भारत के चिड़ियाघर: एक गंभीर रिपोर्ट
कंक्रीट और लोहे के पिंजरे
जुलाई 2005 के बाद से, PETA के जांचकर्ताओं ने पूरे भारत में 30 से अधिक चिड़ियाघरों का दौरा किया और बड़े पैमाने पर उपेक्षा, खस्ताहाल सुविधाएं और जानवरों को यातनाएं सहते हुए पाया. भोजन, पेयजल, आवास, पशु चिकित्सा, पर्यावरण संवर्धन, बचाव और सुरक्षा तथा सुविधाओं के मामले में स्थितियाँ बदहाल थी।
अनगिनत जानवरों के पास भोजन या पानी नहीं है। कई जानवर कंक्रीट और लोहे के पिंजरों में रहते हैं जिनके पास कोई खुराक या घास की एक पत्ती भी नहीं है. कुछ पिंजरे इतने छोटे हैं कि जानवर मुश्किल से घूम-फिर सकते हैं। कई जानवरों को असामान्य कदमताल, सिर हिलाने और गंभीर प्रतिरोध जैसे विक्षिप्त/न्युरोटिक और असामान्य व्यवहार करते पाया गया। कुछ जानवरों की चोटें साफ दिखलाई पड़ती हैं और वे स्पष्ट रूप से बीमार होते हैं।
जानवरों को अनुचित तरीके से रखा जाता है. शिकार होने वाले जानवरों को शिकार करने वाले जानवरों के जैसी ही कई सुविधाएं दी गई थीं, जिससे दोनों प्रकार के जानवरों को अत्यधिक तनाव होता है। कुछ सामाजिक स्तनधारियों को अकेले ही कैद में रखा गया था, और एक हाथी के आगे वाले दोनों पैरों को जंजीरों में जकड़ा गया था. कई जानवरों के पास खराब मौसम से बचने या एकांतवास के लिए कोई आश्रय नहीं होता है। जानवरों को कचरे, सड़े हुए भोजन और उनके पिंजरों में फेंक दी गई वस्तुओं को खाते हुए देखा गया. पानी के गड्डे सूखे हुए थे, जंग खाई बाड़ असुरक्षित थीं और पिंजरे बंजर व खस्ताहाल थे।
बहुत कम सुरक्षा के बीच कुछ सुविधाओं पर बहुत कम या फिर महज़ नाममात्र स्टाफ मौजूद होता है। एक चिड़ियाघर को आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया था, फिर भी हमारे जांचकर्ता और अन्य दर्शक अंदर पहुंच गए। किसी चिड़ियाघर कर्मी की मौजूदगी के बिना, दर्शकों को जानवरों को खाना खिलाते देखा गया। हमारे जांचकर्ताओं ने कुछ दर्शकों को जानवरों को छेड़ते, चिड़ाते और पत्थर व कचरा फेंकते हुए भी देखा, वहां बहुत कम या कोई शैक्षिक सामग्री भी उपलब्ध नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
हमारी जाँच के परिणामों के आधार पर हमने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक केस दायर किया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्टूबर 2006 को एक आदेश दिया, जिसमें देश भर के चिड़ियाघरों में निर्दिष्ट जानवरों के प्रजनन पर प्रतिबंध लगाया गया। आदेश की एक प्रति देखने के लिए, यहां क्लिक करें.
असम
महाराष्ट्र
- औरंगाबाद नगरपालिका चिड़ियाघर, औरंगाबाद
- हुतात्मा बाग प्राण संग्रहालय, सोलापुर
- महात्मा गांधी चिड़ियाघर, सोलापुर
- महाराजा शाहजी छत्रपति चिड़ियाघर, कोल्हापुर
- महाराजबाग चिड़ियाघर, नागपुर
- राजीव गांधी जूलॉजिकल पार्क, पुणे
- शिक्षा मंडल स्नेक पार्क, ढोलगरवाड़ी, कोल्हापुर
- सोमनाथ प्रचारक चिड़ियाघर, चंद्रपुर
मेघालय
मिजोरम
नगालैंड
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
पश्चिम बंगाल
आप क्या कर सकते हैं
पूरे भारत के चिड़ियाघरों में जानवर पीड़ित हैं. बोर्ड में महत्वपूर्ण सुधारों को तुरंत लागू करने की आवश्यकता है. कृपया अपनी चिंता व्यक्त करते हुए निम्नलिखित अधिकारियों को विनम्र पत्र लिखें और कार्रवाई की मांग करें:
श्री अनिल माधव दवे
भारत के पर्यावरण और वन मंत्री
इंदिरा पर्यावरण भवन
जोर बाग रोड
नई दिल्ली – 110 003
भारत
24695136, 24695132, 24695127
सदस्य सचिव
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
एनेक्सी- VI, बीकानेर हाउस
शाहजहाँ रोड
नई दिल्ली 110 011
भारत
91-011-2338 1585, 23073072
91-011-2338 6012 (फैक्स)
सबसे महत्वपूर्ण काम जो आप कर सकते हैं, वह है चिड़ियाघरों और जानवरों के प्रदर्शनों को बढ़ावा देना बंद करना. यदि उनका वित्तीय पोषण बंद हो जाएगा, तो चिड़ियाघर जानवरों को प्रजनन और उन्हें जंगलों से कैद करना मजबूरीवश बंद कर देंगे. यदि आपके क्षेत्र में एक चिड़ियाघर सरकारी सब्सिडी पर चल रहा है, तो अपने अधिकारियों से चिड़ियाघर को आपके टैक्स के पैसे देना बंद करने के लिए आग्रह करें. चिड़ियाघर वैध संरक्षण के प्रयासों के नाम पर फंड की हेराफेरी करते हैं. यदि आपके क्षेत्र का चिड़ियाघर कॉरपोरेट दानदाताओं, धर्मार्थ संगठनों और फाउंडेशनों से पैसे दान ले रहा है, तो चिड़ियाघर के प्रायोजकों को लिखें और उन्हें चिड़ियाघरों को पैसे देने की बजाय वन्यजीवों के संरक्षण के लिए दान देने के लिए प्रोत्साहित करें. अपने पत्रों के साथ PETA के “चिड़ियाघर: क्रूर कैद” ब्रोशर की एक प्रति भी लगा दें.