अपनी वसीयत में जानवरों के लिए उपहार छोड़े
वसीयत बनाना एक संवेदनशील व व्यावहारिक काम है क्यूंकि आप यह निर्धारित करते हो कि आपके बाद आपकी जायदाद का क्या होगा। दुर्भाग्यवश, हर 10 में से 9 भारतीय अपनी वसीयत बनाना भूल जाते हैं।
वसीयत, अपनी जायदाद का अपने प्रियजनों में बटवारा करने का सबसे आसान व सीधा तरीका है। यह पशुओं की मदद का भी शक्तिशाली तरीका है।
आप अपनी वसीयत को इस प्रकार लिख सकते है की आपकी जमा पूंजी में से कुछ निश्चित घनराशि, कोई मूल्यवान वस्तु, जायदाद का हिस्सा या फिर अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा (वह हिस्सा जो निश्चित बंटवारे एवं खर्चे के बाद निर्धारित होता है) PETA इंडिया के नाम कर सकते हैं।
वसीयत, अपनी जायदाद को अपने मन मुताबिक बांटने का एक तारीका है। अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने एवं एक पर्याप्त योजना बनाने से चूकने का मतलब है की आपकी मृत्यु के बाद आपकी जायदाद का बटवारा कानून के अनुसार कर दिया जाएगा भले ही वो आपकी भावनाओं के विरुद्ध हो। एक सुनियोजित तरीके से बनी वसीयत या जायदाद बटवारे की योजना के द्वारा आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं की आपका दयालु व्यवहार आपके इस दुनिया से जाने के बाद भी अनेकों पशुओं के जीवन में बदलाव ला सकता है।
इस संबंध में अतिरिक्त जानकारी हासिल करने हेतु आप यह संक्षिप्त अनुरोध फॉर्म भी भर सकते हैं।
अपनी वसीयत कैसे बनाए।
वसीयत बनाना बहुत आसान है। सबसे पहले आप अपनी संपत्ति की एक सूची तैयार कर लें। इन सबमे कार, घर, पैसा व अन्य मूल्यवान समान आपकी संपत्ति में गिना जाता है।
वसीयत को दो गवाहों की मौजूदगी में लिखित रूप से तैयार किया जाता है, प्रत्येक गवाह की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। लिखित वसीयत की ऊपर गवाह को भी हस्ताक्षर करने होते है यह सुनिश्चित करने के लिए की वह वसीयत उसके सामने लिखी गयी है। आप वसीयत लिखने के लिए किसी वकील या जानकार को भी नियुक्त कर सकते है तथा जांच भी सकते हैं की वसीयत में सभी तथ्य आपकी इच्छा के अनुसार ही लिखे गए हैं। हालांकि यह जरूरी नही की आप किसी वकील को ही वसीयत लिखने का कार्य सौंपे किन्तु फिर भी यह सलाह दी जाती है की आप यह कार्य अपनी पसंद के किसी वकील से ही करवाएँ।
वसीयत की असल कॉपी अपने या अपने वकील के पास सुरक्षित रखें, यह सलाह दी जाती है की वकील के पास रखना सही है। इस हेतु किसी प्रकार की कोई कानूनी कार्यवाही की जरूरत नहीं होती।
यहाँ क्लिक करके आप अपने वकील के पास ले जाने हेतु विषय सामग्री के कुछ उदहारण पढ़ सकते हैं।
वसीयत कब बनाए।
जितना जल्दी हो सके आप अपनी वसीयत तैयार करा लें खासकर अगर आप शादीशुदा हैं या आपका परिवार है तो। पति पत्नी दोनों को अपनी अपनी वसीयत बनानी चाहिए।
वसीयत में बदलाव
आप जितनी बार चाहो उतनी बार अपनी वसीयत में बदलाव कर सकते हैं। प्रत्येक बदलाव एक अलग कानूनी कागज पर बनाकर, गवाहों की मोजूदगी में उनके हस्ताक्षर के बाद ही पूर्ण माना जाएगा। आप एक नयी वसीयत भी बना सकते हैं। यदि आप पुनर्विवाह करते हैं तो आपको अवश्य ही एक नयी वसीयत बनानी चाहिए।
आपको कभी भी पुरानी वसीयत में काटपीट करके, कुछ अतिरिक्त लिखकर या कुछ नए पेज जोड़कर उसमे संशोधन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से असल वसीयत अमान्य हो जाती है व इसके निर्माण का पूरा उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।
यदि आप अपनी मौजूदा वसीयत में कुछ बदलाव चाहते है व किसी उत्तराधिकारी के स्थान पर अपनी संपत्ति या उसका कुछ हिस्सा किसी धर्मार्थ संस्था के नाम करना चाहते है तो हम निम्नलिखित भाषा का प्रयोग करने की सलाह देते हैं-
मैं (दानकर्ता का नाम) पता (दानकर्ता का पता), मैं अपनी वसीयत में क्रम संख्या (क्रम संख्या) में बदलाव करते हुए मैं PETA इंडिया, पोस्ट ऑफिस बॉक्स नंबर 28260, जुहू, मुंबई, 400049 के नाम करता/करती हूँ (निम्नलिखित में से कोई एक विकल्प चुनते हुए) –
- मेरी संपत्ति के सभी अवशेष
- मेरी संपत्ति का एक अंश (उदाहरण के लिए एक तिहाई हिस्सा)
- कुल धनराशि (पैसो की कीमत)
- संपत्ति (स्पष्ट लिखें जैसे फर्नीचर, आभूषण, कार जिसका पंजीकरण संख्या या फिर जायदाद का एक हिस्सा उसके पते व रजिस्ट्री नंबर सहित)
इस दस्तावेज़ को गवाहों के द्वारा हस्ताक्षर कर सही कानूनी प्रक्रिया के तहत पुरानी वसीयत के साथ संलग्न किया जाएगा।
वसीयत लिखने से संबन्धित अन्य जानकारी के लिए कृपया [email protected] पर हमें लिखे या फिर रूचि भटनागर को 08291032549 पर काल करें।
यह जानकारी कोई कानूनी सलाह नहीं है व यह केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रदान की गयी है। पाठकों को यदि इस विषय पर अधिक गहन कानूनी प्रक्रिया को जानना है तो कृपया किसी कानून के जानकार वकील से संपर्क करें।