अंततः अपनी जान गंवानी पड़ी।

MPGVPA, 2004, की धारा 9, किसी भी गाय या गोवंश के वध को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध घोषित करती है, जिसके लिए सात साल तक की जेल और न्यूनतम 5,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। अधिनियम की धारा 4 के तहत “वध” शब्द को “किसी भी तरीके से हत्या” के रूप में परिभाषित किया गया है और इसमें अपंग बनाना या शारीरिक चोट पहुंचाना शामिल है जो सामान्य स्थिति में मौत का कारण बनेगा या अप्राकृतिक मौत का कारण बनने के इरादे से किया गया कोई भी कार्य शामिल है।

PETA इंडिया की क्रुएल्टी रिस्पांस कोर्डिनेटर सलोनी सकारिया ने कहा, “प्रत्येक व्यक्ति जो डेयरी का उपभोग करता है, इन मौतों के लिए ज़िम्मेदार है, क्योंकि नर बछड़े दूध नहीं दे सकते, और जिन गायों और भैंसों का दूध उत्पादन कम हो गया है उन्हें आमतौर पर सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। हम तात्कालिक रूप से FIR दर्ज़ करे हेतु और इसमें सभी कड़े प्रावधानों के शामिल करने हेतु सिंगरौली पुलिस, विशेष रूप से पुलिस अधीक्षक श्रीमती निवेदिता गुप्ता, IPS का आभार प्रकट करते हैं जिससे जनता के बीच यह संदेश जाएगा कि पशुओं के प्रति किसी प्रकार की क्रूरता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।“

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग की 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, भारत में 5 मिलियन से अधिक लावारिस गायें हैं। सड़कों पर छोड़े गए नर बछड़ों के साथ-साथ मादा गायें और भैंसें स्वयं और मोटर चालकों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करती हैं। गायों को अक्सर उन राज्यों में तस्करी करके ले जाया जाता है जहां उनके वध की अनुमति है, और इनमें से कुछ अत्यधिक भीड़-भाड़ वाली, कम वित्तपोषित गौशालाओं में पहुंच जाती हैं, जहां पर्याप्त पशु चिकित्सकीय देखभाल का अभाव होता है।

डेयरी क्षेत्र में, अधिकांश गाय और भैंस गंदे शेडों तक ही सीमित हैं और उन्हें अपने ही मल-मूत्र में खड़े रहने के लिए बाध्य किया जाता हैं। इंसानों की तरह, मादा गाय या भैंस भी तभी दूध देती हैं जब वे गर्भवती हों या हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो। खेतों में, श्रमिकों द्वारा उन्हें बार-बार जबरन गर्भवती किया जाता है, जो जानवरों के मलाशय में एक हाथ डालकर और उनकी योनि में वीर्य पहुंचाने के लिए एक धातु की छड़ डालकर कृत्रिम रूप से उनका गर्भाधान करते हैं। उनके नवजात बछड़ों को जन्म के कुछ समय बाद ही उनसे छीन लिया जाता है ताकि उन्हें पोषण देने वाला दूध चुराया जा सके और इंसानों को बेचा जा सके। मादा बछड़ों को आमतौर पर दूध का विकल्प दिया जाता है।

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