जीत – PETA इंडिया की अपील पर भारतीय फार्माकोपिया आयोग ने जानलेवा पशु परीक्षणों को समाप्त किया
PETA इंडिया, भारतीय फार्माकोपिया आयोग (IPC) एवं उद्योग जगत की अन्य स्टेकहोल्डर का धन्यवाद। IPC ने आज वैक्सीन मोनोग्राफ मे से ‘Abnormal Toxicity Test’ (असामान्य विषक्तता परीक्षण) को हटा दिया है। भारतीय फार्माकोपिया आयोग जो देश में निर्मित होने वाली एवं बिक्री होने वाली दवाओं हेतु परीक्षणों की अनुमति देता है व उनका संकलन करता है। PETA समूह लंबे समय से प्रतीक्षित सकारात्मक और प्रगतिशील कदम का स्वागत करता है।
इस निर्णय के बाद हर साल हजारों निर्दोष जीवों की जन बच सकेगी।
PETA इंडिया लंबे समय से यह वकालत करता आया है कि इस तरह के तर्कहीन परिक्षणों में जीवों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए क्यूंकि जानवरों पर परीक्षण करने से मिलने वाले परिणामों से यह साबित नहीं होता कि यह दवाएं मनुष्यों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हैं उल्टा परीक्षण के दौरान निर्दोष जीवों की जान जरूर चली जाती है।
इन परिक्षणों को हटाने के लिए वर्ष 2016 से विशेषज्ञों के समूहों में आपसी चर्चा चल रही है। वर्ष 2018 में आयोग ने PETA इंडिया के परामर्श के आधार पर ‘भारतीय फार्माकोपिया में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव शामिल किये । सर्टिफ़ाईड गुड मैनीफ़ैक्चरिंग प्रैक्टिसेस को फॉलो करने वाली कंपनियाँ, राष्ट्रीय विनयामक संस्थाओं की संस्तुति पर इन पशु परिक्षणों को समाप्त कर सकती हैं।
इन परीक्षणों में गिनी पिग्स एवं चूहों को एक टीका लगाया जाता है और यदि उनमें से कोई भी जीव नहीं मरता तो उस दवा को मानवीय इस्तेमाल हेतु सुरक्षित माना लिया जाता है। परीक्षणों के दौरान अगर कोई जानवर ज़िंदा रह भी जाता है तो उसे बाद में मार दिया जाता है। इस परिक्षण की अनिवार्यता को समाप्त करने से प्रति वर्ष हजारों जीवों की जानें बच जाएगी। “असामान्य विषक्तता परीक्षण” के एतिहासिक आंकड़ों की व्यापक समीक्षाओं से पता चला है कि दवाओं की जांच व सत्यता प्रमाणन हेतु जीवों पर परीक्षण की जगह अच्छी उत्पादन कार्यप्रणाली को अपनाया जाना बेहतर उपाय है।
2019 में आयोजित IPC विशेषज्ञों की सातवीं समूह बैठक में पशुओं पर परीक्षण ना किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया था और वैज्ञानिक निकाय कीओर से इस प्रस्ताव पर हरी झंडी मिलने के बाद इसे दिनांक मई 2020 को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया था। अब आयोग द्वारा प्रकाशित Amendment List-06 to IP 2018 (आईपी को भेजी गयी संशोधन सूची) के अनुसार तत्काल प्रभाव से यह मान लिया गया है कि इन्सानों के लिए बनने वाले टीकों हेतु इस तरह के परीक्षण की जरूरत नहीं है।