जीत ! PETA इंडिया के इनपुट के बाद, स्नातकोत्तर चिकित्सा प्रशिक्षण में बदलाव करने से अनगिनत जानवरों को मरने से निजात

Posted on by Sudhakarrao Karnal

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने PETA इंडिया की सिफ़ारिशों का पालन करते हुए अपने स्नातकोत्तर फार्माकोलॉजी पाठ्यक्रम के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो देशभर में अनगिनत जानवरों का जीवन बचाने में मददगार साबित होंगे। नए दिशानिर्देश कई गैर पशु शिक्षण एवं परीक्षण विधियों के उपयोग की सलाह देते हैं और अब जानवरों पर किए जाने वाले कुछ प्रयोगशाला प्रयोगों को अनिवार्य नहीं बनाते।

 

PETA इंडिया और कई अन्य संथाओं द्वारा चलाये गए कई बड़े अभियानों की सफलता के बाद अब भारत में स्नातक चिकित्सा शिक्षण एवं प्रशिक्षण में जानवरों का उपयोग नहीं किया जाता। इसके अलावा, NMC के नए दिशानिर्देशों के लिए धन्यवाद, अब स्नातकोत्तर शिक्षण और प्रशिक्षण के दौरान जानवरों की त्वचा या आँखों में जहरीले रसायनों को डालना, उन्हें जहरीले धुएं में सांस लेने के लिए मजबूर करना, जानबूझकर उन्हें संक्रमित बीमारियों के हवाले करने जैसे कृत्यों से निजात मिलेगी जिनके चलते वह अक्सर दम घुटने से मर जाते थे या फिर इन प्रयोगों के बाद उनकी गर्दन काट दी जाती थी।

NMC को लिखे गए पत्र में PETA इंडिना ने बताया कि कई भारतीय मेडिकल स्कूल इस बात की पुष्टि करते हैं कि गैर पशु तरीके भी मेडिकल साइंस को सीखने के लिए पर्याप्त प्रभावी हैं व प्रयोग की पुनरावृत्ति की सुविधा प्रदान करते हैं, प्रयोगात्मक अवधारणाओं की छात्रों की समझ में सुधार करते हैं, उनकी अवधारणा क्षमता को बढ़ाते हैं और जानवरों पर प्रयोग करते समय सामने आने वाली कई समस्याओं से भी निजात दिलाते हैं। PETA समूह ने स्नातकोत्तर फार्माकोलोजी विज्ञान के छात्रों के शिक्षण और प्रशिक्षण के लिए जारी दिशानिर्देशों में पशु परीक्षणों को गैर पशु परीक्षण विधियों में बदले जाने के अवसरों को भी सांझा किया।

पिछले दिशानिर्देशों के अनुसार खरोगोशों, चूहों व गिनी सूअरों पर प्रयोग करके सीखने की जगह पर अब नए दिशानिर्देशों में फार्माकोलॉजी के छात्रों हेतु यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वह दवाओं को प्रशासित करने व दवाओं के प्रभावों का अध्ययन सीखने के लिए जानवरों के प्रयोगो की बजाए कम्प्युटेशनल मॉडल का उपयोग करके सीखें। कुछ प्रशिक्षणों के लिए (जैसे स्मृति और मस्तिष्क-समन्वित अभियानों को प्रभावित करने वाली दवाओं का अध्ययन) यह दिशानिर्देश मानव स्वयंसेवकों के उपयोग की सलाह देते हैं।

इसके अलावा, उन प्रयोगों के लिए जिनमें दवाओं या रसायनों को जानवरों की आँखों में रगड़ा जाता है या जानवरों को जानबूझकर बीमारियों से संक्रमित किया जाता है, नए दिशानिर्देश अब इनकी बजाए मानव प्रासंगिक इन-विट्रो और सिमुलेशन मॉडल को अपनाने की सलाह देते हैं। यह दिशानिर्देश व्यावहारिक परीक्षणों के लिए भी जानवरों का उपयोग करने की बजाए मनुष्यों पर दवायों के प्रभावों का असर जानने और उनके परिणाम के व्याख्यान का सुझाव देते हैं। नए दिशानिर्देश अब यह भी अनुशंसा करते हैं कि छात्र “कम्यूटर आधारित शिक्षा ग्रहण करने की उपयोगिता” को महत्व दें।

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