‘विश्व शाकाहारी दिवस’ से पहले पशुओं के हितो हेतु प्रदर्शनकारियों का “रक्त-स्नान”
PETA इंडिया, रोटरेक्ट क्लब चंडीगढ़ हिमालयन, और आश्रय समर्थक, मांस के विरोध में खुद को ‘खून’ से लथपथ कर प्रदर्शन करेंगे
चंडीगढ़ –शाकाहारी जागरूकता माह (अक्टूबर), विश्व शाकाहारी दिवस (1 अक्तूबर), गांधी जयंती (2 अक्तूबर) के उपलक्ष्य में पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया, रोटारैक्ट क्लब चंडीगढ़ हिमालयन, और आश्रय के सदस्य उन करोड़ों जानवरों की याद में जो हर साल बूचड़खानों में हिंसक रूप से मारे जाते हैं, के लिए सोमवार को एकजुट होकर खुद को “खून” से लथपथ कर प्रदर्शन करेंगे।
समय : सुखना झील, चंडीगढ़
स्थान : सोमवार, 30 सितंबर, 12 बजे
PETA इंडिया की कैंपेन कोर्डीनेटर आयुषी शर्मा कहती हैं, “जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा है ‘किसी राष्ट्र की महानता और उसकी नैतिक प्रगति का अंदाजा उस देश में पशुओं के साथ होने वाले व्यवहार से लगाया जा सकता है।‘ विश्व शाकाहारी दिवस और गांधी जयंती के सम्मान में, PETA इंडिया लोगों को चुनौती दे रहा है कि वह अपने आदर्शों का पालन करें और मांसाहार का त्यागकर जानवरों पर दया करें।”
प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है वह प्रतिवर्ष मांस, अंडा और डेयरी उद्योगों में कास्ट, पीड़ा एवं दर्दनाक मौत का शिकार होने वाले लगभग 200 जानवरों की जान बचाने जैसा पुण्य काम करता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गियों के गले काटे दिये जाते हैं, जिंदा मछलियों को काट दिया जाता है या पानी से बाहर निकाल कर रख दिये जाने उनका दम घुट जाता है, सीने में चुरा घोंपकर सुवरों की हत्या कर दी जाती है वह दर्द में चीखते हैं और जन्म के कुछ ही समय बाद छोटे छोटे बछड़ों को उनकी माताओं से खींचकर अलग कर दिया जाता है। कत्लखानों जानवरों को पूरी तरह से सचेत अवस्था में होने के बावजूद उनको एक दूसरे के सामने ही काट दिया जाता है।
शाकाहारी लोगों को हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित होने की संभावना भी कम होती हैं जो भारत जैसे देश में यह सब समनाया स्वस्थ्य समस्याएँ हैं। शाकाहारी लोग मांसाहारी लोगों की तुलना में अधिक फिट एवं पतले होते हैं। इसके अलावा, पशु कृषि जल प्रदूषण, वनों की कटाई और भूमिक्षरण का एक प्रमुख कारण है, और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए शाकाहारी भोजन को अपनाने हेतु वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव की जरूरत है।
PETA इंडिया – जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है की “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं” पशुओं के प्रति होने वाले शोषण का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वर्चस्ववादी विचारधारा का परिचायक है। PETA व्यंजनों, विधियों एवं अन्य जानकारियों से भरी “मुफ्त वीगन स्टार्टर किट” की भी पेशकश करता है।