क्या आपके नारियल इकठ्ठा करने के लिए बंदरों को मजबूर किया गया?
ताज़ा जानकारी: 6 जनवरी 2021
PETA एशिया द्वारा की गयी थाईलैंड के नारियल फार्मों की जांच को एक साल से अधिक हो गया है जिसमें यह तथ्य सामने आया था कि इन फार्मों में बंदरों का शोषण किया जाता है और उन्हें नारियल के पेड़ों से नारियल उतारने के लिए इतेमाल किया जाता है। PETA एशिया की हालिया जांच में पाया गया कि यह स्थिति वर्तमान में भी क़ायम है और अब भी बंदरों को नारियल इकट्ठा करने हेतु प्रशिक्षित किया जाता है और ऐसी कई प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। हालांकि दुनिया भर के बहुत से विक्रेताओं ने थाई नारियल उत्पादों को खरीदना बंद कर दिया है, लेकिन “Chaokoh” सहित कई थाई नारियल उद्योगपतियों, थाई फूड प्रोसेसर एसोसिएशन, वैश्विक ब्रांडों और उपभोगकर्ताओं को इस मामले में अंधेरे में रखा गया है।
कई लोग गाय के दूध के बजाय नारियल के दूध का उपयोग करते हैं क्योंकि वे जानवरों के प्रति क्रूरता को अपना समर्थन नहीं देना चाहते हैं। लेकिन PETA एशिया द्वारा की गई एक जांच मे कई चिंतित करने वाले तथ्य सामने आए है जिनके अनुसार थाईलैंड में कम आयु के बंदरों को डरा कर जंजीरों में कैद रखा जाता है और नारियल से जुड़े व्यवसाय में उनका शोषण किया जाता है। इन बंदरों को दूध और अन्य उत्पादों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले नरियालों को पेड़ों पर से तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।
जंजीरों में कैद रहने के कारण मानसिक उत्पीड़न
वर्ष 2019 में, PETA एशिया के जांचकर्ताओं ने आठ फार्मों का दौरा किया जिनमें थाईलैंड के प्रमुख नारियल दूध उत्पादक, ” Chaokoh” के साथ ही कई अन्य बंदर-प्रशिक्षण केन्द्रों, और पेड़ों पर से नारियल उतारने के लिए प्रतियोगिता आयोजित करने वाले फार्म शामिल हैं। इन फार्मों में बंदरों को पेड़ों पर चड़कर नारियल तोड़ कर लाने के लिए मजबूर किया जाता है। प्रत्येक स्थान पर, जाँचकर्ताओं ने पाया कि इन संवेदनशील जानवरों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण किया जा रहा है।
PETA एशिया की जांच के बाद, इस व्यवसाय में लगे 26,000 से अधिक भंडारणकर्ताओं ने निर्णय लिया की वह इन सभी ब्रांड के उत्पादों को नहीं खरीदेगे, और इनमे से ज़्यादातर लोग थाईलैंड से आने वाले नारियल उत्पाद की खरीद नहीं करेंगे क्यूंकी इस कम के लिए वहाँ बंदरों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है।
कथित तौर पर, कई बंदरों को बहुत कम आयु मे ही अवैध ढंग से उनके परिवारों से चुराकर व बंदी बनाकर लाया जाता है। उनके गले में लोहे से निर्मित पट्टे पहनाकर, लंबे समय तक बंधक बनाकर रखा जाता है।
इन बंदरों की घूमने-फिरने, दूसरों के साथ मेलजोल बढ़ाने, या मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ भी सकारात्मक करने की आजादी नहीं दी जाती जिसके कारण ये बुद्धिमान जानवर धीरे-धीरे अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। ऐसे बंदर हताश होकर कई बार उस बंजर स्थान या कूड़े-कचरे के ढेर पर गोल गोल चक्कर लगाते है जहां इन्हे बांध कर रखा जाता है।
