साथी पशु
कुत्ते और बिल्लियां: उनके लिए जो बेहतर है वह करें
एक आदर्श दुनिया में, पशु अपने जीवन को पूरी तरह से जीने के लिए, अपने बच्चे पालने, वातावरण का आनंद लेने और अपनी प्राकृतिक प्रवृत्ति का पालन करने के लिए स्वतंत्र होंगे. हालांकि, कुत्तों और बिल्लियों को हमारे कंकरीट के जंगलों में आजादी से रहने में बड़ी मुश्किलें होती हैं, इसलिए हमें उनकी अच्छे से देखभाल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. समय, पैसा, प्यार और धैर्य वाले लोग किसी एनिमल शेल्टर से या सड़को पर खराब हालतों में रह रहे पशुओं को गोद लेकर जीवनभर प्रतिबद्धता से उनकी सेवा कर एक बड़े बदलाव की नींव रख सकते हैं. लेकिन तथाकथित खास या बढ़िया नस्ल के नाम पर जानवरों के अत्याधिक प्रजनन को बंद करना भी महत्वपूर्ण है, जोकि जानवरों की अत्याधिक जनसंख्या वृद्धि के संकट को जन्म देता है.
दुखद सच्चाई यह है कि हर कोई जानवरों से प्यार नहीं करता. किसी भी पशु कल्याण अधिकारी से उन जानवरों के बारे में पूछकर देखिए जो घायल, खून से लथपथ और बीमार पाए जाते हैं. उनको बहुतेरे पिल्ले कूड़े के ढ़ेरों में पड़े मिलते हैं और कितने ही बिल्ली के बच्चे हाइवे या सड़कों के किनारों या झीलों और नदियों में फेंके गए प्लास्टिक के कचरा बैगों से निकालकर बचाते हैं. पशु कल्याण अधिकारी बताते हैं कि कितने ही जानवरों को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया जाता है क्योंकि वे बूढ़े हो गए होते हैं, या “बहुत ज्यादा भौंकते हैं” या फिर परिवार किसी दूसरी जगह पलायन कर रहा होता है.
यहां तक कि जो लोग जानवरों की परवाह करते हैं, वे अक्सर उनकी कई जरूरतों को या तो समझ नहीं पाते हैं या पूरा नहीं कर पाते हैं. उदाहरण के लिए, कुत्ते सैर के लिए बाहर जाना और अपने अभिभावकों के साथ खेलना पसंद करते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने कुत्तों को अनुचित रूप से छोटी रस्सी/चेन से बांधकर टहलने के लिए बाहर जाते हैं और रास्ता भटकने पर उन्हें डंडे से मारते हैं. यदि आपको लगता है कि कुत्ते के लिए डंडे की जरूरत है, तो आपको कुत्ता पालने की आवश्यकता नहीं है.
पालतू जानवर विरोधाभासी नियम कायदों में बंध जाते हैं, उन्हें अपने दम पर जीवित रहने में कठिनाई होती है, फिर भी वे अपनी कई मूल प्रवृत्तियां और चाल-चलन नहीं छोड़ पाते. आमतौर पर, उन्हें उनके प्राकृतिक रहन-सहन से अलग-थलग कर दिया जाता है. उनके शरीर और मन घूमने के लिए तरसते रहते हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर उनको एक घर या आंगन में बंद रखा जाता हैं. वे पानी पीने, खाना खाने और बाहर घूमने फिरने के लिए हमेशा अपने मालिकों पर निर्भर रहते हैं. अगर कुत्तों के लिए सबसे क्रूर सजा के बारे में सोचा जाए तो शायद एकांत में रस्सी/बेल से बांधकर उन्हें जेल जैसी स्थिति में रखने से ज्यादा बदत्तर कुछ नहीं हो सकती. फिर भी बहुत से लोग कुत्तों को इसी तरह बांधकर रखते हैं.
जब तक लोग कुत्तों को आत्मीय भावनाओं के साथ परिवार और दोस्त की तरह रखने की बजाय उन्हें खिलौने, संपत्ति और वस्तुएं मानते रहेंगे, तब तक व्यापक रूप से उनकी उपेक्षा और दुरुपयोग ऐसे ही जारी रहेगा.
ब्रीडिंग की एक दुखद कहानी
एक संतानवती(जो बांझ न हो) मादा बिल्ली और उसकी संतानें सिर्फ सात वर्षों में 420,000 बिल्लियाँ पैदा कर सकती हैं, और एक नपुंसक न बनाया गया कुत्ता तो अनगिनत पिल्लों का बाप बन सकता है.
क्योंकि साथी जानवरों की संख्या उनके लिए मांग से अधिक है, दुर्व्यवहार, भुखमरी और बीमारियों से पीड़ित लाखों बेघर बिल्लियां और आवारा छोड़ दिए गए कुत्ते अक्सर सड़कों पर मारे जाते हैं या प्रयोगशालाओं में उपयोग करने के लिए किडनैप कर लिए जाते हैं.
बहुत से लोग जो जानवर पालते हैं, वे अक्सर उन्हें घर से निकाल देते हैं, उन्हें आवारा छोड़ देते हैं या उन्हें एनिमल शेल्टरों में छोड़ आते हैं.
