बच्चों ने घोड़ों, हाथियों एवं अन्य पशुओं का रूप धारण कर सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक की मांग की
PETA इंडिया एवं FIAPO पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाने हेतु प्रस्तावित नियम को पास करने का आग्रह करेंगे।
नयी दिल्ली : पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया एवं फेडरेशन ऑफ इंडिया एनिमल प्रोटेक्शन ओर्गेनाईजेशन (FIAPO) के स्वयं सेवक, सहयोगी, बच्चे तथा माता पिता मिलकर जानवरों की वेषभूषा जैसे हाथी, कुत्ता व घोड़े का मास्क पहनकर व हाथों में “पर्यावरण मंत्रालय – सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाओ” लिखे संदेश पकड़कर “पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” से आग्रह करेंगे की वो सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक हेतु प्रस्तावित नियम को पास करें। यह प्रस्तावित नियम, ‘प्रीवेनशन ऑफ क्रूएलिटी टू एनिमल्स एक्ट 1960’ के अधीन ‘परफोरमिंग एनिमल्स (पंजीकरण) नियम 2001’ में जोड़े जाने हेतु प्रस्तावित है जिसमे कहा गया है “विशिष्ट आयोजनों हेतु जानवरों के प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण पर प्रतिबंध। किसी भी सर्कस या चलते फिरते छोटे मनोरंजन कार्यक्रम में किसी भी जानवर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा”।
समय : शनिवार, 15 दिसंबर शाम 4 बजे से
स्थान : धरना रोड, जंतर मंतर, संसद मार्ग, क्नॉट प्लेस, नयी दिल्ली
PETA इंडिया की कैम्पेन कोर्डिनेटर आयुषी शर्मा कहती हैं – “सस्ती लोकप्रियता एवं मनोरंजन के नाम पर सर्कसों में जानवरों को मूलभूत सुविधाओं व प्रकर्तिक आवश्यकताओं से वंचित कर उन्हे नियमित रूप से मारापीटा तथा जंजीर से बांध कर रखा जाता है। सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाकर भारत भी उन राष्ट्रों की श्रेणी में आ जाएगा जिन्होने बहुत पहले ही सर्कस में जानवरों के इस्तेमाल पर रोक लगाकर दुनिया को ये संदेश दे दिया था की वो एक दयालु एवं प्रगतिशील राष्ट्र हैं जो जानवरों के प्रति दुर्व्यवहार को सहन नहीं करते”।
वर्ष 2015 से, PETA इंडिया, FIAPO एवं अन्य पशु संरक्षण संगठनों के द्वारा पुलिस एवं वन विभाग की मदद से 100 से अधिक जानवरों जिनमे 15 बंदी हाथी, अनेकों घोड़े, कुत्ते, ऊंट तथा चिड़ियां शामिल हैं का बचाव कर उन्हे पुनर्वास केन्द्रों में भेजा जा चुका है इनमे कुछ पुनर्वास केंद्र PETA इंडिया द्वारा समर्थित भी हैं।
सर्कस में जानवरों का इस्तेमाल बंद कराने हेतु PETA इंडिया कई वर्षों से प्रयासरत हैं, इस प्रयासों में PETA द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में याचिका डालना, सरकारी नियामक निकायों जैसे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड एवं केंद्रीय चिड़ियाघर के साथ कार्य करना, मुक़दमेबाज़ी, संगठित प्रदर्शन, सोशल मीडिया पर मुहीम, मशहूर हस्तियों से मदद तथा सड़कों पर एवं थियेटर प्रदर्शन जैसे कार्य मुख्य हैं।
वर्ष 2013 में सरकार द्वारा अधिकृत, देशभर की 16 सर्कसों पर 9 माह तक जांच की गयी जबकि 2013 से 2016 तक विशेषज्ञों द्वारा की गयी एक अन्य जांच से यह पता चला की इन सर्कसों में इस्तेमाल होने वाले हाथियों, घोड़ों, ऊंटों, कुत्तों एवं चिड़ियों को अनेकों यतनाए दी जा रही है, देखभालकर्ता हाथियों को अंकुश से मारते हैं, सर्कस के शराबी कार्यकर्ता इन जानवरों के प्रति दुर्व्यवहार करते हैं, हाथियों, घोड़ों, कुत्तों एवं चिड़ियों को लगातार पिंजरो में बंद करके रखा जाता है, इन जानवरों में गंभीर मनिवेज्ञानिक रोगों के लक्षण भी देखने को मिले। जानवरों को आवश्यक चिकित्सा, भोजन, पर्याप्त पेयजल तथा साफ एवं सुरक्षित आश्रय से वंचित रखा जा रह था।
अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ।
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