PETA इंडिया के हस्तक्षेप के बाद, उज्जैन पुलिस ने कुत्ते पर हमला करके उसकी आँख फोड़ने वाले अपराधियों के खिलाफ़ मामला दर्ज़ किया
किसी व्यक्ति द्वारा एक सामुदायिक कुत्ते पर हमला करके उसे गंभीर रूप से घायल करने और उसकी आँख फोड़ने जैसी भयानक घटना की जानकारी प्राप्त होने के बाद, PETA इंडिया ने राधा यादव नामक स्थानीय फीडर एवं देखभालकर्ता के साथ मिलकर कानून के कड़े प्रावधानों के तहत नीलगंगा पुलिस स्टेशन के प्रभारी के सहयोग से FIR दर्ज़ कराई। PETA इंडिया के हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप, नीलगंगा पुलिस स्टेशन द्वारा दो आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 296, 351 (2), 333 एवं 325 और पशु क्रूरता निवारण (PCA) अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत मामला दर्ज़ किया गया है। इस पीड़ित कुत्ते की चिकित्सकीय जांच क्षेत्र के पशुचिकित्सक द्वारा करी गयी और अब यह एक देखभालकर्ता की देखरेख में है।
PETA इंडिया पशु क्रूरता के अपराधियों की मनोदशा का मूल्यांकन और काउंसलिंग की सिफारिश करता है क्योंकि पशुओं के प्रति शोषण के कृत्य एक गहरी मानसिक अशांति को इंगित करते हैं। शोध से पता चला है कि जो लोग पशुओं पर क्रूरता करते हैं, वह अक्सर आगे चलकर अन्य पशुओं व मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। फोरेंसिक रिसर्च एंड क्रिमिनोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि “जो लोग पशु क्रूरता में शामिल होते हैं, उनके अन्य अपराध करने की संभावना 3 गुना अधिक होती है, जिसमें हत्या, बलात्कार, डकैती, हमला, उत्पीड़न, धमकी और नशीली दवाओं/मादक द्रव्यों का सेवन शामिल है।”
PETA इंडिया देश के ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम’, 1960 को मजबूत करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहे हैं। यह कानून और इसके दंड प्रावधान बहुत पुराने और अप्रासंगिक है, जैसे इसके अंतर्गत पहली बार पशुओं पर अपराध का दोषी पाये जाने पर महज़ 50 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है (जबकि ऐसे अपराधियों के लिए BNS, 2023 के अंतर्गत सख्त प्रावधानों का निर्धारण किया गया है)। PETA इंडिया ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर PCA अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशु क्रूरता के खिलाफ़ कठोर दंड प्रावधानों की सिफारिश की है।