बिहार के बाद अब छत्तीसगढ़ ने भी नर चूज़ों की अवैध एवं क्रूर हत्याओं के खिलाफ कार्यवाही के कदम उठाए
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16 July 2020
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PETA इंडिया से मिली शिकायत के बाद राज्य पशु पालन विभाग ने आदेश जारी किया
रायपुर – मुर्गी पालन व्यवसाय में नर एवं अवांछित कमजोर चूज़ों की क्रूर हत्याओं के खिलाफ ‘पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया से मिली शिकायत पर कार्यवाही करते हुए छत्तीसगढ़ पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने तत्काल इन गैरकानूनी हत्याओं को रोकने के लिए समस्त जिलों के पशु कल्याण अधिकारियों को एक आदेश जारी किया। आदेश में चूज़ों की क्रूर हत्याओं को रोकने के लिए मुर्गी पालन केन्द्रों को निर्देश देने का आह्वान किया है कि वह सभी भारत के पशु कल्याण बोर्ड (AWBI), लॉ कमीशन ऑफ इंडिया (LCI) तथा विश्व पशु स्वास्थ संगठन द्वारा मान्य की गयी तकनीके जैसे इनर्ट गैस या नीटरोजन गैस का इस्तेमाल करें। इसके अलावा छत्तीसगढ़ पशुपालन द्वारा एक और बेहतरीन फैसला लेते हुए यह भी निर्देशित किया है की जैसे ही OVO तकनीक भारत में उसे तत्काल लागू करवाया जाए। OVO लिंग निर्धारण के जांच तकनीक है जिसके द्वारा अंडों के अंदर ही चूजे का लिंग जांचा जा सकता है व अवांछित लिंग के चूजों को भ्रूण में ही समाप्त किया जा सकता है ना की जन्म लेने के बाद जीवित चूजों की हत्या करनी पड़े। यह तकनीक अभी विकसित हो रही है व कमर्शियल रूप से जल्द ही भारत में आने वाली है।
नर चूजे आगे चलकर अंडे नहीं दे सकते इसलिए मांस एवं अंडा उद्योग में आमतौर पर उन्हें बेकार समझा जाता है नर चूज़ों तथा अन्य कमजोर चूज़ों को, पीसकर, कुचलकर, जलाकर, डुबाकर मारा जाता है या कभी उन्हें मछलियों का भोजन बना दिया जाता है ।
संयुक्त निदेशक द्वारा भेजे गए आदेश की कॉपी को यहाँ देखा जा सकता है। नर चूज़ों को क्रूर तरीकों से मौत के घाट उतारने की तस्वीरें एवं वीडियो यहाँ से डाउनलोड किए जा सकते हैं।
PETA इंडिया ने राज्य सरकार को लिखे अपने पत्र में बताया है कि अवांछित चूज़ों को मारने के सामान्य क्रूर तरीके जाहिर तौर पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 (1) (L) का उलंघन करते हैं। PETA समूह ने अनुरोध किया है कि राज्य के मुर्गी पालन केन्द्रों को चूजों की गैरकानूनी तरीकों से हत्याओं की बजाय OVO लिंग जांच तकनीक जब भी उपलब्ध हो तब उस तकनीक का उपयोग करें। यह नई तकनीक है, जो विदेशों में विकसित की गई और जल्द ही व्यावसायिक रूप से यहाँ भी उपलब्ध होगी, इस तकनीक के माध्यम से शुरुआती चरण में ही नर भ्रूण की जाँच के जा सकेगी व जन्मे हुए चूज़ों की क्रूर मौत न हो इस हेतु निर्णय लिया जा सकेगा।
PETA इंडिया के CEO एवं पशु चिकित्सक डॉ. मणिलाल वलियाते कहते हैं “अनगिनत नर चूज़ों की भीषण हत्याएँ इसलिए होती है क्योंकि वे अंडे नहीं दे सकते, यह क्रूर प्रथा रुकनी चाहिए। हम आभारी हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार मुर्गीपालन उद्योग द्वारा अवांछित चूज़ों की अवैध हत्या और उन पर होने वाली क्रूरता पर रोक लगाने हेतु जो कदम उठाए हैं वह अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श कदम साबित होगा।“
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय द्वारा जारी बेसिक पशुपालन रिपोर्ट 2019 के अनुसार अंडा उत्पादक राज्यों में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य है। इसलिए यह बेहद जरूरी है की जब भी लिंग निर्धारण हेतु OYO तकनीक उपलब्ध हो उसे तत्काल रूप से यहाँ लागू किया जाये।
इससे पूर्व PETA इंडिया के अनुरोध पर आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, जम्मू, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश, एवं के पशुपालन विभागों ने अपने राज्यों में अनचाहे नर चूज़ों की क्रूर एवं गैरकानूनी हत्याओं को रोकने हेतु अपने अधीनस्त विभागों को आदेश जारी कर इस पर तत्काल रोक लगाने एवं इस हेतु भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्य तकनीकों को अपनाने हेतु निर्देशित किया है। नर चूज़ों के अवैध हत्याओं को रोकने हेतु बिहार की तरह छत्तीसगढ़ ने लिंग निर्धारण जांच हेतु OYO तकनीक (जैसे ही उपलब्ध हगी) इस्तेमाल करने का समर्थन किया है।
जर्मनी ने लिंग निर्धारण तकनीक हेतु € 5 मिलियन (400 मिलियन रुपये) का निवेश किया है जबकि फ्रांस और स्विटजरलैंड ने भी जीवित नर चूज़ों की क्रूर हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाए हैं, जो आमतौर पर उन देशों में प्रचलित है।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वर्चस्ववादी सोच है जिसमे वह स्वयं को संसार की अन्य प्रजातियों से श्रेष्ठ मानकर अपने फाड़े के लिए उंकिए शोषण को सही मानता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं।
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