‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के उपलक्ष्य में दो युवा अपने शरीर को पृथ्वी की तरह पेंट कर लोगों से चमड़े का बहिष्कार करने का आग्रह करेंगे।

PETA इंडिया मानता है कि क्रूर, जहरीले चमड़े का उत्पादन पशुओं एवं पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहा है।

जयपुर- खुद को पृथ्वी की तरह दिखाते हुए अपने शरीर पर हरे व नीले रंग का पेंट लगाकर तथा हाथो में “चमड़े का बहिष्कार करें, पृथ्वी की रक्षा करें” स्लोगन लिखे बोर्ड पकड़ कर PETA इंडिया के दो युवा सदस्य 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदर्शन करते हुए लोगों को चमड़े से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभावों पर जागरूक करेंगे। इस गतिविधि के द्वारा PETA यह संदेश देना चाहता है कि चमड़ा उद्योग न सिर्फ लाखों गायों, भैंसो व अन्य पशुओं की मौत का जिम्मेदार है बल्कि चमड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला गंदा पानी नदियों तथा ज़मीनों में भी जहर घोलने का काम करता है।

समय : मंगलवार, 4 जून, ठीक दोपहर 11 बजे से
स्थान : एल्बर्ट म्यूज़ियम के बाहर, म्यूज़ियम रोड, राम निवास गार्डन, कैलाश पूरी,
आदर्श नगर, जयपुर 302 004, जयपुर

PETA इंडिया की कैम्पेन कोर्डीनेटर राधिका सूर्यवंशी कहती हैं- “चमड़ा उद्योग बेहद खतरनाक है, इसमे जानवरों की जान ली जाती है, नदियों नालों का पानी दूषित होता है व इसका जहरीला रसायन इन्सानों को नुकसान पहुंचता है। हम चमड़ा रहित जूते व कपड़े पहनने का संकल्प लेकर इस दुनिया को सभी के लिए बेहतर व सुरक्षित जगह बना सकते हैं”

भारत में चमड़े के लिए उपयोग होने वाले जानवरों को इतनी अधिक तादात में वाहनों में भरकर ले जाया जाता है कि उनकी हड्डियाँ टूट जाती हैं। कत्लखानों तक का मुश्किल सफर पूरा करने में जो जानवर बच जाते है कत्लखानों में बाकी पशु साथियों के सामने उनका गला काट दिया जाता है व कटे हुए गले के साथ तड़फ रहे जिंदा पशु के शरीर से उसकी खाल उतार ली जाती है। इस खाल को सड़ने गलने से बचाने के लिए उनपर कई किस्म के कास्टिक व जहरीले रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो बाद में सफाई के दौरान सीधे नदियों एवं नालों के पानी में जाकर घुल जाते हैं। इन चमड़ा केन्द्रों पर क्रोमियम नामक रसायन का इस्तेमाल सबसे अधिक मात्र में होता है और इसके संपर्क में आने वाले श्रमिकों में कैंसर का कारण बन सकता है। इन चमड़ा उत्पादन केन्द्रों से निकला गंदा कचरा इन फैक्ट्रियों के आसपास रहने वाले लोगों एवं वहाँ काम करने वाले श्रमिकों में त्वचा एवं श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बनता है।

PETA इंडिया इस बात का संज्ञान लेता है कि आजकल देश के सभी मुख्य बाज़ारों एवं दुकानों में सिंथेटिक लैदर (नकली चमड़ा) व उसी के जैसे अनेकों पशु रहित उत्पादों के विकल्प मौजूद हैं।

PETA समूह जो इस सरल सिद्धांत के तहत काम करता है कि जानवर हमारे वस्त्र बनने के लिए नहीं हैं, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मानव का खुद को सर्वश्रेष्ठ मानने व उसकी वर्चस्ववादी होने वाली विचारधारा का प्रतीक है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com. पर जाएँ।
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