मांजा क्यूँ खतरनाक है ?
तीखा धागा यानि माँजा, पतंगबाजी प्रतियोगिताओं के दौरान विरोधियों की पतंग काटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। माँजा सूती धागे के ऊपर काँच व अन्य सामग्री के लेप चड़ाकर कर तैयार की जाने वाली एक डोर है। यह तीखी डोर न केवल दूसरी पतंगो की डोर काटने में सक्षम होती है बल्कि इसके धारदार होने से पतंग उड़ाने वाले इन्सानों सहित बच्चों एवं पक्षियों को भी गंभीर चोटें आती हैं। पतंगबाजी के दौरान यह माँझा बिजली की तारों में फस जाता है जिस कारण बिजली लाइन में फ़ाल्ट हो जाता है। एक बिज़ली लाइन में गड़बड़ होने से 10,000 लोग प्रभावित होते हैं।
माँजा नुक्सानदायक है व पक्षियों की मौत का कारण भी
मांजा हर साल हजारों कबूतर, कौवे, उल्लू, गिद्ध एवं अन्य कई पक्षियों की मौत का कारण बनता है। मांजे से टकरा कर आसमान में उड़ते अनेकों पक्षियों के पंख कट जाते है या उनका शरीर घायल हो जाता है। पेड़ों एवं इमारतों पर उलझे मांजे में अनेकों पक्षी फसकर घायल हो जाते हैं। अहमदाबाद में एक पक्षी संरक्षक का अनुमान है कि शहर के उत्तरायण उत्सव के दौरान मांजे की चपेट में आकार हर साल लगभग 2,000 पक्षी घायल होते हैं जबकि उनमे से तकरीबन 500 पक्षी मर जाते हैं। 2017 के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान, दिल्ली के श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर पक्षी अस्पताल ने मांजा से संबंधित दुर्घटनाओं में घायल हुए 700 पक्षियों का इलाज किया था।
माँजा इन्सानों के लिए भी खतरनाक है-
पैदल, मोटरसाइकिल, स्कूटर सवार या फिर कर की खिड़कियों से मुंह बाहर निकाल कर यात्रा करते हुए अनेकों लोगों ने हवा में लहराते मांजे का शिकार होकर अपनी जान गवाई है। अक्सर, घातक माँजे से गला कटने वाले लोगों के जीवित रहने की उम्मीद कम होती है। चेन्नई में अपने पिता के साथ मोटर साईकल से जाते एक 5 साल के बच्चे का माँजे से गला कटने से मौत हो गई थी और देश भर में अनगिनत लोग इसी तरह मांजे की चपेट में आकार घायल या मौत का शिकार होते आए हैं। एक और लड़का जो सिर्फ 5 साल का था, वडोदरा में स्कूल जाते समय मांजे से गला कटने से उसकी मौत हो गयी थी और उसी तरह जयपुर में भी मांजे से गला कटने पर एक 5 साल की बच्ची की मौत हो गई थी। एक अन्य घटना में जयपुर में एक 2 साल के बच्चे के चेहरे व गर्दन पर मांजे से इतना अधिक नुक्सान हुआ की उसकी जान बचाने के लिए डॉक्टर्स को बच्चे के मुंह पर 22 टांके लगाने पड़े थे।
सभी प्रकार के मांजे पर रोक लगनी चाहिए-
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2017 में सिंथेटिक और नायलॉन मांजा पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन सिर्फ सिंथेटिक एवं नायलॉन मांजा ही नहीं बल्कि सभी तरह का माँजा खतरनाक हैं।
दिल्ली सरकार ने सभी तरह के मांजे पर प्रतिबंध लगा दिया है जिसमें सूती धागे के ऊपर काँच का लेप चड़ा माँजा जो स्थानीय बाज़ार में बरेली के मांजे के नाम से बिकता है, शामिल हैं। पतंगबाजी के लिए केवल सादे सूती धागों का उपयोग करने की अनुमति है जो किसी भी प्रकार के लेप या कोटिंग से मुक्त होते हैं। मांजा से सभी पक्षियों एवं मानव हितों की रक्षा करने का एकमात्र उपाय मांजे के समस्त रूपों पर प्रतिबंध लगाना है।
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