सिल्क
महज़ 100 ग्राम सिल्क का उत्पादन करने के लिए लगभग 1500 रेशम के कीड़ों को अपनी जान गवानी पड़ती है। पैदावार को निरंतर रखने हेतु कुछ कीड़ों को आपसी संभोग हेतु अलग रखा जाता है। जब मादा कीड़ा अंडे दे देती है तो कर्मी उसे कुचल कर मार देते हैं ताकि वो बीमारियों का पता लगा सकें और यदि वह रोगग्रस्त प्रतीत होती है तो फिर उसके अंडों को भी नष्ट कर दिया जाता है। संभोग के बाद नर कीड़ों को कचरे की एक टोकरी में भरकर बाहर फेंक दिया जाता है। कई पीड़ियों से इन कीड़ों के साथ ऐसा होता आ रहा है इसलिए अब वह उड़ नहीं पाते। रेशम पालन केन्द्रों के बाहर फेंक दिये जाने से उड़ने वाले पक्षी इन कीड़ों को अपना भोजन बना लेते हैं।
सिल्क का विकल्प –
आज के दौर में सिंथेटिक पदार्थो से बने व सिल्क की तरह मुलायम, कोमल व रेशम फ़र वाले उत्पाद असानी से मिल जाते हैं जैसे आर्टिफ़िशियल सिल्क (आर्ट सिल्क) व चाइना (चीन का नहीं) सिल्क। यह विकल्प रेशम के कीड़े की बजाय अन्य सामाग्री के मिश्रण से तैयार होते हैं। जैसे रेयन सेलुलोस फाइबर से बनता है उसी तरह नायलोन व पोलिस्टर पेट्रोलियम से बनते हैं।