PETA इंडिया के दबाव के बाद, सोलापुर में बैलों की अवैध लड़ाई के समारोह को रद्द किया गया
यह ख़बर मिलने के बाद कि 21 फरवरी को सोलापुर जिले के पंढरपुर तालुका के शेगांव डुमाला गांव में बैलों की एक अवैध लड़ाई का आयोजन किया जा रहा है PETA इंडिया द्वारा सोलापुर ग्रामीण पुलिस के साथ तुरंत कार्यवाही करते हुए इस आयोजन को रद्द कराया गया।
PETA इंडिया की क्रुएल्टी रिस्पॉन्स टीम द्वारा सोलापुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक और सोलापुर ग्रामीण पुलिस प्रभाग के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर उचित कार्यवाही की गई। इसके परिणामस्वरूप संबंधित आयोजन को रद्द किया गया एवं कई बैलों की जान बचाई गई।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशुओं को आपस में लड़ने से उकसाना अपराध है। वर्ष 2014 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा PETA इंडिया और जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड नामक सरकारी निकाय के हक़ में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले के अनुसार, बैलों, कुत्तों सहित सभी जानवरों की मनोरंजन के लिए आयोजित लड़ाइयों को अवैध घौषित किया गया और इन पर रोक लगाने का आदेश दिया गया।
शोध से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह आगे चलकर जानवरों या मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, वीरप्पन एक पशु शिकारी होने के साथ-साथ एक सीरियल किलर भी था और नोएडा के प्रसिद्ध बाल हत्या कांड में अपराधी मोनिन्दर सिंह को भी जानवरों का शिकार करते पाया गया था। एक अध्ययन में सामने आया, बाल शोषण और उपेक्षा का सामना करने वाले 60% परिवारों में साथी जानवरों को भी शोषण का सामना करना पड़ा।
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