PETA इंडिया की शिकायत के बाद रायगढ़ में बैलों की अवैध लड़ाई के आयोजन पर रोक लगाई गई
सोशल मीडिया पर एक प्रोर्मोशनल वीडियो के माध्यम से यह जानकारी मिलने के बाद कि 25 दिसंबर को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड तालुका के पिंपलवाड़ी गांव में बैलों की अवैध लड़ाई का आयोजन किया जा रहा है, PETA इंडिया ने रायगढ़ पुलिस के साथ तत्कालिक रूप से कार्य करके इस लड़ाई पर रोक लगवाई। PETA इंडिया की शिकायत पर कार्रवाही करते हुए, इस अवैध लड़ाई के आयोजकों को नोटिस जारी करके उन्हें निर्धारित कार्यक्रम रद्द करने का निर्देश दिया गया। आयोजकों द्वारा शिव सेना की महाराष्ट्र युवा सेना की कोर कमेटी के सदस्य और कोंकण क्षेत्र के युवा सेना सचिव, श्री विकास गोगावले के जन्मदिन के उपलक्ष्य में इस लड़ाई का आयोजन किया गया था और पुलिस निर्देश का अनुपालन करते हुए, इसे रद्द करने का निर्णय लिया। आयोजकों ने पुलिस को, कानून का उल्लंघन करने वाली ऐसी कोई भी अवैध लड़ाई आयोजित न करने की लिखित पुष्टि प्रदान करी।
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत पशुओं को आपस में लड़ने से उकसाना अपराध है। वर्ष 2014 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा PETA इंडिया और जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड नामक सरकारी निकाय के हक़ में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले के अनुसार, बैलों, कुत्तों सहित सभी जानवरों की मनोरंजन के लिए आयोजित लड़ाइयों को अवैध घौषित किया गया और इन पर रोक लगाने का आदेश दिया गया।
बैलों की अवैध लड़ाई के दौरान बैलों को एक दूसरे पर हमला करने के लिए जबरन उकसाया जाता है और यह लड़ाइयाँ बहुत ही क्रूर, खूनी और जानलेवा होती हैं। इन दोनों पशुओं को तब तक लड़ने के लिए बाध्य किया जाता है जब तक इनमें से एक अपनी हिम्मत न हार जाएँ और जिंदा बचे दूसरे घायल और चोटिल पशु को विजेता घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार के अवैध आयोजनों के दौरान बेज़ुबान पशुओं को कई प्रकार की गंभीर शारीरिक एवं मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिसमें फ्रैक्चर, खूनी घाव और तनाव शामिल हैं। जिन आयोजनों में पशुओं को जबरन लड़ने के लिए मजबूर किया जाता है वे क्रूर, हिंसक और अवैध हैं।