अमानवीय प्रशिक्षण और दाँतो को जबरन उखाड़ना
कम आयु के बंदरों को डरा धमकाकर इस काम के लिए तैयार किया जाता है जैसे कि भारी नारियल को तब तक मोड़ना जब तक कि वे बड़े पेड़ों से गिर न जाएं। एक जांच से पता चला कि अगर बंदर अपना बचाव करने की कोशिश करते हैं, तो सज़ा के तौर पर उनके दाँतो को जबरन निकाल लिया जाता है।
इन जानवरों से अधिक पैसा कमाने के लिए कुछ प्रशिक्षक उन्हें सर्कसनुमा करतब के प्रशिक्षण दिलाते हैं जिसमें वे साइकिल की सवारी करके, बास्केटबाल फेंक कर और अन्य भ्रामक व अपमानजनक करतब करके दर्शकों का मनोरंजन करते हैं।
एक जाँचकर्ता ने देखा कि बंदरों को बहुत छोटे और कसे हुए पिंजरो में ले जाया जा रहा था, और कुछ अन्य को पिंजरो में बंद करके एक गाड़ी के पिछले डाले छोड़ दिया गया था जहां बारिश से बचाव का कोई साधन नहीं था। एक बंदर को पिंजरे की सलाखों को हिलाते हुए निकलने का नाकाम प्रयास करते देखा गया।
बंदरों को गले में लोहे के पट्टे बांध कर, पेड़ों पर चढ़ने, उतरने व नारियल इकट्ठा करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यह कोई बेहतर जगह नहीं
PETA एशिया के एक जाँचकर्ता को ऐसे ही एक फार्म में काम करने वाले व्यक्ति द्वारा बताया गया कि वह फार्म चॉकोह कंपनी को नारियल की आपूर्ति करता है। यदि आप चॉकोह के उत्पाद खरीदते हैं, तो हो सकता है कि आप अनजाने में इस क्रूरता का समर्थन कर रहे हों।
ट्रैक्टर-माउंटेड हाइड्रोलिक एलिवेटरों, पेड़ों पर चढ़ने वाले लोगों, रस्सी या प्लेटफ़ॉर्म व्यवस्थाओं, एवं सीढ़ियों जैसे मानवीय तरीकों का उपयोग करके भी नारियलों को इकट्ठा किया जा सकता है। कम ऊंचाई वाले नारियल के पेड़ भी लगाए जा सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि यह तरीके बंदरों का उपयोग करने से कहीं बेहतर हैं, बंदर कच्चे और पके नारियल के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं। कई बार पके हुए नारियल बंदरों द्वारा ज़मीन पर गिरा देने के कारण खराब भी हो जाते हैं। नारियल का पानी आमतौर पर कम ऊंचाई के पेड़ों पर उगने वाले नारियल से आता है, जिसमें “नाम होम” किस्म शामिल है, और ऐसे नारियल इकट्ठा करने में बंदरों की जरूरत भी नहीं पड़ती हालांकि ज़रूरी नहीं की हमेशा ऐसा हो। PETA एशिया ने पुष्टि की है कि “हार्मलेस हार्वेस्ट” उन कंपनियों में से है जो नारियल पानी के लिए बंदर-श्रम का उपयोग नहीं करते हैं।
PETA इंडिया थाईलैंड स्थित हर नारियल कंपनियों को इस बात का सबूत देने के लिए आमंत्रित करती है कि वे आकार साबित करें कि वो जबरन बंदरों का इस्तेमाल नहीं करते।
कृपया कार्रवाई करें!
कृपया, सुनिश्चित करें कि आपके नारियल उत्पाद बंदरों का शोषण करने वाली किसी भी कंपनी से नहीं आते हैं। कृपया नीचे दी गयी याचिका पर हस्ताक्षर करके चॉकोह कंपनी से बंदरों का शोषण न करने का आग्रह करें।
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