‘इंसान अपनी नाक की सर्जरी करवा सकते हैं, पग्स नहीं’: ‘विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस’ से पहले PETA इंडिया की पग्स प्रजाति के कुत्तों के लिए अपील
विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस (15 जुलाई) के अवसर पर PETA इंडिया द्वारा बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में बिलबोर्ड लगवाकर जनता को यह महत्वपूर्ण संदेश दिया गया है कि इंसानों के पास अपनी नाक के आकार को बदलने का विकल्प ज़रूर है लेकिन पग्स और अन्य चपटे मुंह वाली प्रजाति के कुत्तों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं होता है। इस प्रजाति के कुत्तों का जानबूझकर इतनी छोटी नाक के साथ प्रजनन किया जाता है कि इन्हें जीवनभर सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है और दयालु लोगों को इन्हें कभी नहीं खरीदना चाहिए।
पग्स सहित French एवं English bulldogs, Pekingese, Boston terriers, boxers, Cavalier King Charles spaniels और shih tzus जैसी प्रजाति के कुत्तों को breathing-impaired breeds (BIB) कहा जाता है क्योंकि इन्हें सांस लेने में लगातार परेशानी होती रहती है। यह ब्रेकीसेफेलिक सिंड्रोम नामक एक दर्दनाक और जानलेवा बीमारी से पीड़ित होते हैं जिसके कारण यह हमेशा हांफते रहते हैं, सोते हुए तेज़-तेज़ खर्राटे लेते हैं और सांस लेने के लिए हमेशा संघर्ष करते रहते हैं। इस कारण यह कुत्ते ऐसा कोई काम नहीं कर पाते हैं जो इन्हें प्राकृतिक रूप से आनंद प्रदान करता है जिसमें बॉल को पकड़ना, भागना, खेलना और यहाँ तक कि सैर पर जाना भी शामिल है। यह समस्या इतनी गंभीर है कि ऑस्ट्रिया, जर्मनी, नीदरलैंड और नॉर्वे सहित कई देशों ने या तो इन कुत्तों पर प्रतिबंध लगा दिया है या वर्तमान में ऐसे संशोधनों पर काम कर रहे हैं जो या तो कुछ या सभी BIB प्रजाति के कुत्तों के प्रजनन पर प्रतिबंध लगाते हैं या उन्हें रिस्ट्रिक्ट करते हैं।
PETA इण्डिया ने यह भी चेतावनी दी है कि कुत्तों की बिक्री करने वाली अधिकांश दुकानें व ब्रीडर्स राज्य जीव जन्तु कल्याण बोर्ड के साथ पंजीकृत नहीं होते और उनके द्वारा बेचे जाने वाले “पेडिग्री” कुत्तों को उचित पशु चिकित्साकीय देखभाल और पर्याप्त भोजन, व्यायाम, प्यार और समाजीकरण से वंचित रखा जाता है। जिन लोगों के पास पर्याप्त समय, प्यार, करुणा और संसाधन हैं, PETA इंडिया उन सभी लोगों से आग्रह करता है कि आश्रय गृहों या सड़कों पर जीवन यापन कर रहे किसी कुत्ते को गोद लें व उसे अपनाएं।