राजनंदगाँव में पुलिस द्वारा मारी गयी सीविट बिल्ली की मौत पर पीपल फॉर एनिमल्स एवं PETA इंडिया द्वारा न्याय की मांग
राजनंदगाँव में पुलिस प्रशिक्षण स्कूल में पुलिस अधिकारियों के एक समूह ने वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति की बिल्ली को डंडों से पीटे जाने, राईफल से गोली मार दिये जाने तथा उस मृत बिल्ली के साथ फोटो खिचवाने की घटना संज्ञान में आते ही PETA इंडिया तथा पीपल फॉर एनिमल्स-रायपुर ने दुर्ग सर्कल वन विभाग के वन संरक्षक से मिलकर अपराधियों के खिलाफ प्रारम्भिक अपराध रिपोर्ट (पीओआर) दर्ज कराई। यह प्रारम्भिक रिपोर्ट वन्यजीव संरक्षण कानून की धारा 9 व 51 के तहत दायर की गयी है। इन धाराओं के तहत यह गैर जमानती अपराध है जिसमे कम से कम 7 वर्ष की जेल एवं 10 हज़ार के जुर्माने का प्रावधान है।
शोध से पता चलता है की जो लोग जानवरों के प्रति क्रूरता बरतते है वो अन्य जानवरों तथा इन्सानों को भी चोट पहुंचाते हैं। घरेलू हिंसा पीड़ितों पर किए गए एक अध्ययन में, 60 प्रतिशत महिलाओं ने कहा की उनके पार्टनर ने अपने कुत्तों या अन्य जानवरों को नुकसान पहुंचाया या उन्हे मार दिया। PETA इंडिया लंबे समय से देश के मुख्य पशु संरक्षण कानून “प्रीवेनशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960” को मजबूत बनाने की सिफ़ारिश कर रहा है जिसमे पुराने समय के दंड का प्रावधान है जैसे जानवरों के खिलाफ अपराध में पहली बार दोषी करार दिये जाने पर अधिकतम 50 रुपये का जुर्माना।
PETA इंडिया छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक से भी आग्रह करेगा कि अपराध के दोषी पाये जाने पर वह इन अपराधियों के खिलाफ अनुशासात्मक कार्यवाही करें। PETA इंडिया जनता को भी प्रेरित करता है कि यदि वह जानवरों के प्रति किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार को देखें तो पुलिस या फिर वन विभाग जैसी कानूनी संस्थाओं से तुरंत कार्यवाही की मांग करें।
पशुओं के प्रति दुर्व्यवहार व क्रूरता करने वालों के लिए मजबूत दंड की मांग करें।
कृपया जानवरों की मदद करें