PETA इंडिया की शिकायत के आधार पर नमक्कल वन प्रभाग द्वारा दो तोतों को बचाया गया
एक संवेदनशील नागरिक से यह जानकारी प्राप्त होने के बाद कि एक घर में दो एलेक्जेंड्रिन तोतों को एक छोटे एवं गंदे पिंजरे में कैद करके रखा गया है, PETA इंडिया ने नमक्कल के वन अधिकारियों के साथ मिलकर इन पक्षियों को बचाया। घटनास्थल पर पहुँचने पर रेस्क्यू करने गए बचाव दल को दो तोते मिले, जिन्हें वन विभाग द्वारा तुरंत जब्त कर लिया गया। इस मामले में आरोपी को पकड़कर, उसके खिलाफ वन्यजीव अपराध रिपोर्ट दर्ज की गई और व्यक्ति पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
इन पक्षियों को रेस्कयू के बाद, स्वास्थ्य जांच, उपचार एवं अस्थायी पुनर्वास हेतु भेजा गया है और इन्हें पूरी तरह ठीक होने के बाद प्रकृति में छोड़ दिया जाएगा। एलेक्जेंड्राइन तोते वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA) की अनुसूची II के तहत संरक्षित प्रजाति की श्रेणी में आते हैं। संरक्षित प्रजाति के पशुओं को खरीदना, बेचना या पालना एक अपराध है और इसके लिए तीन साल की जेल की सजा और अधिकतम 1 लाख रुपये के जुर्माने या दोनों का प्रावधान है। PETA इंडिया ने महाराष्ट्र वन विभाग को पत्र लिखकर संबंधित अपराधियों के खिलाफ़ WPA की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है।
पक्षियों के अवैध व्यापार में, अनगिनत पक्षियों को उनके परिवारों से अलग कर दिया जाता है और हर उस चीज़ से वंचित कर दिया जाता है जो उनके लिए प्राकृतिक रूप से महत्वपूर्ण है ताकि इन पक्षियों को “पालतू जीवों” के रूप में बेचा जा सके या फर्जी तौर पर, भाग्य-बताने वाले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। नन्हे-नन्हे पक्षियों को अक्सर उनके घोंसलों से जबरन उठा लिया जाता है जिस कारण अन्य पक्षी भी घबरा जाते हैं। इस दौरान पिंजरों से निकलने का प्रयास करते हुए कई पक्षी गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं और अपनी जान भी गवां देते हैं। पकड़े गए पक्षियों को छोटे-छोटे पिंजरों में बंद किया जाता है, एवं अनुमानित तौर पर इनमें से 60% पक्षी टूटे हुए पंख और पैर एवं प्यास या अत्यधिक घबराहट के कारण रास्ते में ही मर जाते हैं। इसके बाद भी जो पक्षी बचा जाते हैं उन्हें अंधेरे पिंजरों की कैद और अकेले जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वह कुपोषण, मानसिक बीमारियों एवं तनाव का सामना करते हैं और दुर्व्यवहार से पीड़ित होते हैं।