PETA इंडिया ने प्रयोगशाला अनुसंधान में सुधार के लिए एक नई डील की रूपरेखा को तैयार किया है

पशु परीक्षण नवीन दवाइयों की खोज करने और बीमार इंसानों की मदद करने में व्यापक तौर पर विफल रहे हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि “एक नयी दवा को विकसित होने में कम से कम 10 से 15 वर्षों का समय और लगभग $ 2 बिलियन [USD] की लागत लगती है जबकि इनमें से 95 प्रतिशत दवाइयाँ इंसानों पर अकारगर साबित होती हैं।“ इससे यह स्पष्ट है कि नयी दवाओं के उत्पादन एवं परीक्षण और इन्हें बाजार में लाने के वर्तमान प्रतिमान में एक बड़ी कमी है, और दवा उत्पादन हेतु किए जाने वाले पशु परीक्षण इस समस्या के प्रमुख योगदान कारकों में से एक है।

इस समस्या के समाधान स्वरूप, PETA इंडिया के वैज्ञानिकों द्वारा एक अनुसंधान आधुनिकीकरण डील का निर्माण किया गया है जो कि भारत में नयी दवाइयों के उत्पादन हेतु नियोजित निवेश को रणनीतिक रूप से निर्देशित करने का एक रोड मैप है, जिसमें असफल अनुसंधान रणनीतियों की फंडिंग को समाप्त करना (जिसमें दवाइयों के निर्माण एवं चिकित्सकीय प्रशिक्षण हेतु किए जाने वाले पशु प्रयोग शामिल है) एवं इस फंड को मनुष्यों के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों की ओर निर्देशन करना शामिल है जो कि पशु-आधारित तरीकों से कई अधिक कारगर साबित होते हैं। PETA इंडिया द्वारा भारत सरकार से गैर-कारगर चिकित्सकीय अनुसंधान प्रणाली में सुधार के लिए इस नई योजना को अपनाने का आह्वान किया गया है।

Take Action

हमारी वर्तमान व्यवस्था पूर्ण रूप से असफल है

US नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने पुष्टि की है कि पशु प्रशिक्षण में सुरक्षित और प्रभावी साबित हुई सभी नई दवाओं में से 95% मानव नैदानिक ​​​​परीक्षणों में असफल साबित होती हैं जिनमें से कई मानव स्वास्थ्य हेतु हानिकारक भी होती हैं।

कुछ चुनिंदा रोग अनुसंधान क्षेत्रों में पशु परीक्षण करके विकसित की गई नई दवाओं की विफलता दर और भी अधिक है:

जिन बुनियादी विज्ञान अनुसंधानों से सफलता की भारी अपेक्षा होती हैं उनमें से केवल 10% से भी कम का नियमित क्लिनिकल उपयोग 20 वर्षों के अंदर शुरू हो पाता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रीक्लिनिकल अनुसंधान के नतीजों को पुन: साबित करने में सफल होने के कारण हमें प्रभावी इलाज़ की खोज में देरी के साथ-साथ प्रति वर्ष 2,11,405 करोड़ रुपये से अधिक लागत के घाटे का सामना करना पड़ता है।

हमें एक बेहतर तरीके की आवश्यकता है और PETA इंडिया के वैज्ञानिकों द्वारा  रिसर्च मॉडर्नाईजेशन डील  के रूप में इसे प्रस्तुत भी किया गया है।

रिसर्च मॉडर्नाईजेशन डील क्या है?

PETA इंडिया सभी प्रकार के जानवर संबंधी प्रयोगों और अभियानों का विरोध करता है और जानवरों पर होने वाले अत्याचारों को बंद कराने के पक्ष में है। विनियामक और वैज्ञानिक अधिकारियों को जानवरों पर होने वाले अध्ययनों की विफलता को स्वीकार करना चाहिए और, पहले कदम के रूप में, रोग अनुसंधान के ऐसे क्षेत्रों में जानवरों पर होने वाले उन प्रयोगों को तुरंत समाप्त करना चाहिए जिनके परिणाम विफल रहे हैं। ऐसा करना नैतिक आधार पर सही हैं, यह बेहतर विज्ञान को बढ़ावा देता है, संसाधनों के उचित उपयोग की दिशा में एक सही कदम है और इससे जानवरों को भी किसी भी प्रकार के शोषण का सामना नहीं करना पड़ता।

रिसर्च मॉडर्नाईजेशन डील यहाँ देखें

आप अपना योगदान कैसे दे सकते हैं ?

भारत में रिसर्च मॉडर्नाईजेशन डील के कार्यान्वयन का समर्थन करें और पशुओं के खिलाफ़ होने वाले क्रूर एवं अनावश्यक परीक्षणों को समाप्त करने में हमारी सहायता करें

अब इंडिया के पास बायोमेडिकल अनुसंधान और विनियामक परीक्षण के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करने और अपनी प्रतिबद्धता को पुनः प्राप्त करने का अवसर है। इसके लिए असफल जानवर अनुसंधानों को बंद करने, और ऐसे बदलावों को अपनाने की आवश्यकता हैं जिनसे पूरे विश्व के लिए अतिआवश्यक दवाएं और वैक्सिन जल्द-से-जल्द बनाईं जा सकें।

कृपया हमारी इस याचिका पर हस्ताक्षर करें जिसमें माननीय प्रधानमंत्री जी से पशुओं पर होने वाले प्रयोगों को समाप्त करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने का अनुरोध किया गया है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित रणनीति और समय सीमा तय करने का भी अनुरोध किया गया हैं।

रिसर्च मॉडर्नाईजेशन डील पर हस्ताक्षर करके हमारा समर्थन करें।

जानवरों पर होने वाले प्रयोगों के खिलाफ रणनीति बनाने हेतु हमारे साथ मिलकर आवाज उठाएँ

जानवरों पर किए जाने वाले परीक्षणों को समाप्त किया जाए। 
लक्ष्य +
  • Narendra Modi
बोल्ड लैटर में लिखे स्थानों को भरना अनिवार्य है।
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