सुप्रीम कोर्ट, इस खेल में जानवरों पर होने वाली क्रूरता पर विचार करने में विफल रहा

निराशाजनक रूप से, भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) बनाम भारत संघ और अन्य नामक बैच याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 18 मई 2023 के फैसले ने इन हिंसक खेलों को जारी रखने की इजाजत देकर बैलों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को इसी तरह चलने की मंजूरी दे दी है, लेकिन उनके इस निराशाजनक फैसले से हम विचलित नहीं होंगे बल्कि और अधिकमजबूत संकल्प के साथ इन दौड़ों ओ समाप्त करवाने की अपनी मांग को जारी रखेंगे। जब से तमिलनाडु सरकार ने 2017 में जल्लीकट्टू दुबारा आयोजित किए जाने की अनुमति दी है तब से अब तक इस क्रूर खेल में 115 इंसानों 38 बैलों और एक गाय की मौत हो चुकी है और 8,630 इंसान और कम से कम 30 बैल घायल हो चुके हैं। इसके अलावा कई बैलों की मौत और मानव चोटों की सूचना तो पता ही नहीं चल पाती इसलिए मरने और चोटिल होने वालों की वास्तविक संख्या इस से बहुत अधिक है।

2017 के बाद से, जब तीन राज्यों ने पशु क्रूरता निवारण (पीसीए) अधिनियम, 1960 में अपने-अपने संशोधन पारित किए, जिससे इन घटनाओं को इस अधिनियम के दायरे से पूरी तरह से छूट मिल गई, PETA इंडिया जल्लीकट्टू या अन्य खेलों में बैल दुर्व्यवहार की घटनाओं की जांच कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रत्यक्षदर्शी रिपोर्ट दाखिल कर रहा है, यह दर्शाता है कि ये घटनाएं स्वाभाविक रूप से क्रूर हैं और PETA इंडिया अनुरोध कर रहा है कि उन्हें प्रतिबंधित किया जाए। हालाँकि, एक चौंकाने वाले कदम में, सुप्रीम कोर्ट इन घटनाओं को अनुमति देने के लिए अपना नवीनतम निर्णय देते समय किसी भी निष्कर्ष पर ध्यान देने या उसका उल्लेख करने में विफल रहा।

ये जांच रिपोर्टें सरकारी निकाय AWBI के पहले के निष्कर्षों को पुष्ट करती हैं, जिसने 7 मई 2014 के एक विस्तृत और तर्कसंगत फैसले के माध्यम से घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले प्रतिबंध का आधार बनाया था, जिसे बाद में 2016 में समीक्षा के तहत बरकरार रखा गया था।

हालाँकि, हैरानी की बात यह है कि वही घटनाएँ, जिनमें समान रूप से क्रूर प्रथाएँ और बैलों और मनुष्यों की मृत्यु और चोट का जोखिम शामिल था, को अब सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी है। PETA इंडिया की नवीनतम जांच से एक बार फिर पता चला है कि घटनाएँ क्रूर और खतरनाक हैं और इन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

जल्लीकट्टू में बैलों के साथ मार पिटाई, दुर्व्यवहार और लकड़ी की छड़ों से उकसाया जाना

वर्ष 2023 में तमिलनाडु की जल्लीकट्टू घटनाओं की जांच से निम्नलिखित क्रूरता के तथ्य सामने आए :

  • बैलों को लकड़ी की छड़ों और अन्य नुकीले औजारों से पीटा गया, और नाक की रस्सियों से पकड़ कर खींचा गया, जिससे उनकी नाक से खून बहने लगा।
  • थके हुए और प्यासे बैलों को बिना छाया, पानी या भोजन के घंटों तक कतारों में खड़े रहने के बाद दौड़ों में हिस्सा लेने के लिए मजबूर किया गया, और कई दौड़ से पहले और बाद में थकावट या निर्जलीकरण से गिर गए।
  • अधिकारियों द्वारा आयोजनों का समय बढ़ाने से इनकार करने के बाद तमिलनाडु में, मालिकों ने एक बैल को खुला छोड़ दिया, जिसने एक युवा दर्शक को मार डाला, जिससे दंगा भड़क गया और 35 लोगों की गिरफ्तारी हुई।
  • इस वर्ष, बैलों और मनुष्यों की मौत की संख्या आसमान छू गई: पिछले वर्ष 17 मनुष्यों की तुलना में इस वर्ष कथित तौर पर 29 मनुष्यों की मृत्यु हुई, और पिछले वर्ष दो बैलों की तुलना में इस वर्ष 15 बैलों की मृत्यु हुई।

महाराष्ट्र में बैलगाड़ी आयोजनों में बैलों की पूँछें काटी और मरोड़ी गई

2023 से महाराष्ट्र की बैलगाड़ी दौड़ में हुई घटनाओं की जांच से निम्नलिखित पता चला:

  • बैलों को भोजन, पानी और छाया से वंचित कर दिया गया और थकावट से चूर बैलों को दौड़ में भागने के लिए मजबूर किया गया।
  • बैलों की पूँछों को काटा और मरोड़ा गया, जिससे उनका खून बहने लगा।
  • बैलों को नाक की रस्सियों से खींचा गया, जिससे उनकी नाक से खून बहने लगा।
  • बैलों को “केला” कहे जाने वाले उभरे हुए कीलों वाले नुकीले यातना उपकरणों से नोचा गया और पत्थरों से मारा गया।
  • 2022 और जून 2023 के बीच प्रकाशित समाचार पत्रों के लेखों के अनुसार, महाराष्ट्र की बैलगाड़ी घटनाओं में आठ इन्सानों की मौत, कई अन्य घायल और तीन बैल की मृत्यु की सूचना मिली थी

कर्नाटक के कंबाला कार्यक्रमों में भैंसों को पीटा गया, थप्पड़ घूसे मारे गए, लात मारी गई और नाक की रस्सी से पकड़ कर झटका दिया गया।

कर्नाटक के कंबाला कार्यक्रमों में भैंसों को पीटा गया, थप्पड़ घूसे मारे गए, लात मारी गई और नाक की रस्सी से पकड़ कर झटका दिया गया।

2022 के अंत से 2023 की शुरुआत तक कर्नाटक की कंबाला घटनाओं की जांच से निम्नलिखित पता चला:

  • भैंसों को नाक बंधी रस्सी से झटका दिया गया, लाठियों से पीटा गया, चेहरे पर थप्पड़ मारे गए और लात मारी गईं और बैलों का ताजा खून बहता हुआ घाव दिखाया गया।
  • अनिच्छुक, थके हुए भैंसों को दौड़ने के लिए मजबूर करने के लिए लकड़ी की डंडियों और नंगे हाथों से पीटा गया।
  • पूरी दौड़ के दौरान शुरुआत से लेकर समाप्ति रेखा तक भैंसों को लकड़ी की लाठियों से मारा गया।
  • कई भैंसों को दौड़ के लिए शुरुआती लाइन में ले जाने से पहले उन्हें उकसाने के लिए लकड़ी के डंडों से बेरहमी से मारा गया।

आप मदद के लिए क्या कर सकते हैं

 

बैलों पर क्रूरता रोकने के लिए संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह करने के लिए अभी ट्वीट करें।