महज़ दस दिनों की अवधि में नौ बंदी हाथियों ने हमला करके पांच मनुष्यों को मार डाला, कई अन्य को घायल कर दिया या केरल में मंदिर और मस्जिद के धार्मिक आयोजनों के दौरान जानमाल को नुकसान पहुंचाया, PETA इंडिया सभी मंदिरों और मस्जिदों को पत्र भेज कर पेशकार कर रहा है कि यदि वह इन परेशान हाथियों को अभयारण्यों में भेजने के लिए सहमत हैं जहां वे बंधनों से मुक्त, बिना हथियारों के और अन्य हाथियों के साथ रह सकते हैं और भविष्य में हाथियों को किराए पर लेने या रखने से इनकार करते हैं तो इसके बदले में उन्हें यांत्रिक हाथी दान किया जाएगा।
PETA इंडिया ने अधिकारियों से कहा : त्योहारों और जुलूसों के दौरान असली हाथियों को परेशानी होती है
PETA इंडिया की ओर से भेजे गए इन पत्रों में लिखा है कि त्योहारों और जुलूसों में असली हाथियों का उपयोग करने से इन पशुओं को तेज़ संगीत, यातायात, पटाखों और अन्य हंगामे से गंभीर शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव होता है। PETA इंडिया का यह भी कहना है कि पशु जंजीरों और पिटाई जैसे दर्दनाक और प्रतिबंधात्मक तरीकों से नियंत्रित होने से परेशान हो जाते हैं।
केरल के बंधक हाथियों से जुड़ी खतरनाक हालिया घटनाएं
फरवरी 2025 में निम्नलिखित घटनाएं घटी हैं:
- त्रिशूर के चित्तट्टुकरा में पेनकन्निक्कल भगवती मंदिर में लाए गए चिरक्कल गणेशन नाम का एक हाथी आक्रामक हो गया, उसने कई किलोमीटर तक दौड़ते हुए अपने सिर से कई लोगों पर वार किया और एक व्यक्ति को मार डाला।
- वल्लमकुलम नारायणनकुट्टी नाम का एक हाथी अनियंत्रित व हिंसक हो गया, उसने महावत पर हमला किया और उसे पैरों से कुचलकर मार डाला और आतंक मचा दिया। उसने पलक्कड़ में कूटनाडु शुहदा मखम (मस्जिद) से जुड़े एक भेंट समारोह के दौरान वाहनों और दुकानों को नष्ट कर दिया।
- लांबुर में मरियम्मन देवी मंदिर उत्सव में लाया गया गोविंदन कुट्टी नाम का एक हाथी आक्रामक हो गया, बेकाबू होकर उसने अपने रास्ते में आने वाले वाहनों को फेंक दिया और 1.5 घंटे तक उत्पात मचाया।
- ट्टांबी मस्जिद द्वारा आयोजित पट्टांबी नेरचा के दौरान हाथी पेरूर शिवन हिंसक हो गया। पेरूर शिवन द्वारा पैदा की गई दहशत के कारण इलाके में अफर तफरी मैच गई और सड़क पर मौजूद लोग खुद को बचाने के लिए भागने लगे, जिससे जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ गई।
- इरिंजलाकुडा में एक मंदिर उत्सव के दौरान हाथी थडाथविला शिव आक्रामक हो गया और एक घंटे तक दहशत फैलाता रहा।
- कन्नन नाम का एक हाथी नीलांबुर में उन्नियानथिरन कावु मंदिर उत्सव के लिए लाया गया था, जो अनियंत्रित होकर एक टूटे हुए कुएं में गिर गया और बाद में एक मशीन की मदद से उसे बचा लिया गया।
- कुन्नमकुलम के पेरुम्पिलवु मंदिर में, जुलूस के लिए लाया गया एक हाथी आक्रामक हो गया और अनियंत्रित होकर भाग गया।
कोयिलैंडी में श्री मनक्कुलांगरा भगवती मंदिर उत्सव के लिए लाए गए दो हाथी, पीतांबरन और गोकुल, पटाखों से परेशान हो गए और हिंसक रूप धरण कर लिया जिससे अफरातफरी मैच गई और परिणामस्वरूप तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
