प्रख्यात हस्तियों सिद्धार्थ मल्होत्रा, विजेंदर सिंह, हर्षवर्धन राणे, बानी जे, और अश्मित पटेल ने हाथियों के साथ होने वाले शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई

Posted on by Suniti Kaushik

सिद्धार्थ मल्होत्रा, विजेंदर सिंह, हर्षवर्धन राणे, बानी जे, और अश्मित पटेल जैसे कई प्रसिद्ध सितारों ने हाल ही में हाथियों को स्वतंत्र करने की अपील करके सोशल मीडिया पर काफ़ी हलचल पैदा की। विजेंदर सिंह, हर्षवर्धन राणे और अश्मित पटेल द्वारा अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स में “पशुपालन और डेयरी विभाग” और “पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” को टैग करके और संबंधित अधिकारियों से हाथियों की सवारी और उनके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की जिसमें सर्कस भी शामिल हैं।

अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने tweet किया, Elephants don’t deserve this! Free them from the shackles and let them thrive. @PetaIndia @Sachbang #UnchainElephants.”

 

   

मशहूर बॉक्सर विजेंदर सिंह ने Tweet किया, “Dear @Dept_of_AHD and @moefcc, please include elephants in the species banned from being used in performances. They don’t want to be chained or hit. #UnchainElephants @PetaIndia,”.

Dear @Dept_of_AHD and @moefcc, please include elephants in the species banned from being used in performances. They don’t want to be chained or hit. #UnchainElephants @PetaIndia pic.twitter.com/augcMMbhvf

— Vijender Singh (@boxervijender) April 16, 2021

इस संदर्भ में PETA इंडिया द्वारा की गई विभिन्न जाँचों द्वारा सामने आया कि भारतवर्ष में प्रदर्शन हेतु प्रयोग किए जा रहे हाथियों को अक्सर भोजन-पानी और हर प्रकार की चिकित्सकीय जांच से वंचित रखा जाता है। कई बार यह जानवर दृष्टिरोग, घुटनों में गंभीर चोटों या पैरों से संबंधित कई दर्दनाक रोगों से ग्रसित होते हैं। संभवतः प्रतिकार की स्थिति में यह जानवर अपने आसपास वाले मनुष्यों के लिए बेहद ख़तरनाक साबित हो सकते हैं। Heritage Animal Task Force द्वारा ज़ारी आकड़ों के अनुसार, केरल में पिछले पंद्रह साल की अवधि के दौरान बंधक बनाए गए हाथियों द्वारा 526 लोगों को मौत के घाट उतारा गया। बंधक बनाए गए कई हाथियों के अंदर टीबी की बीमारी को भी पाया जाता है जो हाथियों से मनुष्यों में भी फैल सकती है।

हाथियों को बहुत कम उम्र में क्रूरतापूर्ण ढंग से, उनके घर-परिवार से अलग कर दिया जाता है और सर्कसों, सवारियों या अन्य मनोरंजन साधनों हेतु प्रयोग किया जाता है। जब यह जानवर करतब दिखाने या सवारी कराने का काम नहीं कर रहे होते तो इन्हें लोहे की जंजीरों से जकड़कर एक स्थान पर रहने के लिए मजबूर किया जाता है। यह हर पल नुकीले औजारों से मिलने वाली यातनाओं के डर में जीते हैं।