बीस साल पहले, इस सरल सिद्धांत के साथ PETA इंडिया की स्थापना की गयी कि जानवर हमारे प्रयोग करने, हमारा भोजन बनने, हमारे वस्त्र बनने, हमारे मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने या किसी अन्य तरीके से हमारा दुरुपयोग सहने के लिए नहीं हैं। हमारे कार्यकर्ता, सदस्य एवं समर्थक उन सभी तरह के जानवरों के लिए जीवन में सुधार लाने के लिए समर्पित हैं जो इन्सानों के लालच व लाभ हेतु दर्दनाक जीवन जीने एवं जान गवाने का खामियाजा भुगत रहे हैं। हम निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बड़ रहे हैं और हमारे प्रयासों से समाज में पशुओं के प्रति लगातार सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। मानव समाज अब महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने लगा है जैसे कि पशुओं को मारना मतलब पृथ्वि को तबाह करना। जानवर बुद्धिमान, संवेदनशील प्राणी हैं जो इन्सानों द्वारा सम्मान दिये जाने के हकदार हैं। इस धारणा को सही साबित करने हेतु पिछले 20 सालो में PETA इंडिया द्वारा पशुओं के संबंध में भारत में किए गए कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को यहाँ उल्लेखित किया गया है-
जानवर हमारे प्रयोग करने के लिए नही हैं
- हमने भारत में सौंदर्य प्रसाधनों एवं समग्रियों हेतु पशुओं पर प्रयोग न किए जाने व इस पर प्रतिबंध लगवाने में मदद की। बाहरी देशों में पशुओं पर प्रयोग करके तैयार किए जाने वाले सौन्दर्य प्रसाधनों के आयात पर भी प्रतिबंध लगवाने में मदद की।
- इसी तरह से, घरेलू उत्पादों के निर्माण हेतु जानवरों पर प्रयोग किए जाने पर रोक लगवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
- हमने विश्वविध्यालय अनुदान आयोग से सफलतापूर्वक अनुरोध किया कि विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में जन्तु विज्ञान एवं जीवन विज्ञान के स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों मे छात्रों की शिक्षा हेतु जीव जंतुओं पर प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगाया जाए व उसकी जगह कम्प्यूटर आधारित प्रशिक्षण पद्धतियों को अपनाया जाए।
- हमने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को स्नातक पाठ्यक्रमों में, डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया तथा फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया छात्रों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण हेतु जीव जंतुओं पर प्रयोग करने पर रोक लगवाने में मदद की।
- अन्य लोगों की मदद से हमने बीगल प्रजाति के उन 70 कुत्तों को बचाया जिन पर एक दवा निर्माता कंपनी प्रयोग करने वाली थी।
- हमने स्वस्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को प्रेरित किया कि खरगोशों की आंखो पर एवं त्वचा जलन पर दवाओं के प्रयोग करने पर रोक लगाई जाए।
- कीटनाशक दवाओं में विषैलेपन की जांच करने हेतु पशुओं पर होने वाले कुछ प्रयोगों में बदलाव व पशुओं की जगह अन्य विकल्पों को इस्तेमाल किए जाने हेतु केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड एवं पंजीकरण समिति के मिलकर कार्य किया।
- हमने भारतीय फर्माकोपिया आयोग को इस बात के लिए राजी किया कि नशीले पदार्थों का पशुओं पर परीक्षण करने वाली कंपनियान गैर पशु प्रयुक्त विधियों एवं आधुनिक तकनीकों को अपनाने क्यूंकि इन पदार्थों के परीक्षण हेतु उन्हें दर्दनाक टीके लगाए जाते हैं जो उनके बुखार का कारण बनते हैं। आयोग ने गिनी पिग्स एवं चूहों पर होने वाले विषक्तता परीक्षणों की जरूरत को भी समाप्त कर दिया है इस परीक्षण में अनेकों मासूम जीव दर्दनाक मौत का शिकार होते थे।
- हमने राष्ट्रीय वानिकी संस्थान में प्रयोग किए जाने हेतु रखे 37 बंदरों व 2 बकरियों को बचाया तथा नेशनल इन्स्टीटूट फॉर रिसर्च इन रीप्रोडक्टिव हेल्थ से 21 बंदरों को आज़ाद करवाया।
जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नही हैं
- हमने बिलबोर्ड अभियान चलकर, पकवान विधियों पर सामग्री वितरित करके, अनेकों प्रदर्शन करके, मुफ्त स्टार्टर किट प्रदान करके, त्यौहारों एवं अन्य आयोजनों पर मुहीम चलकर पशु एवं पर्यावरण अनुकूल स्वादिष्ट वीगन भोजन को बढ़ावा दिया।
- हमने अंडा, मांस एवं डेयरी उद्योग पर गुप्त जांच करके इन उद्योगों में पशुओं पर हो रही क्रूरताओं का खुलासा किया इसमे मुंबई के देवनार बूचड़खाने पर की गयी जांच भी शामिल है जहां पशुओं के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार, गंदी एवं बदबूदार स्थितियाँ तथा पशु संरक्षण कानूनों का खुलेआम हो रहे उलंघन का पर्दाफाश किया।
