PETA इंडिया की शिकायत के बाद भैंसों आपस में लड़ने के लिए उकसाने हेतु तीन अभियुक्तों के खिलाफ़ FIR दर्ज़

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13 January 2022

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ठाणे – पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया से शिकायत मिलने के बाद, ठाणे ग्रामीण पुलिस ने दो भैंसों को आपस में लड़ने के लिए उकसाने के आरोप में तीन अभियुक्तों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज़ करी। PETA इंडिया ने पुलिस को अपनी शिकायत में, 12 दिसंबर 2021 को हुई घटना का एक वीडियो भी प्रस्तुत किया, जिसमें कानूनी उल्लंघन और जानवरों के प्रति क्रूरता के सबूत हैं। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि खून से सनी भैसों के सींग आपस में फंसे हैं और पीछे से लोग उन्हें और उकसा रहे हैं। इन लोगों को भैसों को भड़काने के लिए जानवरों की पूंछ घुमाते और खींचते भी देखा जा सकता हैं।

इस मामले में पडघा पुलिस स्टेशन में “पशु क्रूरता निवारण अधिनियम (PCA), 1960” की धारा 3 और 11 (1) (a), (m) (ii), (n) के तहत जानवरों को उकसाने, इस तरह के प्रतिबंधित आयोजन करने, और जानवरों को अनावश्यक दर्द और पीड़ा देने का मामला दर्ज किया गया है। इस FIR में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34, 289 और 337 को भी शामिल किया गया है।

PETA इंडिया की इमरजेंसी रिस्पांस टीम के एसोसिएट मैनेजर मीत अशर ने कहा, “भैंसों को एक-दूसरे से लड़ने के लिए मजबूर करना क्रूर और अवैध भी है। PETA इंडिया इन जानवरों के दुख के लिए जिम्मेदार सभी अभियुक्तों को कठोर सज़ा देने की मांग करता है। अध्ययनों से पता चलता है कि जो युवा जानवरों के प्रति क्रूर होते हैं वे अक्सर आगे चलकर मनुष्यों को भी नुकसान पहुंचाते है।“

PETA इंडिया इस सिद्धांत के तहत कार्य करता है कि जानवर हमारे मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होने या किसी भी अन्य तरह से दुर्व्यवहार सहने के लिए नहीं हैं, संज्ञान लेता है कि PCA अधिनियम के अनुसार, जानवरों को एक-दूसरे से लड़ने के लिए उकसाना गैर-कानूनी है। वर्ष 2014 के एक ऐतिहासिक फैसले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने PETA इंडिया और भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड की याचिकाओं के पक्ष में फैसला देते हुए यह स्पष्ट किया कि भैस, कुत्ते सहित सभी प्रकार के जानवरों या जानवरों और इन्सानों के बीच मनोरंजंक लड़ाइयों का अंत होना चाहिए।

शोध से पता चला है कि जो लोग जानवरों के खिलाफ क्रूरता करते हैं, वह आगे चलकर जानवरों या मनुष्यों को भी चोट पहुंचाने का प्रयास करते हैं। उदाहरण के लिए, वीरप्पन एक शिकारी होने के साथ-साथ एक सीरियल किलर भी था और नोएडा के प्रसिद्ध बाल हत्या कांड में अपराधी मोनिन्दर सिंह पंढेर को भी जानवरों का शिकार करते पाया गया था। एक अध्ययन में सामने आया, बाल शोषण और उपेक्षा का सामना करने वाले 60% परिवारों में साथी जानवरों को भी शोषण का सामना करना पड़ा।

PETA इंडिया जो इस सिद्धांत में विश्वास रखता है कि “जानवर हमारे मनोरंजन हेतु इस्तेमाल होने के लिए नहीं हैं, प्रजातिवाद का विरोध करता है क्यूंकी यह ऐसी विचारधार है जिसमे इंसान स्वयं को इस दुनिया में सर्वोपरि मानकर अपने फायदे के लिए अन्य प्रजातियों का शोषण करना अपना अधिकार समझता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया हमारी वेबसाईट PETAIndia.com  पर जाएँ और TwitterFacebook, व Instagram पर हमें फॉलो करें।

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