PETA इंडिया के वैलेंटाइन ‘एन्जिल्स’ करुणा का संदेश लेकर भोपाल पहुंचें

Posted on by Shreya Manocha

वैलेंटाइन डे से ठीक पहले, PETA इंडिया और एनीमल्स विद ह्युमैनिटी (AWH) के समर्थकों ने लाल गाउन और एंजल विंग्स में सजकर, जोड़ों और राहगीरों को लाल गुलाब और ताजे-ताजे वीगन कपकेक वितरित किए। ये कपकेक भोपाल स्थित ‘केक बाय रीता’ बेकरी द्वारा तैयार किए गए थे। इस दौरान, वे हाथ में एक साइन भी पकड़े हुए थे, जिस पर लिखा था “अपने दिल की सुनें: वीगन बनें”। ये वैलेंटाइन ‘एन्जिल्स’ लोगों को पशुओं के प्रति दया दिखाने और स्वस्थ, मानवतावादी वीगन आहार अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

 

PETA इंडिया का कहना है कि आम धारणा के विपरीत, वीगन आहार भारतीय परंपरा का हिस्सा है। 5,000 साल पहले की हिमालयी जनजातियां पूरी तरह से वीगन थीं, जो इसका एक सशक्त उदाहरण है। इसके अलावा, वीगन आहार वह शाकाहारी आहार है, जिसमें डेयरी उत्पादों का पूर्णतया त्याग किया जाता है और केवल पौधों से प्राप्त भोजन पर निर्भर रहा जाता है। शाकाहारी भोजनशैली भारत से उत्पन्न हुई थी। यह आहार पश्चिमी देशों में चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से प्रभावी था। 2023 में हुए YouGov इंडिया पोल के अनुसार, 59 प्रतिशत भारतीयों ने जल्द ही वीगन आहार अपनाने की इच्छा जताई है। 74 प्रतिशत लोग इसे सेहत के लिए बेहतर विकल्प मानते हैं, 73 प्रतिशत इसे पशु क्रूरता को रोकने का प्रभावी तरीका मानते हैं, 72 प्रतिशत का मानना है कि यह पर्यावरण के लिए लाभकारी है, और 62 प्रतिशत इसे अपनाने में आसान मानते हैं।

 

डेयरी उद्योग में बछड़ों को डर और पीड़ा से उनकी माताओं से जबरन अलग कर दिया जाता है, ताकि इंसान उनके लिए उत्पादित दूध छीनकर पी सकें। नर बछड़ों को अक्सर लावारिस छोड़ दिया जाता है या मार दिया जाता है, क्योंकि वे दूध नहीं उत्पन्न कर सकते, और इन्हीं की बदौलत डेयरी उद्योग मांस उद्योग को मवेशियों की आपूर्ति करता है।

हर वीगन व्यक्ति हर साल लगभग 200 पशुओं की जान बचाता है, अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है, और कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और मोटापे जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को घटाता है। SARS, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू और संभवतः COVID-19 जैसे संक्रमणों का भी संबंध पशुओं को मारने और उनके मांस को खाने से है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए एक वैश्विक वीगन बदलाव आवश्यक है, जिससे 2050 तक 80 लाख मानव जीवन बचाए जा सकते हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, वीगन जीवनशैली अपनाने वाला हर व्यक्ति अपने कार्बन फुटप्रिंट को 73 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

आज ही वीगन भोजनशैली अपनाएं