बकरीद से पहले PETA इंडिया का राज्यों से अहवान – “पशु कुर्बानी पर रोक लगाने वाले क़ानूनों का सख्ती से पालन हो”
PETA समूह ने अधिकारियों से जानवरों की गैरकानूनी हत्याएं रोकने का आग्रह किया
नयी दिल्ली – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने भारत के समस्त राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों, पशुपालन विभाग के निदेशकों तथा मेट्रो शहरों के नगर निगम आयुक्तों को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि बकरीद के मद्देनजर राज्य में जानवरों से संबन्धित किसी भी तरह के गैरकानूनी परिवहन व हत्या को रोकने के लिए हर संभव उपाय किए जाएं, जैसा कि भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने अपने 15 जुलाई 2019 के परिपत्र में भी कहा है।
PETA इंडिया के सीईओ एवं पशु चिकित्सक डॉ. मणिलाल वालियाते कहते हैं – “सभी धर्म दया और करुणा का संदेश देते हैं। कोई भी मजहब जानवरों को मारने या खाने का पैगाम नहीं देता और हथियारों के द्वारा जानवरों को उल्टा लटका कर उनकी हत्या कर देना, क्रूरता के अलावा और कुछ भी नहीं। यह राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि वो भारत के पशु सुरक्षा कानून को सख्ती से लागू करें व PETA इंडिया, अधिकारियों से आग्रह करता है कि वह गैर प्रशिक्षित लोगों के द्वारा सड़क पर जानवरों का गला रेंत दिये जाने जैसी घटनाओं पर प्रतिबंध लगाएं।“
PETA इंडिया ने अपने पत्र में बताया है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पशु बलि एवं हत्या के 2 मामलों पर सुनवाई करते हुए दिनांक 17 फरवरी 2017 तथा 10 अप्रैल 2017 को सुनाये गए फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है की जानवरों को केवल आधिकारिक तौर पर लाईसेंस प्राप्त कत्लखानों में ही कत्ल किया जा सकता है और नगर पालिका अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा की इस निर्णय का पालन हो। “प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स (कत्लखाना) नियम 2001” तथा “खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य व्यापारों का पंजीकरण तथा लाइसेंसिंग) अधिनियम 2011” में बकरीद के दौरान मांस के लिए ऊंट का कत्ल प्रतिबंधित है तथा “जानवरों का परिवहन नियम 1978” के तहत जानवरों के परिवहन के लिए नियम निर्धारित किए गए है लेकिन बकरीद के दौरान इन नियमों का खुलेआम उलंघन होता है।
PETA इंडिया जो इस सरल सिद्धांत के तरह काम करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने या किसी भी प्रकार से दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं है” इस बात का संज्ञान लेता है कि बली प्रथा, दुर्गा पूजा, दशहरा तथा बकरीद (जो इस वर्ष 11 एवं 12 अगस्त को है) जैसे त्योहारों पर बकरों, भैंसों, ऊंटों व अन्य जानवरों की हत्या की जाती है। इन त्योहारों के दौरान, गैर कानूनी तरीको को इस्तेमाल करते हुए, परिवहन के लिए अनेकों जानवरों को एक ट्रक में भर कर ले जाया जाता है जिससे उनका दम घुटता है व उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं, कत्लखानों वाली जगह की तरफ बढ़ते रहने के लिए उनको लगातार मारा जाता है व झटक झटक कर उनकी पुंछ तोड़ दी जाती है, गैर प्रशिक्षित लोगों के द्वारा जानवरों के छोटे बच्चे जो स्वयं को जिंदा बचाने का प्रयास कर रहे होते हैं उनके सामने धारदार चाकू से जानवर के गले को आधा काट कर उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता है जो
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