COVID-19 महामारी के दौरान घोड़ों में ग्लेन्डर की रिपोर्ट सकारात्मक आने पर PETA इंडिया दिल्ली सरकार से तत्काल कार्यवाही का अनुरोध करता है।
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2 July 2020
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PETA समूह का कहना है की इस हेतु अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है हालांकि यह बीमारी मनुष्यों हेतु भी जानलेवा है व नेशनल रिसर्च संस्था ने इस पर चेतावनी भी जारी की थी
नयी दिल्ली- नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइन ने दिल्ली पशु पालन एवं डेयरी विभाग को सूचित किया था कि शादी विवाह में इस्तेमाल होने वाले एक घोड़े को ग्लेन्डर रोग से पीड़ित पाया गया है, ग्लेन्डर एक गंभीर जानलेवा बीमारी है जो जानवरों से मनुष्यों में भी हस्तांतरित हो सकती है। इस पर पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने लेफ्टिनेंट गवर्नर श्री अनिल बैजल एवं मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी को एक पत्र भेजा है। PETA इंडिया ने उनसे अनुरोध किया है सामान्य जनता की रक्षा हेतु तत्काल रूप से दिल्ली में घोड़ों, गधों एवं खच्चरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाये। COVID-19 भी एक जुनोटिक बीमारी है व यह माना जाता है की इसका संक्रमण चीन की पशु मांस मंडियों ही आया है।
PETA ने इंगित किया है की वर्ष 2019 की जांच रिपोर्ट में 8 घोड़ों की ग्लेन्डर जांच रिपोर्ट सकारात्मक पायी गयी थी जबकि वर्ष 2018 में 40 घोड़ों में ग्लेन्डर की पुष्टि हुई थी लेकिन इस हेतु दिल्ली पशुपालन विभाग ने न तो घोड़ों के मुमेंट पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई न ही रोग पर निगरानी रखने के कोई कदम उठाए जबकि पशु अधिनियम 2009 के तहत “संक्रमण एवं संक्रामक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्र” द्वारा ग्लेन्डर सकारात्मक पाये जाने वाले पशुओं को निगरानी में रखना अनिवार्य है। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में जारी “भारत में ग्लेन्डर के उन्मूलन एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना” में भी ग्लेन्डर को उल्लेखनीय बीमारी माना गया है।
PETA इंडिया के सी.ई.ओ., जो एक पशु चिकित्सक भी हैं, डॉ. मणिलाल वलियाते कहते हैं- “COVID-19 महामारी से निपटने व जनता के स्वास्थ की रक्षा हेतु दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की हम सराहना करते हैं। लेकिन अब दिल्ली की जनता को ग्लेन्डर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए भी कड़े कदम उठाए जाने के आवश्यकता है इसके लिए घोड़ों को शादियों में इस्तेमाल होने, माल ढुलाई करवाने, घुड़सवारी व अन्य कार्यों हेतु इस्तेमाल होने पर तत्काल रोक लगानी होगी। अच्छी बात यह है की आज के दौर में मशीने एवं तकनीके मौजूद है इसलिए इन जानवरों को काम से मुक्त किया जाना चाहिए”।
ग्लेंडर घोड़ों, खच्चरों, व गधों में होने वाली एक संक्रामक व जानलेवा बीमारी है जो बुर्खोलडेरिया मल्लेई (Burkholderia mallei ) नामक बैक्टीरिया से फैलती है। इसका लक्षण है की यह आमतौर पर ऊपरी श्वसन नलिका में, फेफड़ों में व ऊपरी त्वचा पर पाये जाने वाले अल्सर के विकास से होती है। ग्लेंडर से संक्रमित जानवरों की सांस के संपर्क में आने से यह इन्सानों में भी हस्तांतरित हो जाती है जो त्वचा, फेफड़ों तथा पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है। उचित व समय पर उपचार न मिलने के अभाव में दर्दनाक मौत हो जाती है।
दिल्ली नगर निगम द्वारा वर्ष 10 में दिल्ली में घोडा तांगा पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित करने का एक बड़ा कारण यह भी था की इन घोड़ों से ग्लेन्डर का संक्रमण फैलने की व्यापक संभावना है, हालांकि यह प्रस्ताव आज तक क्रियान्वित नहीं हो पाया है। PETA इंडिया ने दिल्ली के दक्षिण, उत्तर एवं पूर्वी नगर निगमों को शादियों में इस्तेमाल होने वाले घोड़ों का लाइसेन्स प्रदान करने की नीति को खारिज करने का अनुरोध किया है क्यूंकि लगातार लाइसेन्स दिये जाने से इन पशुओं के रोग की निगरानी करने की अनिवार्यता नहीं हो सकती व इसी के कारण इन पशुओं एवं इन्सानों की जिंदगी को हमेशा जोखिम बना रहेगा।
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