जानलेवा बीमारी ‘ग्लेन्डर’ का पता चलने पर PETA इंडिया ने छत्तीसगढ़ सरकार से अनुरोध किया शादी समारोहों में घोड़ों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाए।
जांच के दौरान घोड़े में “ग्लेन्डर” वाइरस पॉज़िटिव पाया गया जो की इन्सानों में भी हस्तांतरित हो सकता है।
रायपुर- आज, छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में एक सफ़ेद घोड़े को घातक बीमारी “ग्लेन्डर” से पीड़ित पाया गया, यह सफ़ेद घोड़े शादी विवाह समारोह में इस्तेमाल किए जाते हैं। पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने तत्काल राज्य सरकार को पत्र लिखकर उस घोड़े को शादी एवं समारोह जैसे आयोजनो में न शामिल किए जाने हेतु प्रतिबंधित करने का अनुरोध किया है क्यूंकि घोड़ों से यह जानलेवा बीमारी इन्सानों में भी हस्तांतरित होने की संभावना होती है।
इस पत्र में PETA समूह ने इंगित किया है कि “पशु संक्रमण व संक्रामक रोगों की रोकथाम तथा नियंत्रण अधिनियम, 2009, तथा केंद्र सरकार के मतस्य, पशु कल्याण एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा जून 2019 में जारी “भारत में ग्लेंडर्स के नियंत्रण एवं उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना” के अनुसार राज्य में ग्लेंडर्स से प्रभावित घोड़ों पर तत्काल रूप से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। 2019 की राष्ट्रीय कार्य योजना के अनुसार “संक्रमित घोषित किए गए क्षेत्र के 25 किलोमीटर के दायरे में घोड़ों से संबन्धित मेले, मंडली, शो या किसी भी प्रकार के आयोजन (शादी सहित) जिसमे असंगठित क्षेत्र के घोड़े भाग लेते हैं के आयोजन की अनुमति नहीं प्रदान की जाएगी“। 2019 की इस निर्देशिका में आगे यह भी कहा गया है यह राज्य पशु चिकित्सा प्राधिकरण की ज़िम्मेदारी होगी की वो राज्य में क्लीनिकल, फिजिकल, पैथोलॉजिकल तथा सीरोलॉजिकल सर्विलान्स सहित ग्लेन्डर सर्विलान्स कार्यक्रम का भी संचालन करें।
PETA इंडिया के सीईओ तथा घोड़ों के विशेषज्ञ, डॉ. मणिलाल वालियाते कहते हैं- “शादियों में इस्तेमाल होने वाले घोड़ों को दर्दनाक मुंह की नुकीली लगाम के द्वारा नियंत्रित किया जाता है तथा वह आमतौर कुपोषित, चोटिल, भूखे एवं प्यासे रहकर मीलों तक भारीभरकम गाड़ियों को खींचते हैं। लेकिन अब छत्तीसगढ़ की जनता भी उस जानलेवा बीमारी के खतरे में आ गयी है जो इन घोड़ों से आगे फैलता है। शायद ही कोई यह देखना चाहेगा की शादी के दौरान घोडा किराए पर लेने के कारण दूल्हा एवं दुल्हन को हनीमून के रूप में जानलेवा ग्लेंडर बीमारी तोहफ़े में न मिल जाए इसलिये उनको अपनी शादी में इस से बचने के लिए सुरक्षा उपकरण पहनने पड़ें। हम छत्तीसगढ़ की जनता से अनुरोध करते हैं कि वो अपनी तथा अपने परिवार के सदस्यों की शादी में कभी घोड़ों का इस्तेमाल न करें।“
ग्लेंडर घोड़ों, खच्चरों, व गधों में होने वाली एक संक्रामक व जानलेवा बीमारी है जो बुर्खोलडेरिया मल्लेई (Burkholderia mallei ) नामक बैक्टीरिया से फैलती है इसका लक्षण है की यह आमतौर पर ऊपरी श्वसन नलिका में, फेफड़ों में व ऊपरी त्वचा पर पाये जाने वाले अल्सर के विकास से होती है। ग्लेंडर से संक्रमित जानवरों कि सांस के संपर्क में आने से यह इन्सानों में भी हस्तांतरित हो जाती है जो त्वचा, फेफड़ों तथा पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है। उचित व समय पर उपचार न मिलने के अभाव में दर्दनाक मौत हो जाती है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाइड PETAIndia.com पर जाएँ।