PETA इंडिया ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि मांस, अंडे व डेयरी उत्पादों पर टैक्स लगाया जाए।

Posted on by Surjeet Singh

भारत में अनेकों लोगों को अंडे, मांस एवं डेयरी उत्पाद खाने की आदत होती है और इसके लिए हमको काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य का संकट, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, कत्लखानों एवं फार्म्स में जानवरों के प्रति क्रूरता इत्यादि हैं। इसलिए PETA ने वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली से अनुरोध किया है की मांस व जानवरों से प्राप्त होने वाले अन्य उत्पादों पर टैक्स लगाकर भारतवासियों को इनकी आदत से मुक्त करवाने  में मदद करें।

PETA इंडिया ने वित्त मंत्री से यह अनुरोध “फार्म एनिमल इनवेस्टमेंट रिस्क एंड रिटर्न” पहल के तहत किए गए शोध की रिपोर्ट के बाद किया । इस पहल का उद्देश्य मांस खाने वाले लोगो को मांस उद्योग के हानिकारक पक्ष को समझने में मदद करना है।

अन्य कई देश भी सिगरेट, शराब तथा गैसोलीन पदार्थो पर भरी टैक्स लगाकर इसके स्वास्थ्य एवं पर्यावर्णीय दुष्प्रभावों को कम करते हैं। अवांछित भोजन जो मनुष्य व जानवर के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है तथा जलवायु परिवर्तन का बड़ा कारण भी है, उनपर टैक्स निर्धारित करना उचित है।

मांस, डेयरी उत्पाद एवं अंडो का सीधा संबंध कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह व अन्य जीवन  हेतु खतरनाक मानी जाने वाली बीमारियों से है और अब भारत भोजन संबंधी बीमारियों की सूची में शीर्ष पर आ गया है। कार्डियोवेस्कुलर बीमारी, भारत में मौतों का सबसे बड़ा कारण है व मधुमेह के मामले में हम विश्व में सबसे ऊपर हैं। हमारे देश में कैंसर की दर नियंत्रण से बाहर है व बचपन में मोटापा संकट के मामले में शीर्ष पर है।

भोजन के लिए जानवरों को पालना, प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन में योगदान करने का सबसे बड़ा कारण है। वर्ल्डवाच संस्थान के द्वारा बड़े स्तर पर प्रकाशित एक रिपोर्ट का अनुमान है कि दुनियाभर में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन का 51 प्रतिशत योगदान पशुधन और उनसे प्राप्त होने वाले उत्पादों से आता है।

निसंदेह इसका सबसे बड़ा खामियाजा जानवरों को ही भुगतना पड़ता है। अनेकों मुर्गों को जीवित रहते उनका गला काट दिया जाता है, पानी से निकलने पर मछलियों का दम घुट जाता है, सूअरों के दिल में नुकीला हथियार घोंप दिया जाता है और वो दर्द से कराहते हैं, बछड़ों को उनके जन्म के कुछ घंटो बाद ही उनकी माँ से अलग कर दिया जाता है। कत्लखानों में जानवरों को सचेत अवस्था में ही अन्य जानवरों के सामने मौत के घाट उतार दिया जाता है।

प्रति किलो मांस पर टैक्स, प्रति डिब्बा अंडों पर टैक्स एवं प्रत्येक डेयरी उत्पाद पर टैक्स लगने से उपभोक्ताओं को स्वादिष्ट वीगन भोजन चुनने का अवसर मिलेगा जो कि मांस आधारित भोजन की तुलना में मानवीय, पर्यावरण अनुकूल व सस्ता भी है खासकर चिकित्सीय लागत के नजरिए से क्यूंकि पशु मांस आधारित भोजन से कई खतरनाक बीमारिया होती हैं।

डेन्मार्क, स्वीडन एवं जर्मनी ने पहले से ही मांस पर टैक्स लगा दिया है। इस दिशा में कदम बढ़ाकर भारत भी स्वयं को स्मार्ट, प्रगतिशील व मानवीय देशों में शामिल कर सकता है। अपडेट रहने के लिए हमसे जुड़े रहें।

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