घोड़ा गाड़ी क्यों गलत है ?

पर्यटक सवारी के लिए इस्तेमाल की जाने वाले घोड़ा गाड़ी में घोड़ों को आमतौर पर लगाम से बांध कर निरंतर रूप से पीटा जाता है, तेज़ गर्मी में इन जानवरों को भारी भरकम समान उठाने के लिए मजबूर किया जाता है और लंबे समय तक बिना पर्याप्त भोजन एवं पानी दिये उनसे काम लिया जाता है जिसके चलते घोड़े शारीरिक थकावट से चूर होकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार बनते हैं। इन घोड़ों को दिये जाना वाला भोजन बेहद घटिया किस्म का होता है जिस कारण जिसके सेवन से उन्हे पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता इसलिए यह घोड़े कुपोषित होते है व कमजोर शरीर होने से उनकी हड्डियाँ साफ दिखाई देती हैं। लगातार कंक्रीट की सड़कों पर दौड़ने से इनके पैरों के खुर चोटिल हो जाते है इन्हे अक्सर लंगड़ाकर चलते देखा जा सकता है। इन घोड़ों के पैरों के खुरों में कंकड़ पत्थर घुस जाते हैं जिससे जख्म बन जाते हैं व दर्दनाक संक्रमण फ़ेल जाता है। जब यह घोड़े काम पर नहीं होते तो इनको छोटे अस्तबलों में टाईट रस्सियों के साथ बांधा जाता है व ये अपने ही माल मूत्र में साने घंटो खड़े रहते हैं। इन सामाजिक जानवर खुले मैदानों में चरने व दौड़ने के लिए बने हैं अस्तबलों में कैद होकर रहने के लिए नहीं।

घोडा गाड़ी, घोड़ों और मनुष्यों दोनों के लिए खतरनाक हैं। कोई एक तेज़ आवाज़ या किसी वाहन का हॉर्न किसी भी घोड़े को स्तब्ध कर सकता है – यहां तक कि यातायात का तेज़ शोरगुल भी उसको उत्तेजित कर सकता है। भीड़भाड़ व यातायात भरी सड़कों पर इन घोड़े गाड़ियों की कारों व अन्य वाहनों के साथ दुर्घटनाएं होना एक आम बात है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के ठाणे में घोड़े गाड़ी के पास से तेज़ गति से कार गुजरने पर घोड़ा चौंक गया व गाड़ी का संतुलन बिगड़ने से उस पर बैठा 3 साल का बच्चा घाड़ी से छिटक कर दूर जा गिरा उसी तरह से गेटवे ऑफ इंडिया पर थकावट के कारण एक घोड़ा बेहोश होकर गिरने से गंभीर रूप से घायल हो गया।

पालतू घोड़ों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है उदाहरण के लिए, घोड़ो को पैरों की देखभाल के लिए एक पेशेवर देखभालकर्ता की आवश्यकता होती है जो उनके खुरों का ठीक से ध्यान रख सके लेकिन भारत में, इन घोड़ों को अक्सर जमीन पर लिटाकर किसी गैर पेशेवर व्यक्ति के द्वारा उनके पैरों के खुरों में नाल लगा दी जाती है। किसी पशु चिकित्सक के द्वारा साल में कम से कम एक बार घोड़ों के दाँतो की सफाई एवं भराई की जानी चाहिए ऐसा न करने पर उनके दाँत नुकीले हो जाते हैं व उनको खाना चबाने में बेहद दर्द होता है जिस कारण वो खाने से इंकार करते हैं। घोड़ा गाड़ी में इस्तेमाल होने वाले घोड़ों को इस प्रकार की पशु चिकित्सा व पशु पालन की सुविधाओं को अनदेखा किया जाता है।

बॉम्बे के उच्च न्यायालय ने भी पुष्टि की है कि घोड़ागाड़ी गैरकानूनी हैं। PETA इंडिया ने इस तरह से गैरकानूनी दौड़ में इस्तेमाल होने वाले अनेकों घोड़ों को रिहा करवाया है। किन्तु देश के अन्य हिस्सों में इस प्रकार की घोड़ागाड़ी आम बात है।

अगर आप घोड़ों की परवाह करते हैं, तो कभी घोड़ागाड़ी की सवारी न करें। इस प्रकार के कार्यों में इस्तेमाल होने वाले घोड़ों को कितना कष्ठ सहना पड़ता है इसकी जानकारी अन्य लोगों के साथ सांझा करें।

 

 

 



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