PETA इंडिया की अपील के बाद केंद्र सरकार के जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड ने सभी प्रकार के तेज़ धार वाले मांझे के खिलाफ सलाह जारी की
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30 April 2024
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नई दिल्ली – पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की अपील के परिणामस्वरूप, केंद्र सरकार के वैधानिक निकाय भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड (AWBI)’ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (EPA), 1986, के तहत अपनी संबंधित अधिसूचनाओं में संशोधन करके नायलॉन व कांच या अन्य धातुओं से लेपित कॉटन के ख़तरनाक तेज़ धार वाले धागों (माँझे) पर प्रतिबंध लगाने और पतंग उड़ाने के लिए केवल सादे सूती धागे के उपयोग को अनुमति प्रदान करने की सलाह दी है।
AWBI की ऐडवाइसरी की एक प्रति यहाँ उपलब्ध है।
PETA इंडिया की सीनियर एडवोकेसी ऑफिसर फरहत उल ऐन ने कहा, “हम भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड के अत्यंत आभारी हैं कि उन्होंने कांच या अन्य धातुओं से लेपित कॉटन के तेज़ धार वाले, नाइलॉन व अन्य प्रकार के धागों (मांझे) से होने वाले खतरों को पहचाना। इस प्रकार के जानलेवा प्रयोजन पशु-पक्षियों एवं मनुष्यों सभी के लिए जानलेवा साबित होते हैं। अगर आम जनता मांझे के कारण पशुओं एवं मनुष्यों को लगने वाली गंभीर चोटों और मौतों के बारे में जान जाएगी तो हमें विश्वास है कि अधिकांश लोग पतंगबाजी के लिए केवल सादे सूती धागों का ही चुनाव करेंगे।“
मांझा, अपने सभी रूपों में, मनुष्यों, पशु-पक्षियों और पर्यावरण सभी के लिए बेहद ख़तरनाक है। इस प्रकार के तेज़ धार वाले धागों को कांच या अन्य धातुओं के चुरे से तीखा बनाया जाता है, जो हर साल कई बेकसूरों की मौत का कारण बनता है। मांझे के कारण अक्सर पक्षियों के पंख और पैर चोटिल हो जाते हैं या कटकर अलग हो जाते हैं, और क्योंकि वे अक्सर अपने गंभीर घावों के बावजूद पकड़ में नहीं आते हैं और बचावकर्मी उनकी मदद नहीं कर पाते हैं इसलिए कई चोटिल पक्षी बेहद धीमी और दर्दनाक मौत का शिकार बनते हैं। इस साल के शुरुआती तीन दिनों के दौरान, मुंबई में 100 से अधिक पक्षी मांझे के कारण अपंग हुए थे।
हर साल, मांझे के कारण इन्सानों को भी गंभीर गंभीर चोट आती हैं और कुछ की मृत्यु भी हो जाती है। इस वर्ष भी देश में मांझे के कारण होने वाली मौतों का आकड़ा लगातार बढ़ रहा है, जिनमें महाराष्ट्र में एक 21 वर्षीय व्यक्ति, गुजरात में चार लोग (एक 4 वर्षीय बच्चे सहित), मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति और राजस्थान में एक 12 वर्षीय बच्चा शामिल हैं जिसकी मांझे से गर्दन कट गयी थी। अगर देशभर में तेज़ धार वाले मांझे पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो इस प्रकार के मामलों के आगे भी ज़ारी रहने की प्रबल संभावना है।
मांझा पर्यावरणीय क्षति, यातायात दुर्घटनाओं और बिजली कटौती का भी कारण बनता है और केवल एक बिजली की लाइन में व्यवधान आने के कारण 10,000 लोग तक प्रभावित होते हैं। इस प्रकार के मांझे, चाहे वह सिंथेटिक हो या कांच, धातु या अन्य किसी हानिकारक पदार्थ से लेपित सूती धांगे हो, बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं और बेघर जानवर जैसे कि गाय व बैल भोजन की तलाश में भोजन के साथ-साथ ऐसे धागे (मांझे) भी निगल जाते हैं जिससे उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है।
PETA इंडिया की अपील के बाद, चंडीगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब की सरकारों ने नायलॉन की डोर (जिसे ‘चीनी माँझे’ की रूप में भी जाना जाता है) के साथ-साथ काँच या अन्य पदार्थों का लेप चड़े तीखे माँझे पर रोक लगा दी है और पतंगबाजी के लिए केवल सूती धागे के इस्तेमाल को अनुमति प्रदान की गयी है। इससे पहले, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और त्रिपुरा जैसे अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने भी इस प्रकार के समान निर्देश ज़ारी किए हैं।
PETA इंडिया इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “पशु किसी भी तरह से हमारा दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकि यह एक ऐसी धारणा है जिसमे इंसान इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएं और हमें Facebook, Instagram व X पर फॉलो करें।
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