2025 में दो ग्रैमी पुरस्कारों के लिए नामांकित ‘अनुष्का शंकर’ ने PETA इंडिया के साथ मिलकर थ्रीसूर के ‘कोम्बरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर’ को एक यांत्रिक हाथी दान किया

Posted on by Shreya Manocha

2025 में दो श्रेणियों में ग्रैमी नामांकित सितार वादिका अनुष्का शंकर और PETA इंडिया ने थ्रिस्सूर स्थित ‘कोम्बरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर’ को एक जिंदा हाथी जितना बड़ा कोम्बरा कन्नन, नामक मैकेनिकल हाथी, भेंट किया। मंदिर को यह हाथी उनके इस निर्णय के बाद दिया गया कि वह मंदिर के धार्मिक आयोजनों हेतु कभी भी जीवित हाथियों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। अनुष्का शंकर को 2 फरवरी 2025 को अमेरिका के लॉस एंजिल्स में आयोजित ग्रैमी अवार्ड्स में दो श्रेणियों के लिए नामांकित किया गया था।कोम्बरा कन्नन का स्वागत समारोह श्री सतीश विमलन, सचिव, उन्नाई वारियर मेमोरियल कला निकाय द्वारा किया गया। मंदिर के क्रिया कलापों हेतु अब इस यांत्रिक हाथी का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि असली हाथी अपने प्राकृतिक आवास में, अपने परिवारों के साथ स्वतंत्र रूप से रह सकें। कोम्बरा कन्नन के ‘नडायिरुथल’ (स्वागत समारोह) के बाद, मंदिर में श्री. कालामंदलम हरिश मारार के नेतृत्व में एक बेहतरीन और ऊर्जा से भरपूर पंचारी मेलम प्रदर्शन आयोजित किया गया।

“मैं PETA इंडिया के साथ मिलकर कोम्बारा कन्नन नामक यांत्रिक हाथी, को कोम्बारा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर को दान करके बहुत खुश हूं। सभी भक्त खासकर बच्चे कोम्बारा कन्नन को बहुत पसंद कर रहे हैं । यह हाथी मंदिर में आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों के लिए उपयुक्त है और इसे सजीव हाथियों की तरह अकेलेपन और भूख-प्यास जैसी अन्य परेशानियाँ का सामना भी नहीं करना पड़ता है। कोम्बारा कन्नन जैसे यांत्रिक हाथियों को मंदिरों में अपनाकर असली हाथियों को अपने प्राकृतिक आवासों में अपने परिवारों के साथ स्वतंत्र रूप से रहने का सुखी अवसर दिया जा सकता है।” – अनुष्का शंकर 

“हमें अनुष्का शंकर और PETA इंडिया से कोम्बरा कन्नन  नामक यांत्रिक हाथी दान में लेकर अत्यंत खुशी हो रही है। यह हाथी हमारे मंदिर द्वारा अनुष्ठान और त्योहारों के लिए कभी भी जीवित हाथियों का प्रयोग न करने या उन्हें किराए पर न लेने के निर्णय के सम्मान में दान किया गया है। हम मानते हैं कि ईश्वर द्वारा बनाए गए सभी जीवों को प्रेम और सम्मान का अधिकार है।” – कोम्बरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर के अध्यक्ष श्री रवि रामबूतिरी 

हाथी जंगल में रहने वाले बेहद समझदार, सक्रिय और मिलनसार पशु होते हैं। इंसानों के मनोरंजन हेतु अनेकों तरह के प्रदर्शन और कार्यक्रमों में इस्तेमाल करने के लिए हाथियों को कैद करके, उनके साथ मारपीट कर, उन्हें यातनाएं देकर उनका मनोबल तोड़ दिया जाता है ताकि वह इंसानों की आज्ञा का पालन कर सकें। मंदिरों और अन्य स्थानों पर बंदी बनाकर रखे गए हाथियों को जंजीरों से जकड़कर घंटों तक पक्के फर्श या सीमेंट से बने फ्लोर पर खड़े रहने के लिए मजबूर किया जाता है जिस कारण उनके पैरों में दर्दनाक घाव और अन्य जटिल समस्याएं होती हैं। इनमें से अधिकांश पशुओं को उनकी जरूरत के अनुसार पर्याप्त भोजन, पानी, पशु चिकित्सकीय देखभाल और प्राकृतिक परिवेश से वंचित रखा जाता है। इस प्रकार की दयनीय परिस्थितियों के चलते कई हाथी हताशा और निराशा का शिकार होते हैं और हमला करके अपने महावत या आसपास के लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं। ‘हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स’ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, केरल में बंधी हाथियों ने पिछले 15 साल की अवधि में 526 लोगों की जान ली है।

PETA इंडिया ने 2023 की शुरुआत में मंदिरों में जीवित हाथियों की भलाई के लिए इस अभियान की शुरुवात की थी। आज, दक्षिण भारत के बारह से अधिक  मंदिरों में असली हाथी की जगह यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जा रहा है, जिनमें से सात हाथी PETA इंडिया द्वारा दान किए गए हैं। दान में दिए गए यह हाथी उन मंदिरों के इस निर्णय का सम्मान है कि वे कभी भी किसी जीवित हाथी को मंदिर के क्रिया कलापों हेतु इस्तेमाल नहीं करेंगे ना ही किराए पर लेंगे। अब इन सभी मंदिरों में अनुसहस्थानों हेतु यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जाता है।

यांत्रिक हाथियों की लंबाई कुल 3 मीटर और वजन कुल 800 किलोग्राम होता है। यह रबर, फाइबर, मेटल, जाल, फोम और स्टील से बने होते हैं और पाँच मोटरों की मदद से काम करते हैं। यह सभी हाथी बिल्कुल किसी असली हाथी की तरह दिखते हैं और इनका उपयोग भी उसी रूप में किया जाता है। यह अपना सिर, कान और आँख हिला सकते हैं, अपनी पूंछ घुमा सकते है, अपनी सूंड उठा सकते है और सूंड से भक्तों पर पानी भी छिड़क सकते है। इन हाथियों की सवारी भी की जा सकती है औरइन्हें बिजली से संचालित किया जा सकता है। इनके नीचे छोटे व्हील लगे रहते हैं ताकि धार्मिक कार्यक्रमों की जरूरत बके अनुसार इन्हें धकेल कर या खींच कर सामान्य सड़कों पर से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।

थ्रिसूर स्थित कोम्बरा श्रीकृष्ण स्वामी मंदिर भगवान श्री कृष्ण का सदियों पुराना मंदिर है जिसकी स्थानीय समुदाय में बहुत मान्यता है। यह मंदिर धार्मिक और सामाजिक आयोजनों का प्रमुख केंद्र है, जहां भक्त भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने, आंतरिक शांति पाने और सकारात्मकता महसूस करने के लिए आते हैं। भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजे जाने वाले श्री कृष्ण अपनी चंचलता और बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर में स्थापित आकर्षक मूर्ति को बेहद सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाया गया है, जो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई बारीक नक्काशी हिंदू पुराणों से जुड़ी कथाओं को दर्शाती है, जो मंदिर की सुंदरता को और बढ़ाती है।

हाथियों को क्रूर पशु प्रदर्शनों से बचाएं