बड़ी जीत: PETA इंडिया के दबाव के बाद लुधियाना में अवैध बैलगाड़ी और घोड़े की दौड़ पर रोक लगवाकर FIR दर्ज़ की गयी

Posted on by Erika Goyal

PETA इंडिया को जैसे ही 2 मार्च को जोधन पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में लुधियाना के गुज्जरवाल गांव में बैलों और घोड़ा गाड़ी की अवैध दौड़ के आयोजन की जानकारी प्राप्त हुई, समूह द्वारा तुरंत कार्यवाही करते हुए कानून प्रवर्तन अधिकारियों की मदद से 3 मार्च को होने वाले आयोजन के दूसरे दिन पर तात्कालिक रोक लगवाई गयी। 2 मार्च को जब समूह को इस आयोजन के बारे में सूचना मिली, तब तक यह दौड़ शुरू हो चुकी थी, और इसलिए जोधन पुलिस स्टेशन द्वारा आयोजकों और प्रतिभागियों के खिलाफ भारतीय दंड की धारा 34, 289 और 337 एवं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11(1) के तहत FIR दर्ज़ की गयी है।

इस मामले में PETA इंडिया की क्रूएल्टी रिस्पोंस डिविजन ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP), लुधियाना, रुरल; पुलिस उपाधीक्षक, दाखा; और जोधन पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अधिकारी के साथ मिलकर काम किया। समूह की कार्यवाही के परिणामस्वरूप, 3 मार्च को होने वाले कार्यक्रम पर रोक लगाई गयी जिससे कई बैलों एवं घोड़ों को क्रूरता से बचाया जा सका।

PETA इंडिया ने उल्लेखित किया कि समूह द्वारा 8 मार्च 2019 को पशु क्रूरता निवारण (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2019 (जिसका उद्देश्य लुधियाना के पास आयोजित वार्षिक किला रायपुर खेल महोत्सव में बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने की अनुमति देना है) को चुनौती देने वाली एक आवश्यक याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने अदालत को आश्वासन दिया कि “बैलगाड़ी दौड़ के आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है या ऐसी कोई अनुमति नहीं दी जाएगी” और “जब तक प्रस्तावित संशोधन को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक ऐसे किसी भी आयोजन की मेजबानी के लिए अनुमति के लिए किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा”।

PETA इंडिया द्वारा की गई कई जांचों से पता चला है कि बैलगाड़ी दौड़ के दौरान, भीषण गर्मी में तेज दौड़ने के लिए बैलों को अक्सर लकड़ी की डंडियों से पीटा जाता है, जिनमें कीलें ठोक दी जाती हैं और उनकी पूंछ को बड़ी बेरहमी से खींचा जाता है, जिससे उन्हें अत्यधिक दर्द होता है और बाद में उन्हें खून से लथपथ दर्द सहने के लिए छोड़ दिया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राज्य में बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध लगाने से पहले, फरवरी 2014 में किला रायपुर खेल महोत्सव के दौरान तीन बैल घायल हो गए, एक के घुटने में फ्रैक्चर हो गया और इनमें से कई पशु नियंत्रण से बाहर हो गए। इसी आयोजन के दौरान, घबराए हुए बैलों का एक और जोड़ा पार्किंग क्षेत्र में वाहनों से टकराकर घायल हो गया।

 

दौड़ के लिए उपयोग किए जाने वाले घोड़ों को अक्सर चाबुक और यहां तक ​​​​कि बिजली के अवैध झटके देकर बहुत तेज़ी से दौड़ने के लिए मजबूर किया जाता है जिससे उन्हें कई गंभीर चोटों एवं फेफड़ों से रक्तस्राव का भी सामना करते हैं। वर्ष 2016 में, राजस्थान उच्च न्यायालय ने भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड की एक रिपोर्ट की समीक्षा के बाद राजस्थान में तांगा दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि घोड़ों को शोरगुल वाले वाहनों और शोरगुल वाले दर्शकों के बीच जबरन दौड़ते हुए बेहद क्रूरता, डर और परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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