यांत्रिक हाथी सबके लिए सुरक्षा है
PETA इंडिया ने 2023 की शुरुआत में जीवित हाथियों से होने वाली घटनाओं से हाथियों व जनता को बचाने के लिए एक खास पहल की शुरुवात की थी और मंदिरों को धार्मिक आयोजनों के लिए असली हाथी की जगह यांत्रिक हाथी दान देने की पहल की। अब तक इस इस योजना के तहतदक्षिण भारत के मंदिरों में कम से कम तेरह असली हाथी की जगह यांत्रिक हाथियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें से PETA इंडिया जीवित हाथियों को न रखने या किराये पर न रखने के मंदिरों के फैसले को मान्यता देने के लिए केरल और कर्नाटक के मंदिरों को आठ विशालकाय रोबोट यानि यांत्रिक हाथी दान कर चुका है। इन यांत्रिक हाथियों का उपयोग अब उनके मंदिरों में सुरक्षित और क्रूरता-मुक्त तरीके से समारोह आयोजित करने के लिए किया जाता है, जिससे असली हाथियों को जंगल में अपने परिवारों के साथ रहने में मदद मिलती है।
यांत्रिक हाथी क्या है?
यांत्रिक हाथी 3 मीटर लंबे और 800 किलोग्राम वजनी होते हैं। वे रबर, फाइबर, धातु, जाल, फोम और स्टील से बने होते हैं और पांच मोटरों पर चलते हैं। एक यांत्रिक हाथी वास्तविक हाथी की तरह दिखता है, महसूस करता है और उसका उपयोग किया जा सकता है। यह अपना सिर हिला सकता है, अपने कान और आंखें हिला सकता है, अपनी पूंछ घुमा सकता है, अपनी सूंड उठा सकता है और यहां तक कि पानी भी छिड़क सकता है। उन पर चढ़ा जा सकता है और पीछे एक सीट लगाई जा सकती है। इन्हें बस प्लग करके और बिजली से चलाकर संचालित किया जा सकता है और सड़कों पर ले जाया जा सकता है। वे एक व्हीलबेस पर लगे होते हैं, जिससे उन्हें अनुष्ठानों और जुलूसों के लिए इधर-उधर ले जाया और धकेला जा सकता है।
प्रदर्शन के लिए असली हाथियों का उपयोग कभी क्यों नहीं किया जाना चाहिए?
हाथी बेहद चतुर, सक्रिय और मिलनसार जंगली पशु हैं। हाथियों को धार्मिक आयोजनों और जुलूसों में इस्तेमाल करने के लिए अनेकों यातनाएं देकर प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वह इंसानों की आज्ञा मान सकें। मंदिरों और अन्य स्थानों पर बंदी बनाकर रखे गए कई हाथियों को घंटों तक कंक्रीट से जंजीरों में बंधे रहने के कारण पैरों की बेहद दर्दनाक समस्याओं और पैरों के घावों से पीड़ित होना पड़ता है। अधिकांश को पर्याप्त भोजन, पानी, पशु चिकित्सा देखभाल और प्राकृतिक जीवन की किसी भी झलक से वंचित रखा जाता है। इन नारकीय परिस्थितियों में, कई हाथी अत्यधिक निराश हो जाते हैं और हमला कर देते हैं, जिससे अक्सर महावत या अन्य इंसानों की मौत हो जाती है।
हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स के अनुसार, बंदी हाथियों ने 15 साल की अवधि में केरल में 526 लोगों की जान ले ली। हाल की मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि केरल में कार्यकर्ताओं ने पिछले दो सीज़न में पूरम परेड के दौरान हाथियों के साथ नकारात्मक मुठभेड़ की 60 से अधिक घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई मानव चोटें आईं, जिनमें से कुछ घातक हैं।