नया खुलासा: PETA इंडिया की नयी जांच में भारतीय अंडा एवं मांस उद्योग में नवजात चूजों के साथ की जाने वाली घोर क्रूरता सामने आई

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12 July 2022

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Harshil Maheshwari; [email protected]

दिल्ली – आज, पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया ने देश की राजधानी में एक आपातकालीन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र , तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख अंडा एवं मांस उत्पादक राज्यों की हैचरियों में हाल ही में की गयी अंडरकवर जांच के नतीजे सबके सामने प्रकाशित किए। हैचरी वह जगह है जहां चूजों को फार्मों में भेजा जाने से पहले पैदा किया जाता है। इस जांच में एक साथ हज़ारों अवांछित चूजों को अवैध रूप से मौत के घाट उतारने वाला एक बेहद भयानक वीडियो भी है। इसमें केवल एक दिन के चूजों को ड्रम, गड्ढों, कूड़ेदानों और तालाबों में फेंककर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। इन सजीव प्राणियों को जिंदा दफ़नाकर, डूबाकर, कुचलकर या गला दबाकर मौत के घाट उतारा जाता है और यहाँ तक कि मछलियों, कुत्तों या चीलों के सामने भोजन के रूप में लावारिस छोड़ दिया जाता है। इनमें से कुछ चूजों को रसायनों से भरे रंगों से रंगकर बेचा जाता है, जिन्हें लापरवाही से रखा जाता है और वे आमतौर पर भूख से मर जाते हैं। PETA इंडिया की इस जांच रिपोर्ट में Venky’s, Skylark Group, और Srinivasa Farms जैसी प्रमुख उद्योग कंपनियां शामिल हैं।

PETA India’s investigation video, copy of the investigation report and photos are available upon request.

PETA इंडिया के जांच वीडियो एवं रिपोर्ट की कॉपी मांगे जाने पर उपलब्ध कारवाई जाएगी। 

PETA इंडिया की सीनियर ऐडवोकेसी ऑफिसर हर्षिल माहेश्वरी ने कहा, “मांस या अंडे के केवल कुछ समय के स्वाद के लिए नवजात चूजों को देश भर की हैचरियों में हिंसक और भयावह तरीकों से जिंदा डुबाकर व जलाकर मौत के घाट उतारा जाता है। PETA इंडिया इस जांच से प्रभावित सभी दयालु लोगों से तात्कालिक रूप से वीगन जीवनशैली अपनाने का आग्रह करता है।“

वर्तमान में, मांस हेतु उपयोग किए जाने वाले चूजों को भारी, मांसल शरीर के लिए पाला जाता है, जबकि अंडे के लिए उपयोग की जाने वाली मुर्गियों को अप्राकृतिक रूप से अधिक अंडा उत्पादन के लिए पाला जाता है। अंडा उद्योग में नर चूजों को बेकार माना जाता है क्योंकि वे आगे चलकर अंडे नहीं देते हैं इसलिए उन्हें पैदा होते ही मौत के घाट उतार दिया जाता है। मांस और अंडा उद्योग में आकार या स्वास्थ्य के आधार पर कई चूजों का त्याग किया जाता है एवं उनकी हत्या कर दी जाती है। PETA इंडिया भारत सरकार से फ्रांस और जर्मनी की तरह भारतीय मुर्गी पालन उद्योग में भी ovo सेक्सिंग तकनीकी को अपनाने का अनुरोध करता है जिसके अंतर्गत नर भ्रूण की पहचान विकास के प्रारंभिक चरण में ही की जा सकती है, ताकि एक जीवित पक्षी के बजाय एक अंडे को नष्ट किया जा सके। PETA इंडिया मुर्गी पालन उद्योग से बीमार एवं कमज़ोर चूज़ों के साथ मानवीय व्यवहार करने हेतु “भारतीय पशु कल्याण बोर्ड” से मार्गदर्शन लेने का भी आह्वान कर रही है।

PETA इंडिया की यह दूसरी जांच है जिसमें देश में चूज़ों की क्रूर एवं अमानवीय मौतों के सच का खुलासा किया गया है। इससे पहले, वर्ष 2016 में PETA इंडिया ने Animals Now (जिसका पिछला नाम Anonymous for Animal Rights था) द्वारा ली गयी एक वीडियो को प्रकाशित किया था जिसमें भारत में अवांछित चूजों को डूबते, जलाते, गिराते, कुचलते और लाखों की संख्या में मछलियों को जिंदा खिलाते देखा गया था। PETA इंडिया की जांच यह साबित करती है कि भारतीय मुर्गी पालन उद्योग में चूज़ों के साथ लगातार दुर्व्यवहार किया जाता है और इस मामले में एक सरकारी नीति की तत्काल आवश्यकता है।

PETA इंडिया जो इस धारणा में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारा भोजन बनने के लिए नहीं हैं”, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमे मनुष्य इस संसार में स्वयं को सर्वोपरि मानकर अन्य समस्त प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है।अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com पर जाएँ और हमें Twitter, Facebook, व Instagram सोशल मीडिया पर फॉलो करें।

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