केंद्र सरकार की पहल- रसायनों की जांच हेतु जानवरों पर कम से कम परीक्षण की योजना

तत्काल प्रकाशन हेतु:

29 सितंबर 2020

संपर्क:

Dr Ankita Pandey ; [email protected]

Sachin Bangera ; [email protected]

PETA इंडिया का सरकार के साथ मिलकर काम करना जानवरों की जान बचाने में मददगार साबित होगा लेकिन जानवरों पर होने वाले परीक्षणों को अभी और भी कम करने की जरूरत

नई दिल्ली – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स (PETA) इंडिया के सहयोग से “रसायन और पेट्रो रसायन विभाग”, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने सार्वजनिक परामर्श के लिए ‘रसायन (प्रबंधन और सुरक्षा) नियम 20 का प्रस्ताव जारी किया है। संशोधित ड्राफ्ट में जानवरों पर परीक्षण को कम करने के प्रावधान शामिल हैं – लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है।

PETA इंडिया अकेला ऐसा पशु अधिकार संगठन था जिसने इन नियमों को अंतिम रूप देने के लिए 11 मई 2020 को आयोजित परामर्श बैठक में भाग लिया व मानव स्वास्थ एवं पर्यावरण की रक्षा हेतु कम से कम पशुओं का इस्तेमाल करते हुए उचित एवं कारगर गैर पशु परीक्षण तकनीकों को इस्तेमाल करने की अनेकों सिफ़ारिशें प्रस्तुत की। PETA द्वारा सुझाई गयी सिफ़ारिशों को ड्राफ्ट में शामिल किया गया है। परीक्षणों को दुबारा से न करना पड़े इसके लिए ड्राफ्ट में यह कहा गया है कि जानवरों पर पुनः परीक्षण करने से पहले पुराने परीक्षण के आंकड़ों पर गौर किया जाए व विदेशी न्यायालयों में पदार्थों के पंजीकरण के लिए प्रस्तुत किए गए आंकड़े भी रसायनिक नियामक विभाग के द्वारा स्वीकार किए जाएंगे।

यह प्रस्तावित नियम 2 पुराने नियमों की जगह ले लेंगे – “निर्माण, भंडारण एवं खतरनाक रसायनों का निर्यात नियम 1989” तथा “रासायनिक दुर्घटना (आपातकालीन योजना, तैयारी और प्रतिक्रिया) नियम 1996”, यह नियम भारत में आयात या निर्मित किए गए रसायनों के उपयोग से जुड़े ख़तरों की पहचान करने और उनके प्रबंधन के लिए एक बहुमुखी कार्यक्रम की स्थापना करने हेतु बने थे।

PETA इंडिया की रिसर्च एसोसिएट डॉ. अंकिता पाण्डेय कहती हैं- “हम रसायनों के लिए मौजूदा रेग्युलेट्री ढांचे को आधुनिक बनाने की सरकार की इस पहल की सराहना करते हैं लेकिन साथ ही यह भी मानते हैं कि इस दिशा में अभी बहुत कुछ और भी किया जाना बाकी है। हालांकि हमारे द्वारा प्रस्तावित सिफारिशों के आधार पर बने नए नियम अगर लागू किये गए तो जहरीले रसायनों की जांच में अपनी जान गवाने वाले अनगिनत जानवरों की जान भी बच जाएगी जो कि एक महत्वपूर्ण कदम है। PETA इंडिया यह सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय के साथ काम करना जारी रखेगा कि रसायनों पर बना नया देश का नया कानून वैज्ञानिक दृष्टिकोण से दुनिया का बेहतरीन कानून है व जितना संभव हो सके परीक्षणों हेतु गैर पशु प्रयुक्त तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।“

PETA इंडिया के सुझाव के अनुसार, जानवरों पर परीक्षणों को कम करने के और भी अनेकों अवसर है जैसे यदि “एक पदार्थ- एक पंजीकरण” का नियम लागू करने से एक ही पदार्थ को पंजीकृत करने वाले कई लोगों के लिए अनिवार्य होगा कि वह उस पदार्थ के परीक्षण से संबन्धित आंकड़े आपस में साझा करे ताकि एक ही पदार्थ के पंजीकरण के लिए जानवरों पर अलग अलग जगह पर बार बार परीक्षण न करने पड़े। नियमित रूप से OECD वैध गैर-पशु विधियों की उपलब्धता के बारे में अपडेट जानकारी प्रदान करके और तकनीकी दस्तावेज़ तथा परीक्षण प्रस्तावों की समीक्षा के बारे में प्रभाग द्वारा वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने वाले नियमों के तहत अन्य इकाइयों के अलावा एक ‘गैर-पशु विधियों’ से संबन्धित इकाई की स्थापना हो जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि जानवरों पर परीक्षण तभी किया जाए जब कोई और रास्ता न बचा हो।

भारत में हर साल, मानव स्वास्थ एवं पर्यावरण सुरक्षा के मद्देनजर रसायनों की विश्वसनीयता जांच हेतु हर साल अनेकों पशुओं पर परीक्षण कर उनको मार दिया जाता है। इस तरह के परीक्षणों में जानवरों को जबरन जहरीले खाद्य एवं पेय पदार्थों खिलाये जाते हैं, रसायन युक्त पदार्थों को उनके पेट में पहुँचाकर उसके प्रभाव जाँचे जाते हैं, या मरने से पहले उन्हें जबरन सुंघाए जाते हैं। PETA इंडिया सरकार के साथ काम करना जारी रखेगा ताकि इस तरह के रेग्युलेट्री परीक्षणों मे जानवरों के इस्तेमाल की जगह गैर पशु प्रयुक्त तकनीकों का इस्तेमाल किया जाये।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि “जानवर हमारे परिक्षण करने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह मनुष्य की वर्चस्ववादी सोच का परिचायक है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com. पर जाएं।

#