PETA इंडिया की अपील के बाद भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड ने केंद्र से माता सूअरों को कैद में रखने वाले ‘क्रेट’ के इस्तेमाल का संज्ञान लेने का अनुरोध किया
For Immediate Release:
22 February 2022
Contact:
Hiraj Laljani; [email protected]
Farhat Ul Ain; [email protected]
दिल्ली – पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की अपील के बाद, सरकारी निकाय ‘भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड’ (AWBI) ने ‘मतस्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय’ को एक पत्र भेजकर देशभर में सुअर पालन के दौरान गेस्टेशन और फेरोइंग क्रेट (सुअर के आकार का एक तरह का तंग पिंजरा जिसका इस्तेमाल गर्भ और जन्म के दौरान गर्भवती सूअरों को जकड़कर रखने के लिए किया जाता है ताकि वह सही से हिलडुल तक न सकें) के इस्तेमाल का संज्ञान लेने व कार्यवाही की रिपोर्ट देने का अनुरोध किया है। यह पत्र PETA इंडिया की अपील के बाद मध्य प्रदेश और गोवा सरकारों द्वारा जारी किए गए परिपत्रों के बाद भेजा गया है। इससे पहले पंजाब सरकार ने भी इस तरह का एक परिपत्र जारी किया था। ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ के ‘राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केंद्र’ द्वारा भी सूअरों के संबंध में यह पुष्टि की गयी है कि मादा सूअरों को तंग क्रेटों में कैद रखना (जैसे गेस्टेशन और फेरोइंग क्रेट) “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960′ की धारा 11(1)(ई) के तहत गैरकानूनी है।
AWBI द्वारा केंद्र को भेजे गए पत्र की कॉपी मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाई जाएगी।
धातु से बने गेस्टेशन क्रेट जो केवल सुअर की माप के होते हैं, इनका फर्श पक्का या कंक्रीट का होता है, जिसमे जानवरों को करवट बदलने या खड़े होने में अत्यधिक कष्ट होता है। गेस्टेशन क्रेट का इस्तेमाल गर्भवती सूअरों को एक जगह रोके रखने के लिए किया जाता है, बच्चों को जन्म देने के लिए फेरोइंग क्रेट में भेज दिया जाता है और उन्हें वहाँ तब तक रखा जाता है जब तक कि उनके नवजात बच्चों को उनसे अलग न कर दिया जाये। ये फेरोइंग क्रेट मूल रूप से गेस्टेशन क्रेट के समान होते हैं, बस इनमे सूअर के नवजात बच्चों के लिए साइड में छोटे खांचे बने रहते हैं।
PETA इंडिया की एडवोकेसी एसोसिएट फरहात उल ऐन कहती हैं, “PETA इंडिया भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI) द्वारा की गयी इस कार्यवाही के लिए उनका धन्यवाद करता है। AWBI के इस कदम से क्रेटों में क़ैद अनगिनत प्रताड़ित सूअरों को राहत मिलेगी। PETA इंडिया सभी को स्मरण कराता है किसुअर के मांस का त्याग करके, उनके शोषण को रोका जा सकता है, क्योंकि इस प्रकार के क्रेट सुअर पालन उद्योग की क्रूरता का केवल एक पक्ष है। सूअरों को ठूस-ठूसकर वाहनों में भरकर बूचड़खानों में ले जाया जाता है, जहां उन्हें सिर पर हथौड़े मारकर या सीने में छुरा घोंपकर मौत का घाट उतार दिया जाता है।“
गेस्टेशन और फेरोइंग क्रेट मादा सूअरों को उन सभी चीज़ों से वंचित कर देते हैं जो उनके लिए प्राकृतिक और महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि चारा खाना, अपने बच्चों के लिए घोंसला बनाना, अन्य सूअरों के साथ समूह में रहना, उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए कीचड़ में लोट पोट होना। क्रेट मे बंद सूअरों को जबरन अपने ही मल-मूत्र में सने रहने के लिए मजबूर किया जाता है। अत्यधिक क्रूरता सह रहे सुअर तनाव और हताशा का शिकार होते हैं जिसके परिणामस्वरूप असामान्य व्यवहार करते हैं जैसे कि बाड़े की सलाखों को लगातार काटना या हवा को लगातार चबाने की कोशिश करते रहना ।
PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”- यह मानता है कि “सुअर बेहद समझदार जानवर होते हैं, उनका शोषण नहीं किया जाना चाहिए।”। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ और Twitter, Facebook, व Instagram पर हमें फॉलो करें।