जानवरों की सवारी करने में क्या गलत है ?
बाहरी देशों से भारत घूमने आने वाले पर्यटक हमारे वन्यजीवों की सराहना करते हैं लेकिन बहुत से सैलानी यहाँ हजारों हाथियों को बंदी बना देखकर स्तब्ध रह जाते हैं।
जयपुर (राजस्थान) में आमेर के किले पर हाथी सवारी हेतु इस्तेमाल होने वाले हथियों की जांच हेतु भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा एक जांच दल गठित किया गया। इस जांच में पता चला है कि वहाँ यह हाथी पैरों की दर्दनाक समस्याओं के साथ जबरन सवारी करने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं। इन्हे कंक्रीट के पक्के फर्श पर रखा जाता है व नुकीली जंजीरों के साथ बांधा जाता है। हैंडलर ने इन हाथियों के कानो को भी छेद दिया है और उनके दाँत भी काटकर छोटे किए हैं। निरीक्षण में यह भी पाया गया कि कई मालिकों के पास जो स्वामित्व प्रमाण पत्र हैं वह सब गैरकानूनी हैं इसलिए इन हथियों को बंदी बनाकर रखना व उनसे काम करवाना भारतीय पशु-संरक्षण कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। इन हथियों में बहुत से हाथी दृष्ठिबाधित है व टीबी संक्रमित होने के बावजूद उनसे जबरन हाथी सवारी कराई जा रही है।
पिटाई एवं शोषण
प्रशिक्षकों ने हाथियों को लाठी-डंडों से पीट कर व डरा-धमकाकर रखते हैं। आमेर के किले पर जाने वाले एक पर्यटक ने शिकायत दर्ज कराई थी की वहाँ देखभालकर्ताओं के एक दल ने 10 मिनट तक एक हाथी की पिटाई की थी।
कानून की धज्जियां उड़ाना
भले ही वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत हाथियों को पकड़ना व बंदी बनाना प्रतिबंधित है, किन्तु फिर भी पर्यटकों के मनोरंजन के लिए हाथियों को जंगलो से जाकर पकड़ा जाता है व उनको उनके परिवारों से अलग कर मार पीट व अत्याचारों कर जबरन हाथी सवारी हेतु तैयार किया जाता है। हाथी अत्यधिक सामाजिक प्राणी हैं, जो प्रकृति में अपने परिवारों के साथ अपना पूरा जीवन बिताते हैं। वह भोजन के लिए प्रतिदिन 50 किलोमीटर तक पैदल चलते हैं, स्सथ मिलकर रहना व आपसी समस्याओं को मिलकर सुलझाते हैं। वह परिवार व झुंड में रहते हैं तथा अपने सबसे बड़े रिश्तेदारों के ज्ञान, निर्णय और अनुभव पर भरोसा करते हैं।
आप क्या कर सकते है?
हाथी की सवारी को समाप्त करने में हमारा साथ दें।
ऊंट की सवारी
ऊंटों को अक्सर उनके घर रेगिस्तान से पकड़ कर लाया जाता है व क्रूर यतनाएं देकर उनको गाड़ियां खींचने और लोगों को मनोरंजन करने के लिए मजबूर किया जाता है। सवारी कराने वाले अक्सर जानवरों की मूलभूत जरूरतों को नजरंदाज करते हैं। काम करने वाले ऊंटों को आमतौर पर भोजन एवं छाया से वंचित रखा जाता है। उनको तप्ति धूप महज़ थोड़ा आराम व पानी देकर घंटो सवारियां ढोने को मजबूर किया जाता है। उनमे से बहुत से ऊंट कमजोर, थके हुए व बीमार हो जाते हैं।
इन ऊंटों को भारी भरकम माल ढ़ोने के लिए मजबूर किया जाता है, समान के भार एवं रस्सियों के घिसने से उनका शरीर चलनी हो जाता है व जख्म बन जाते हैं। पर्याप्त इलाज़ न मिल पाने के कारण या अनुपचारित छोड़ दिये जाने के कारण यह घाव धीरे धीरे गहरे जख्मों का रूप ले लेते हैं व आगे चलकर संक्रमण में तब्दील हो जाते हैं।
घोड़ों को भी मदद चाहिए
भारत में शादियों के मौसम के दौरान, किराए पर काम करने वाले घोड़े एक समारोह से दूसरे समारोह में सुबह से लेकर शाम तक बिना रुके काम करते हैं। इन समारोहों में ढ़ोल, ड्रम व बैंड बाज़े की तेज़ आवाज तथा पटाखों की धमक सहने के अलावा इन घोड़ों को दर्दनाक मुँह की नुकीली लगाम पहनाई जाती है। हालांकि मुँह की नुकीली कांटेदार लगाम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा है किन्तु फिर भी इसका व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है।
दिल्ली पुलिस की मदद से, PETA इंडिया ने दिल्ली में एक अभियान चलाया जिसमें 50 से अधिक मुँह की नुकीली लगामें जब्त की गयी थी।
अपनी शादी को खास बनाए –
यदि आप अपनी शादी की योजना बना रहे हैं तो कृपया घोड़ों के इस्तेमाल की बजाए किसी शानदार वाहन क इस्तेमाल करें जैसे कोई विंटेज कार, कोई मोटर साइकल या कुछ और खास।