सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल में क्या बुराई है ?

भारत में, सर्कस या किसी अन्य प्रकार के शो में प्रदर्शन करने के लिए भालू, बंदर, बाघ, पैंथर, शेर और बैल को मजबूर करना गैरकानूनी है। लेकिन कई अन्य जानवर जैसे हाथी, कुत्ते, ऊँट, घोड़े, और पक्षी शामिल हैं जिनको डरा धमका कर, तंग व छोटे पिंजरों में कैद करके सर्कस के दर्दभरे करतब दिखाने के लिए मजबूर किया जाता है। सर्कस, इन पशुओं पर होने वाले अत्याचारों को कभी उजागर नहीं होने देता व हमेशा छुपा कर रखता है लेकिन वास्तविकता यह है की इन्सानों के मनोरंजन के लिए इन पशुओं को जंगल से पकड़ कर, उनके परिवारों से दूर करके, गंभीर यातनाएं देकर व कैद में रखकर उन्हे खतरनाक करतब दिखने के लिए मजबूर किया जाता है।

मारना-पीटना
सर्कस में जब शो नहीं होते तो सर्कस के पशुओं को जंजीरों में बांधकर छोटे पिंजरों या गाड़ियों में कैद करके रखा जाता है। उन्हें अनुशासित रखने के लिए डंडे एवं नुकीले औज़ार उपयोग किए जाते हैं। हैंडलर हाथियों को लोहे एवं स्टील के बाले नोकदार अंकुश चुभोकर डराकर व भयभीत करके रखते हैं। जानवर बिना किसी सज़ा के डर से स्वयं अपनी इच्छा से कभी भी सिर के भार उल्टे खड़े होने या जलती आग के गोले से निकलने वाले करतब नहीं करते।

PETA इंडिया द्वारा सर्कसों में पशुओं पर होने वाले अत्याचारों को रिकॉर्ड किया गया है:

जनता का मनोरंजन करने के लिए इन मजबूर जानवरों को हर उस चीज से वंचित कर दिया जाता है जो उनके जीवन के लिए महत्वपूर्ण जैसे परिवार और दोस्तों का साथ, घूमने-फिरने और व्यायाम करने की स्वतंत्रता तथा स्वयं निर्णय लेने की आज़ादी।

कार्रवाई करें

  • पशुओं के करतब दिखने वाली सर्कस में ना जाएँ। जब लोग ऐसी सर्कस के टिकिट खरीदते हैं तो वे जानवरों की पीड़ा का समर्थन करते हैं। परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों से बात करें, विशेष रूप से छोटे बच्चों के साथ जो इस तरह कि सर्कस देखने जाना चाहते हैं, उन्हें समझाएं कि अगर आप ऐसी सर्कस के टिकिट खरीदेंगे तो उसका मतलब होगा कि आप उन जानवरों को मिलने वाली पीड़ा में योगदान कर रहे हैं।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में देश भर के सर्कस में सभी जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अधिसूचना का प्रस्ताव दिया है। आप मंत्रालय को बता सकते हो की आप उनकी इस पहल का समर्थन करते हैं। यहां कार्रवाई करें :



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