PETA इंडिया की शिकायत पर भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने आंध्र प्रदेश को मुर्गों की लड़ाई पर लगी रोक को सख्ती से लागू करने को कहा

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13 January 2022

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हैदराबाद- पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की शिकायत पर देश में मुर्गों के लड़ाई प्रतिबंधित होने के बावजूद, आंध्र प्रदेश में मुर्गों की लड़ाई के लिए सैकड़ों अखाड़े बनाए गए हैं, केंद्र सरकार की वैधानिक संस्था भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र भेजकर इस तरह के अवैध घटनाओं को रोकने के लिए अधिक सतर्कता और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है।

AWBI ने यह चेतावनी दी है कि यदि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों और घोषणाओं का पालन नहीं किया जाता जिसमें मुर्गों की लड़ाई भी शामिल है तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ अनुशासत्मक कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि जानवरों के हितों की रक्षा हेतु बने “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960” के उदेश्यों को प्राप्त किया जा सके। AWBI ने यह यह आगाह किया है कि इस तरह के आयोजन की अनुमति देना या आयोजन करना अदालत के आदेश की अवमानना करने जैसा है।

PETA इंडिया की चीफ एडवोकेसी ऑफिसर खुशबू गुप्ता कहती हैं- “मुर्गों की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले मुर्गों के पंजों में उस्तरे या नुकीले चाकू लगाए जाते हैं जिससे आपसी लड़ाई के दौरान वह लहूलुहान हो जाते हैं, उनके पंख, मांस व हड्डियाँ छिल जाती हैं, मुर्गों के साथ साथ कभी-कभी हैंडलर और दर्शकों को भी दर्दनाक और घातक चोटें आती हैं।  समाज की सुरक्षा के मद्देनजर, PETA इंडिया इन जीवों को दुख पहुंचाने वाले लोगों को उनके अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराने का आह्वान करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग जानवरों के प्रति क्रूर होते हैं वे अक्सर आगे चलकर अन्य  मनुष्यों को प्रताड़ित करते हैं। “

मुर्गों की लड़ाई के दौरान, दो पक्षियों को लड़ने के लिए उकसाया जाता है। लड़ाई के तैयार किए गए मुर्गों को अक्सर छोटे व तंग पिंजरों में कैद रखा जाता है व अभ्यास के दौरान उन्हें यातनाएं दी जाती हैं। इस तरह की क्रूर लड़ाई में मुर्गों की आंखे बाहर निकल सकती हैं, उनके पख एवं पैर टूट सकते हैं, उनके फेफड़े फट सकते हैं यहाँ तक की उनकी रीढ़ के हड्डी तक अलग हो सकती है। इस लड़ाई में दोनों मुर्गे अक्सर बुरी तरह से घायल हो जाते हैं और उनमें से किसी एक या फिर दोनों की दर्दनाक मौत भी हो सकती है। पिछले वर्ष तेलंगाना इस तरह की मुर्गा लड़ाई हेतु एक मुर्गे के पंजों में चाकू लगाए गए थे और उसने गलती से अपने ही हैंडलर की हत्या कर दी थी।

PETA इंडिया के अनुसार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय और हैदराबाद उच्च न्यायालय के आदेशों का उलंघन करते हुए, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी, कृष्णा और आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम व विजयनगरम के कुछ हिस्सों में मुर्गों की अवैध लड़ाई के लिए हजारों आखाड़े तैयार किए जा रहे हैं। ‘पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960’ की धारा 11(1), (M), (ii) और (N) के तहत जानवरों को आपसी लड़ाई के लिए उकसाना और इस तरह के आयोजन करना दंडनीय अपराध है।

इस तरह के आयोजनों में जुआ शराब जैसे अन्य दोष आम बात है। पिछले साल दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लगभग 40 लोगो कों मुर्गों की लड़ाई मे सट्टा लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और पुलिस ने उनके पास से नकदी, देसी हथियार और विशेष तरह के चाकू जब्त किए थे।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और TwitterFacebook, व Instagram पर हमें फॉलो करें।

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