गायों के साथ क्या हो रहा है ?
डेरी उद्योग में पीड़ा
डेयरी फार्मों पर गायों और भैंसों के थनों को भारी बनाने के लिए उनके साथ आनुवांशिक स्तर पर छेड़छाड़ की जाती है ताकि वे स्वाभाविक से अधिक दूध का उत्पादन कर सकें। इतना ही नहीं, उत्पादन को और अधिक बढ़ाने के लिए पशुपालक इन पशुओं को सिंथेटिक ग्रोथ हार्मोन के इंजेक्शन लगाते है, जिससे थनों में सूजन यानी थनों में दर्दनाक संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। भारत में कुछ पशुपालक अवैध रूप से गायों को एक खतरनाक मादक ड्रग ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाते हैं, जो गायों को अधिक दूध देने के लिए मजबूर करती है। यह दवा मनुष्य को बहुत बीमार कर सकती है। गाँवों में, पशुपालक अक्सर “फुकन” नामक खतरनाक विधि का प्रयोग करते हैं। इस विधि में एक छड़ी को गाय के गर्भाशय में घुसाया जाता है और मोड़ा जाता है, जिससे गाय को असहनीय दर्द होता है। इस प्रक्रिया से कभी-कभी आंतरिक घाव भी हो जाते हैं जो बुरी तरह से संक्रमित हो सकते हैं।
दूध उत्पादन के लिए पाली जाने वाली गायों से स्वाभाविक से अधिक दूध निकालने के लिए आनुवांशिक स्तर पर छेड़छाड़ की जाती है। उनके सूजे हुए थन कई बारे इतने संक्रमित हो जाते हैं कि उनके दूध के साथ खून और मवाद भी निकलने लगते हैं।
गाय और भैंस दूध भी इंसान की तरह अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए दूध देती हैं। उनके बछड़ों को जन्म के कुछ समय बाद ही उनसे दूर कर दिया जाता है, जिससे मां और बछड़े दोनों को आघात और कष्ट पहुंचता है। मादा बछड़ों को डेयरी झुंड में शामिल कर लिया जाता है या उनके पेट में पाए जाने वाले जामन (रैनेट) के लिए कत्ल कर दिया जाता है, जिसका उपयोग पनीर बनाने के लिए किया जाता है। कभी-कभी गायों के बछड़ों को जन्म के तुरंत बाद उनके मांस के लिए मार दिया जाता है, अन्यथा उन्हें दूध उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है या उनके बड़े होने के बाद मांस या चमड़े के लिए मार दिया जाता है। इतना ही नहीं, कुछ वर्षों बाद दूध उत्पादन कम होने के कारण गायों को मारकर उनका मांस और खाल बेच दी जाती है।
मवेशियों के साथ क्या किया जाता है?
भारत में 18.6 करोड़ से भी अधिक मवेशी हैं, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक संख्या में हैं। भारत में मांस के लिए पाले जाने वाले मवेशियों को अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले बाड़ों में अपनी जिंदगी बितानी पड़ती है। वहां उन्हें इतना कसकर बांधा जाता है कि उनके पास ठीक से चरने तक की जगह नहीं होती। जवान मवेशियों को दर्दनिवारकों के बिना ही दाग लगाने, अंडकोश निकालने और सींग निकालने जैसी दर्दनाक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता हैं। इतना ही नहीं, उनके थनों तक को काट दिया जाता है।
गायों के बारे में आपको क्या नहीं बताया जाता
इंसानों की तरह ही गायों में भी विविधता होती हैं। कुछ दबंग और साहसी होती हैं तो कुछ शर्मीली और डरपोक। कुछ मिलनसार और विचारशील होती हैं तो कुछ रोबदार और चालाक। वे बूचड़खाने से भागने के लिए 1.8 मीटर की बाड़ को छलांग लगाने, एक बछड़े से दोबारा मिलने के लिए 11 किलोमीटर पैदल चलने, और नदी में आज़ादी से तैरने जैसे साहसिक करतब करने के लिए जानी जाती हैं। वे पक्की दोस्ती करती हैं और अपने स्वयं के रिश्तेदारों के अलावा असंबंधित दोस्तों और उनकी संतानों के साथ सामाजिक गठजोड़ विकसित करती हैं।अधिक पढ़िए।