इन दुखद तथ्यों को देखें तो ब्रीडिंग को “सही” नहीं माना जा सकता. जो लोग लाभ के लिए पशुओं की ब्रीडिंग करते हैं या अपने कुत्ते या बिल्ली को “बच्चे पैदा करने की मशीन” के रूप में रखते हैं, वे गंभीर रूप से कुत्ते और बिल्लियों की जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा दे रहे होते हैं. हर बार जब ब्रीडिंग एक कुत्ते या बिल्ली का बच्चा पैदा होता है, तो एनिमल शेल्टर में घर का इंतजार कर रहा या सड़कों पर आवारा भटक रहा कोई कुत्ता या बिल्ली अपने लिए घर पाने का मौका खो देता है.
नस्लीकरण की समस्याएँ
तथाकथित बढ़िया नस्ल के लिए ब्रीडिंग (एक ख़ास तरह सरंचनाओं या विशेषताओं वाले बच्चे पैदा करने के लिए जानवरों की ब्रीडिंग करवाना) ने जानवरों में अनेकों तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है. उदाहरण के लिए, बुलडॉग और बोस्टन टेरियर्स जैसे “सपाट चेहरे” वाले कुत्ते सांस लेने संबंधी कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनकी साँस लेने वाली छोटी नलियों की वजह से उन्हें गर्म मौसम में सांस लेने में दिक्कतें होती हैं, और वे सोते वक्त या बेहोशी की मुद्रा में जटिलताओं का सामना करते हैं. खोजी कुत्ते और शार-पेइज़ की अत्यधिक झुर्रियों वाली त्वचा उन्हें त्वचा के संक्रमण से ग्रस्त कर देती है, डेलमेटियन अक्सर बहरे होते हैं और अन्य नस्ली कुत्ते मिर्गी के दौरे, कूल्हों के कैंसर, दर्दनाक पीठदर्द की समस्याओं आदि से पीड़ित होते हैं. असल में यह सब इसलिए होता है क्योंकि मनुष्य सोचते हैं कि वे प्रकृति में बदलाव कर सकते हैं.
अफसोस की बात है, कि ब्रीडरों ने प्रत्येक वर्ष लाखों कुत्तों और बिल्लियों का “तथाकथित नस्लीय सुधार” किया है, जिसकी वजह से उतने ही प्यार के लायक अनगिनत कुत्ते और बिल्लियाँ भोजन या प्यार के बिना मर जाते हैं.
अनुपालन का प्रशिक्षण
PETA-इंडिया पूरी ईमानदारी से मानवीय प्रशिक्षण का समर्थन करता है, इससे कुत्तों को अधिक स्वतंत्रता और हमारी दुनिया की अधिक समझ मिलती है. कुत्तों को उन लोगों द्वारा मानवीय रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिनके साथ वे रहते हैं. एक कुत्ते को किसी दूसरे को प्रशिक्षित करने के लिए सौंप देना न केवल उसके साथ होने वाले दुर्व्यवहार को उजागर करता है, बल्कि अभिभावकों को यह सीखने से भी रोकता है कि अपने पशु साथियों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद कैसे करें.
करुणाभाव, स्पष्टता और निरंतरता कुत्ते के प्रशिक्षण के सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं. अच्छे व्यवहार के लिए सकारात्मक पोषण और प्रशंसा सबसे अच्छा काम करते हैं. कुत्ते आपको खुश करने और उन पर गर्व करने के लिए कोशिशें करते हैं. प्रशिक्षण में कभी भी शारीरिक शोषण या चिल्लाने जैसी कोई तकनीक शामिल नहीं होनी चाहिए, जो जानवरों को खतरे में डालती है या उन पर अनुचित तनाव डालती है.
आप क्या कर सकते हैं
कुत्ते और बिल्लियों समेत आवारा जानवरों की नसबंदी करवाएं. नसबंदी की सर्जरी से ठीक होने के बाद आवारा जानवरों को उसी जगह पर छोड़ दें, जहां से वे ले जाए गए थे. उनकों अपरिचित क्षेत्रों में छोड़ने से उस जगह पर अपना अधिकार रखने वाले आवारा जानवर उन पर हमला कर सकते हैं. इतना ही नहीं, उन्हें यह भी पता नहीं होगा कि वहां भोजन या पानी कहां मिलेगा.
एनिमल शेल्टरों या सड़कों पर भटकने वाले पशुओं को गोद लें– कभी भी जानवर को दुकान से न खरीदें. और उन वयस्क जानवरों की अनदेखी भी न करें, जिन्हें अक्सर उन लोगों द्वारा अनदेखा किया जाता है जो नए पिल्ला या बिल्ली के बच्चे की तलाश कर रहे होते हैं.
अनिवार्य और मानवीय नसबंदी कानून पारित करवाने के लिए अपने समुदाय के बीच काम करें.
अगर कोई किसी जानवर से बच्चे पैदा करवाने की योजना बना रहा है, तो उसके खिलाफ बोलें.
उपेक्षित जानवर के लिए आवाज उठाएं. यदि आप किसी जानवर को उपेक्षित महसूस करते हैं, तो उसके अभिभावक से बात करें, या किसी पशु कल्याण समाज से संपर्क करें या पत्र लिखें. ऐसा लगातार करे!
अपने साथी जानवरों के साथ रोज टहलें और खेलें.
हो सके तो एक ही प्रजाति के दो जानवरों को गोद लें. जानवरों को अपने साथी जानवरों की संगति/भाईचारे की आवश्यकता होती है. एक पशु मित्र होने से उन्हें आपके घर लौटने के लंबे इंतजार से होने वाली बोरियत और अकेलेपन को कम करने में मदद मिल सकती है.