“उत्तराखंड वन विभाग” ने मुश्क बिलाव (सिवेट) की पीटकर हत्या करने के जुर्म में अभियुक्तों के खिलाफ़ POR दर्ज़ की
“उत्तराखंड वन विभाग” ने ऐसे दो अभियुक्तों के खिलाफ POR दर्ज की है जिन्होंने अपने कुत्ते को एक विस्थापित “मुश्क बिलाव” (सिवेट) (भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत एक संरक्षित प्रजाति) पर हमला करने दिया और बाद में बहुत क्रूर तरीके से इस जानवर को डंडे से मार-मारकर मौत के घाट उतार दिया। यह कार्यवाही PETA, इंडिया द्वारा दर्ज़ कराई गयी शिकायत और प्रस्तुत किए गए वीडियो साक्ष्य के बाद की गई।
मुश्क बिलाव (सिवेट) “वन्यजीव संरक्षण अधिनियम” की अनुसूची II, भाग II के तहत संरक्षित प्रजाति है। आरोपी के खिलाफ WPA की धारा 2 (16), 9, 39 और 51 के अंतर्गत POR दर्ज़ की गई है। यह अपराध गैर-जमानती है और इसके लिए सात साल तक की जेल की सज़ा और 10,000 रुपये के न्यूनतम जुर्माने का प्रावधान है। यह अपराधी अभी लापता हैं और वन विभाग द्वारा इनकी तलाश ज़ारी है।
सरकार द्वारा मुश्क बिलाव (सिवेट) जैसे जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया जाना चाहिए जिससे इन्सानों एवं जानवरों के बीच होने वाले टकराव को रोका जा सके। इस तरह के संघर्षों को रोकने हेतु कई मानवीय और संवेदनशील तरीके अपनाए जा सकते हैं जैसे- सौर ऊर्जा से चलने वाले बिजली के बाड़ लगाना, मानवों द्वारा जानवरों पर की जाने वाली जवाबी कार्रवाई को रोकने के लिए अंतरिम राहत कार्यक्रमों की शुरुआत करना, ग्रामीण निवासियों के लिए वन संसाधनों के विकल्प प्रस्तुत करना, अवैध रूप से अतिक्रमित वनभूमि को खाली कराना, ग्रामीणों के लिए आजीविका विकल्प तैयार करना, और लोगों के बीच पशु संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
मनोविज्ञान और अपराध शास्त्र से संबंधित विभिन्न शोधों से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वे आगे चलकर अन्य जानवरों या मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। अब इस विचार को लेकर समाज में यह व्याप्त सोच बन चुकी है कि किसी भी जीवित प्राणी के साथ होने वाला शोषण स्वीकार नही है और यह मनुष्यों सहित सभी के लिए ख़तरनाक है। PETA इंडिया के “दयालु नागरिक कार्यक्रम” के अंतर्गत स्कूली छात्रओं को सभी जानवरों की रक्षा और उनका सम्मान करना सिखाया जाता है।