इरिंजाडाप्पिली श्री कृष्ण मंदिर द्वारा धार्मिक कर्मकांडों, उत्सवों, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए जीवित हाथियों या किसी अन्य जानवर को कभी भी इस्तेमाल ना करने की दयालु प्रतिज्ञा के बाद, PETA इंडिया ने इस मंदिर को एक आश्चर्यजनक मशीनी या “रोबोट” हाथी उपहार में दिया है जिसे प्यार से ‘इरिंजादपिल्ली रमन’ नाम दिया गया है और अब इसके इस्तेमाल से मंदिर में होने वाले समस्त आयोजनों को क्रूरता मुक्त तरीके से आयोजित किया जा सकेगा।
ज्योतिषी पद्मनाभ शर्मा, तंत्री करुमाथरा विजयन, और श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के पुजारी सदीशन नंबूदरी जैसी कई प्रसिद्ध हस्तियों ने इरिंजादपिल्ली रमन के “नादयिरुथल” (देवताओं को हाथियों की पेशकश करने का एक समारोह) में भाग लिया। भारतीय फिल्म अभिनेत्री एवं पुरस्कार विजेता पार्वती थिरुवोथु ने PETA इंडिया की इस शानदार पहल को अपना समर्थन दिया है। इस प्रथा को अपनाने से असली हाथियों को उनके परिवारों से चुराकर, यातनाएँ देकर, उन्हें जंगलो से दूर करके और प्रकर्तिक रूप से जरूरी चीजों से वंचित करने की जरूरत नहीं होगी और ना ही हाथियों को लगातार जंजीरों में जकड़े जाने, यातनाएं सहनी पड़ेगी और ना अलग-थलग होकर एकांत जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
केरल सहित देश के अनेकों अन्य स्थानों पर अधिकांश हाथियों को अवैध रूप से कैद करके रखा जा रहा है या बिना अनुमति के किसी दूसरे राज्य में ले जाया जाता है। क्योंकि हाथी जंगली जानवर हैं जो इन्सानों की आज्ञाओं का स्वेच्छा से पालन नहीं करेंगे, इसलिए पर्यटकों की सवारी करने, समारोह में शामिल होने या करतब दिखाने जैसे कार्यों में इस्तेमाल करने के लिए उन्हें कठोर दंड, मारपीट एवं अंकुश जैसे धातु के उपकरणों से घोर यातनाएं देकर प्रशिक्षित एवं नियंत्रित किया जाता है। कई हाथियों को को घंटों तक कंक्रीट के बने फर्श पर बंधे रहने के कारण पैरों में बेहद दर्दनाक बीमारियां और पैर के घाव होते हैं, और अधिकांश को पर्याप्त भोजन, पानी, या पशु चिकित्सा देखभाल नहीं मिलती है, प्राकृतिक जीवन तो बात तो दूर की बात है।
कैद की हताशा, हाथियों को असामान्य व्यवहार विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए प्रेरित करती है। लगातार आज़ाद होने की असफल आशा के अंत में निराश हाथी मानसिक रूप से टूट जाते हैं, पागल हो जाते हैं और इस तरह मनुष्यों, अन्य जानवरों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं। हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बंदी हाथियों ने 15 साल की अवधि में केरल में 526 लोगों को मार डाला। थेचिक्कटुकावु रामचंद्रन नामक हाथी जो लगभग 40 वर्षों से कैद में है और केरल के त्योहारों व अनुष्ठानों में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले हाथियों में से एक है, ने कथित तौर पर 13 व्यक्तियों को मार डाला है जिसमे छह महावत, चार महिलाएं और तीन अन्य हाथी थे।
इस आधुनिक युग में, PETA इंडिया हाथियों का उपयोग करने वाले सभी स्थानों और कार्यक्रमों को वास्तविक हाथियों के स्थान पर मशीनी हाथियों या अन्य साधनों को इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है । PETA इंडिया की मांग है कि उन सभी हाथियों को सेंक्चुरी में भेज दिया जाए दिये जाये जो पहले से ही कैद में हैं, सेंक्चुरी में एह हाथी बंधनमुक्त होकर अन्य हाथियों की संगत में आज़ाद जीवन यापक कर सकेंगे और वर्षों के अलगाव, कैद और दुर्व्यवहार के आघात से मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से होने वाले कष्टों से मुक्त हो जाएंगे।
कृपया अपने स्थानीय मंदिर को इस तरह के मशीनी हाथी का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करें और असली हाथियों को अभयारण्यों में बंधनों से मुक्त रहने के लिए भेजें। इस याचिका कर हस्ताक्षर करके आप केरल के मुख्यमंत्री को असली हाथियों के व्यावसायिक उपयोग को रोकने और उनकी अवैध कैद को समाप्त करने के लिए लिए अनुरोध कर सकते हैं-