जानवरों से जबरन प्रदर्शन करवाना क्यों गलत है ?
हालांकि मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने वाले जानवरों के शो अब समाप्त हो रहे हैं लेकिन अभी भी कई जानवरों को प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ता है और उसके लिए उन्हें नर्क के समान कष्ठ सहना पड़ता है।
साँप-सँपेरे का खेल
आकर्षक शो एवं समारोह में इस्तेमाल होने वाले सांपों को काफी कष्ठ सहना पड़ता है।
भले ही सांपों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति माना गया है, उन्हे अक्सर जंगल से पकड़ा जाता है और बैग या छोटे डब्बे में बिना भोजन के कैद रखा जाता है। उनके दांत हिंसक रूप से तोड़ दिये जाते हैं और बहुत से साँपो के मुंह तक बंद कर दिए जाते हैं। उनके विष नलिकाएं में गर्म सुई चुभो कर उनकी ग्रंथियों को नष्ट कर दिया जाता है। पुजा के दौरान उनके माथे पर लाल रंग का टीका लगाया जाता है इससे साँपो की आंखो में दर्द होता है व वो चिड़चिड़ाहट महसूस करते हैं। साँप बीन की धुन पे नहीं नाचते, असल में वो सपेरे द्वारा बजाई व लहराई जा रही बीन के पाईप से डरते हैं व उसे खतरा सझते हैं।
बंदर का नाच
भारत में बंदर, शेर, बाघ, पैंथर, भालु और सांडों के प्रदर्शन पर प्रतिबंध है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित होने के बावजूद बंदर आमतौर पर कई आयोजनो के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। सजाधजा कर शो में लाये गए बंदरों के अक्सर दाँत टूटे हुए होते हैं, उन्हे हमेशा रस्सी से बांध कर रखा जाता है तथा मार व सज़ा के डर से वो नाच दिखाते हैं। अपनी इच्छानुसार काम करवाने के लिए इन जानवरों को भूखे रखना भी प्रशिक्षक की एक तकनीक होती है। कुछ बंदरों के गले में तार बंधी पायी जाती है जो उन्हें मदारी की आज्ञा मानने और उस से डर के रहने के लिए इस्तेमाल की जाती है। जब भयभीत बंदर अपनी इच्छा से इधर उधर जाने लगते हैं या प्रशिक्षक अपनी इच्छानुसार उन्हे किसी तरफ ले जाते हैं तो वो इन बंदरों के गले में बंधी जंजीर को दर्दनाक तरीके से ज़ोर से खींचते हैं।
आप भी मदद कर सकते हैं
• अपने परिवार एवं दोस्तों से आग्रह करें की वो पशुओं से संबन्धित शो न देखने जाएँ।
• यदि संभव हो, आप जब भी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति के जानवर का कोई शो देखें तो तत्काल उसकी फोटो लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशन या फिर वन विभाग अधिकारी के पास उसकी शिकायत दर्ज कराएं। स्थानीय वन अधिकारी की जानकारी राज्य वन विभाग की वेब साइट से आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
• यदि आपको इस से संबन्धित कोई अन्य मदद की आवश्यकता हो तो PETA इंडिया के आपातकालीन नंबर पर कॉल करें- (0) 9820122602 या फिर किसी स्थानीय पशु संगठन से संपर्क करें।