- अंडा, मांस एवं डेयरी उद्योग की दर्दनाक हकीकत को बयां करने वाली हमारी विशेष जांच पर आधारित वीडियो “ग्लास वाल” के माध्यम से हमने पशुओं के साथ हो रहे वीभत्स अमानवीय व्यवहार का खुलासा किया जिसे स्वयं फिल्मस्टार आर माधवन द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
- हम, पशुओं को गैरकानूनी तरीकों से परिवहन करने एवं बूचड़खानों में अवैध तरीकों से मौत के घाट उतार दिये जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए केस का हिस्सा थे। इस केस पर अदालत ने अवैध कत्लखानों को बंद किए जाने तथा माँस एवं चमड़े हेतु चल रहे लाइसेन्स प्राप्त कत्लखानों में पशुओं के साथ उचित व्यवहार एवं कानूनी मानकों की जांच करने हेतु एक समिति बनाए जाने का आदेश जारी किया था।
- माँस के लिए पशुपालन का पालन, बढ़ते जलवायु संकट का मुख्य कारण है, इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हमने राष्ट्रीय स्टार पर मुहीम चलायी।
- स्थानीय कार्यकर्ता एवं सरकारी अधिकारियों की मदद से बकरीद के दौरान कुर्बानी के लिए ले जाए जा रहे 7 ऊंटों को बचाया।
- हमने कुल्लू मेला के अधिकारियों को वहाँ पशु बलि की स्वीकृति न दिये जाने का अनुरोध किया।
- हमने स्थानीय कार्यकर्ता एवं पुलिस की मदद से शिलोंग के कत्लखानों से कुत्तों को मरने से बचाया।
जानवर हमारे वस्त्र बनने के लिए नही हैं
- हमने भारतीय चमड़ा उद्योग में पशुओं के साथ हो रही बर्बरता का खुलासा किया।
- हमने अन्य दलों के साथ मिलकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को राजी किया कि वो अपने समस्त 18000 स्कूलों को एक परामर्श भेजकर सभी छात्रों एवं स्टाफ को चमड़े की बजाय कपड़े के जूते पहनने की प्रेरणा दें।
- लोगों को पशु अनुकूल कपड़े, सामग्री एवं अन्य खुदरा उत्पादों की आसानी से पहचान एवं खरीद करने हेतु हमने “PETA स्वीकृत वीगन लोगो” कार्यक्रम की शुरुवात की।
- हमने सरीसृप की त्वचा एवं फर से बने उत्पादों के आयात पर रोक लगवाने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय हेतु एक मुहीम चलायी।
- हमने अनेकों डिजायनर जिसमे प्रसिद्ध डिजाईनर हेमंत एवं नन्दिता, प्रशांत घोष, मनीष गुप्ता, मिमी एंड मेगी तथा जयंती बल्लाल शामिल हैं, के साथ काम करते हुए वीगन फैशन शो आयोजित कर वीगन फैशन को बढ़ावा दिया।
- दिल्ली किड्स फैशन वीक के साथ मिलकर हमने वीगन एवेंट आयोजित किया।
जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नही हैं
- मंदिरों में क्रूरता का शिकार हो रहे हाथी जैसे सुंदर, मरिअप्पन, गजराज तथा राम प्रसाद की रिहाई हेतु मुहीम चलायी तथा राजस्थान अधिकारियों से अनुरोध किया कि वो हाथियों के साथ क्रूरता करने वाले त्यौहार पर रोक लगाएँ।
- हमने भारतीय चुनाव आयोग को चुनावी रैलियों के दौरान राजनैतिक दलों द्वारा पशुओं के इस्तेमाल पर रोक लगवाने हेतु राजी करवाया तथा भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ को किसी भी तरह के विरोध, रैली या कोई अन्य आयोजन के दौरान पशुओं के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी।
- माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्रूर प्रदर्शनों में बैलों के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाला एतिहासिक फैसला सुनने हेतु केस की सुनवाई के दौरान हमने खुफिया जांच के अहम सबूत अदालत में पेश किए।
- मुंबई की सड़कों से घोडा गाड़ियों पर रोक लगवाने हेतु हमने मुंबई उच्चा न्यायालय में केस लड़ा।
- देश के अनेकों राज्यों में बैल दौड़ पर रोक लगवाने हेतु हमने संगठित मुहीम चलायी।
- हमारे अनुरोध पर ऑनलाइन ट्रेवल अजेंसी Cleartrip ने अपने समस्त यात्रा विज्ञापनों एवं प्रचारों से पशुसवारी को हटा लिया तथा पशु कल्याण हेतु एक नयी नीति भी लागू की।
जानवर किसी भी अन्य तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नही हैं
- स्कूली बच्चों हेतु बड़े पैमाने पर चलाये जा रहे हमारे “दयालु नागरिक कार्यक्रम” की पाठ्य पुस्तकों एवं पाठ्यक्रम को मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की और से समर्थन मिला।
- हमने टाटा पावर के साथ मिलकर 250 स्कूलों के अध्यापकों को “दयालु नागरिक कार्यक्रम” की सामग्री मुफ्त उपलब्ध कारवाई।
- दो अन्य पशु अधिकार संस्थाओं के साथ मिलकर हमने मुंबई में 500 से अधिक बिल्लियों की नसबंदी करवाई।
- हमने दिल्ली मशीनीकरण परियोजना के द्वारा हमने बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, पोनी तथा माल ढुलाई करने वाले खच्चरों की जगह बैटरी चालित वाहनों से बदला।
- हमारे द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय में दायर की गयी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने कुत्तों के कान एवं पुंछ काटने पर रोक लगा दी।
PETA इंडिया एवं पशु अधिकारों का समर्थन करें
हमें डोनेशन प्रदान कर आगामी 20 वर्षों तक इसी तरह कार्य करते रहने में मदद करें।