‘विश्व महासागर दिवस’ के अवसर पर, PETA इंडिया ने बिलबोर्ड लगवाकर जनता को सचेत किया कि लोगों के मछ्ली खाने के कारण कछुओं को भी अपनी जान गवानी पड़ती है

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07 June 2024

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भुवनेश्वर – विश्व महासागर दिवस (8 जून) के अवसर पर, पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने भुवनेश्वर और भारत भर के अन्य शहरों में बिलबोर्ड लगवाकर जनता को सचेत किया कि इंसानों द्वारा खाने के लिए मछ्ली पकड़ने के दौरान जिस प्लास्टिक के जाल का उपयोग किया जाता है, उसमें फंसकर कई कछुए भी अपनी जान गवां देते हैं। हर साल महासागरों में 1 मिलियन टन तक मछली पकड़ने का सामान बहाया जाता है, जिसे नष्ट होने में 600 साल लग सकते हैं और इसमें फंसकर 250,000 से अधिक कछुओं की मौत हो जाती है।

भुवनेश्वर में यह बिलबोर्ड रेलवे स्टेशन के बाहर, भुवनेश्वर, ओडिशा 751009 पर लगवाया गया है।

हर साल, मछली पकड़ने का उद्योग बड़ी संख्या में गैर-लक्षित जानवरों को भी मारता है (इस उद्योग में इन्हें “बाइकैच” के नाम से संबोधित किया जाता है) जिनमें 720,000 समुद्री बर्ड, 300,000 व्हेल और डॉल्फ़िन, और 345,000 सील एवं सी लॉयन और 100 मिलियन शार्क और रेज़ शामिल हैं जो मछली पकड़ने के दौरान बायकैच के रूप में मौत का शिकार होते हैं।

PETA इंडिया की मैनेजर ऑफ वीगन प्रोजेक्ट्स डॉ. किरण आहूजा ने कहा, “जब हम एक संवेदनशील और बुद्धिमान मछली का भोजन के रूप में प्रयोग करते हैं, तो इससे दूसरे पशुओं को भी दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ता है जिसमें कई लुप्तप्राय प्रजातियां भी शामिल हैं। इस ‘विश्व महासागर दिवस’ के अवसर पर PETA इंडिया जनता को वीगन जीवनशैली अपनाकर समुद्री जीवन के संरक्षण में अपना योगदान देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।“

हर साल अन्य सभी पशुओं की तुलना में अधिक मछलियों को भोजन हेतु मौत के घाट उतारा जाता है। मछलियाँ को भी इंसानों की तरह दर्द एवं पीड़ा का एहसास होता है, उनकी भी अपनी अच्छी-बुरी यादे होती हैं, इन बुद्धिमान पशुओं द्वारा भी प्राकृतिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है और यह भी पानी के अंदर अपने दोस्तों एवं परिवार के साथ खेलती और गाती हैं। इस सब के बावजूद इन्हें अन्य समुद्री पशुओं की तरह कुचलकर, दम घोंटकर, उबलते पानी में डूबाकर, या काटकर एवं सचेत अवस्था में इनका गला चीरकर मौत के घाट उतार दिया जाता है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “पशु हमारे भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है। प्रजातिवाद एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान स्वयं को इस संसार में सर्वोपरि मानकर अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें XFacebook, तथा Instagram पर फॉलो करें।

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