“अंतर्राष्ट्रीय मांस मुक्त दिवस” से पहले लखनऊ में एक कुत्ते को जलती आग पर भूनने का डेमो प्रदर्शन

For Immeidate Release:

23 November 2021

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Hiraj Laljani; [email protected]

Monica Chopra; [email protected]

इस डेमो प्रदर्शन के द्वारा PETA इंडिया मांसाहारियों को मांस त्याग करने का संदेश दे रहा है।

लखनऊ – बुधवार को, “अंतर्राष्ट्रीय मांस मुक्त दिवस” (25 नवम्बर) से पहले, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया के समर्थकों द्वारा लखनऊ में प्रतिकात्मक ढंग से एक कुत्ते को भूनकर दिखने का डेमो प्रदर्शन करेंगे और मांसाहारियों को मांस का त्याग करने हेतु प्रोत्साहित करेंगे। इस प्रदर्शन में एक नकली कुत्ते (डमी) का इस्तेमाल कर उसे आग पर भूनने का दृश्य दिखाते हुए यह संदेश दिया जाएगा कि सभी जानवर मांस, खून और हड्डी से बने होते हैं और यह सब भी इंसानों की तरह दर्द एवं अन्य भावनाओं का एहसास कर सकते हैं। साथ ही, जानवरों के मांस का सेवन करने का अर्थ है ऐसे संवेदनशील प्राणियों के मृत शरीरों को खाना जो अपना जीवन को महत्व देते हैं और इस कुत्ते की तरह महज़ किसी के भोजन के लिए मरना नहीं चाहते।

समय एवं तारीख: 24 नवम्बर, बुधवार को दोपहर 12 बजे

स्थान: गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश 226 001

PETA इंडिया की सीनियर कैम्पेन कोर्डिनेटर राधिका सूर्यवंशी कहती हैं- “मुर्गियों, बकरियों और मछलियों को भी कुत्तों की तरह दर्द और डर का एहसास होता है इसलिए PETA इंडिया लोगों से अनुरोध करता है कि वह संवेदनशीलता के साथ निर्णय लें और जानवरों को अपना भोजन न बनाएं।“

प्रत्येक व्यक्ति जो वीगन जीवनशैली अपनाता है वह प्रतिवर्ष मांस, अंडा और डेयरी उद्योगों में कास्ट, पीड़ा एवं दर्दनाक मौत का शिकार होने वाले लगभग 200 जानवरों की जान बचाने जैसा पुण्य काम करता है। सचेत अवस्था में होने के बावजूद मुर्गियों के गले काटे दिये जाते हैं, जिंदा मछलियों को काट दिया जाता है या पानी से बाहर निकाल कर रख दिये जाने उनका दम घुट जाता है, सीने में चुरा घोंपकर सुवरों की हत्या कर दी जाती है वह दर्द में चीखते हैं और जन्म के कुछ ही समय बाद छोटे छोटे बछड़ों को उनकी माताओं से खींचकर अलग कर दिया जाता है। बूचड़खानों में जानवरों को पूरी तरह से सचेत अवस्था में होने के बावजूद उनको एक दूसरे के सामने ही काट दिया जाता है।

वीगन जीवनशैली जीने वाले लोगों को हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर से पीड़ित होने की संभावना भी कम होती हैं जो भारत जैसे देश में यह सब आम स्वस्थ्य समस्याएँ हैं। इसके अलावा, पशु कृषि जल प्रदूषण, वनों की कटाई और भूमिक्षरण का एक प्रमुख कारण है, और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से निपटने के लिए वीगन भोजन को अपनाने हेतु वैश्विक स्तर पर बड़े बदलाव की जरूरत है।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत के तहत काम करता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नही हैं” प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह एक ऐसी धारणा है जिसके तहत इंसान इस दुनिया में स्वयं को सर्व शक्ति मानकर दूसरी अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ एवं हमें TwitterFacebook, और Instagram पर फॉलो करें।

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